केंद्र सरकार के आदेश में कहा गया है कि आरोग्य सेतु ऐप पर अपने आसपास की स्थिति की समीक्षा करने और ऐप में ‘सुरक्षित’ या ‘कम जोख़िम’ के संकेत मिलने पर ही कार्यालय जाएं.
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि कोरोना वायरस के मामले दोगुने होने की दर इस सप्ताह की शुरुआत में 7.5 दिन से सुधरकर 10 दिन हो गई है. बीते 28 दिन में 15 ज़िलों में कोई नया मामला नहीं आया है और 23 राज्यों के 80 ज़िले ऐसे हैं, जिनमें बीते 14 दिन में संक्रमण का कोई मामला नहीं आया है.
देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों के बीच केंद्र सरकार ने आरोग्य सेतु मोबाइल ऐप लॉन्च किया है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 ख़िलाफ़ लड़ाई में महत्वपूर्ण कदम बताया है. हालांकि ऐप की क्षमताओं को लेकर विशेषज्ञों की राय सरकार के दावों के उलट है.
पुलिस के अनुसार कोरोना वायरस जैसी घातक बीमारी को काबू करने के लिए सामाजिक दूरी संबंधी केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के बाद भी मौलाना साद ने पिछले महीने निज़ामुद्दीन मरकज़ में धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया था.
इससे पहले शीर्ष स्वास्थ्य निकाय भारतीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा परिषद ने भी लोगों से चबाने वाले तंबाकू के उत्पादों के सेवन से दूर रहने और सार्वजनिक स्थानों पर न थूकने की अपील की थी.
इस देश का दुर्भाग्य है कि इतने बड़े संकट में घिरे होने के बाद भी हम भारतीय अपनी कट्टरता, अंधविश्वास और पूर्वाग्रह से बाहर न निकलकर एक वैश्विक महामारी को भी हिंदू-मुसलमान का मुद्दा बनाए दे रहे हैं.
दिल्ली के निजामुद्दीन मामले को लेकर सोशल मीडिया पर अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण संदेशों पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि कोरोना वायरस के अलावा बांटने वाला भी एक वायरस है. मैं ऐसे लोगों को चेतावनी देता हूं कि मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि कोई कानून आपको न बचा पाए.
मुसलमानों के शुभचिंतक तबलीग़ वालों को कड़ी सज़ा देने, यहां तक कि उसे प्रतिबंधित करने की मांग कर रहे हैं. इस एक मूर्खतापूर्ण हरकत ने सामान्य हिंदुओं में मुसलमानों के ख़िलाफ़ बैठे पूर्वाग्रह पर एक और परत जमा दी है. ऐसा सोचने वालों को क्या यह बताने की ज़रूरत है कि हिंदू हों या ईसाई, उनमें बैठे मुसलमान विरोध का कारण मुसलमानों की जीवनशैली या उनके एक हिस्से की मूढ़ता नहीं है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने अपील की कि हम एक संक्रामक बीमारी से जूझ रहे हैं, ऐसे में इससे निपटने के उपायों का पालन में करने में मामूली सी चूक हमारे सारे प्रयासों को व्यर्थ साबित कर देती है.
इस महामारी से इटली में 13 हज़ार और स्पेन में नौ हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़कर तक़रीबन दो हज़ार हो गए हैं, जबकि विश्व में तक़रीबन 9.5 लाख लोग इसके संक्रमण से पीड़ित हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बताया गया कि देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले बढ़कर 1637 हो गए हैं, जबकि इस महामारी की चपेट में आकर मरने वालों की संख्या 38 हो गई है.
बीते शुक्रवार को आरा कस्बे के जवाहर टोला में रहने वाले राहुल की मौत हो गई थी. उनके पिता दिहाड़ी मजदूर हैं लेकिन लॉकडाउन के चलते वे पिछले कई दिनों से बेरोजगार बैठे हैं.
बिहार में इस साल एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से जिन बच्चों की मौत हुई उनमें से 85 फीसदी से अधिक परिवार दिहाड़ी मजदूर हैं. वहीं, इस साल मरने वाले 168 बच्चों में से 104 लड़कियां थीं.
संसद ने हाल ही में भारतीय चिकित्सा परिषद के स्थान पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग गठित करने वाले विधेयक को मंजूरी दी. भारतीय चिकित्सा संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रवि वानखेडेकर का कहना है कि ये फैसला जन विरोधी है. इससे स्वास्थ्य शिक्षा एवं डाक्टरों की गुणवत्ता में कमी आएगी.
राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) विधेयक के कई प्रावधानों पर डॉक्टरों एवं मेडिकल छात्रों को आपत्ति है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा है कि कुछ प्रावधान ऐसे हैं जिसमें एमबीबीएस डिग्री धारकों के अलावा गैर चिकित्सकीय लोगों या सामुदायिक स्वास्थ्य प्रदाताओं को लाइसेंस देने की बात की गई है.