योग गुरु और कारोबारी रामदेव और उनकी कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को इस सप्ताह देश की तीन अलग-अलग अदालतों से झटका लगा है. हालांकि, उनके लिए यह कुछ नया नहीं है. जैसे-जैसे उनका व्यापारिक साम्राज्य बढ़ा है, आए दिन उनसे जुड़े विवाद सामने आते रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने 27 फरवरी को कहा कि पतंजलि आयुर्वेद भ्रामक दावे करके देश को धोखा दे रही है कि उसकी दवाएं कुछ बीमारियों को ठीक कर देंगी, जबकि इसके लिए कोई अनुभवजन्य साक्ष्य मौजूद नहीं है.
केरल के डॉक्टर केवी बाबू ने केंद्र से शिकायत करते हुए कहा है कि ख़ुद केंद्रीय मंत्रालय के कई निर्देशों और प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बावजूद पतंजलि के हर्बल उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों को लेकर उत्तराखंड के अधिकारियों ने पतंजलि आयुर्वेद के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की है.
कोचिंग संस्थान विज्ञापनों में सफलता दर या चयनित छात्रों की रैंक के बारे में झूठे दावे न करें: केंद्र
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए कोचिंग संस्थानों के लिए मसौदा दिशानिर्देश तैयार किए हैं. सीसीपीए ने स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करते हुए 31 कोचिंग संस्थानों को नोटिस भेजा है और भ्रामक विज्ञापनों के लिए उनमें से नौ पर जुर्माना लगाया है.
केरल के औषधि नियंत्रण विभाग ने यह क़दम कन्नूर स्थित नेत्र रोग विशेषज्ञ केवी बाबू की शिकायत पर उठाया है. विभाग ने कहा है कि बाबू ने पतंजलि के विज्ञापनों के 29 उदाहरणों का दस्तावेज़ीकरण किया है, जो कथित तौर पर ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954 का उल्लंघन करते हैं.
देश के शीर्ष उपभोक्ता निगरानी संगठन ‘केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण’ की मुख्य आयुक्त ने बताया कि ‘भ्रामक’ विज्ञापन जारी करने के लिए 20 कोचिंग संस्थानों में से चार पर जुर्माना लगाया गया है. चार संस्थानों में से दो ने जुर्माना जमा कर दिया है, जबकि अन्य दो ने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया है.
उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, सोशल मीडिया मंचों पर किसी उत्पाद या सेवाओं के बारे में राय रखने वाले ‘इंफ्लुएंसर्स’ को तस्वीर, वीडियो या लाइव स्ट्रीमिंग के ज़रिये उत्पाद का विज्ञापन करने की स्थिति में उसी दौरान दर्शकों को यह भी जानकारी देनी होगी कि उक्त विज्ञापन में उनके क्या हित हैं. उल्लंघन की स्थिति में ज़ुर्माना लगाया जाएगा.