कोचिंग संस्थान विज्ञापनों में सफलता दर या चयनित छात्रों की रैंक के बारे में झूठे दावे न करें: केंद्र

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए कोचिंग संस्थानों के लिए मसौदा दिशानिर्देश तैयार किए हैं. सीसीपीए ने स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करते हुए 31 कोचिंग संस्थानों को नोटिस भेजा है और भ्रामक विज्ञापनों के लिए उनमें से नौ पर जुर्माना लगाया है.

(फोटो: द वायर)

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए कोचिंग संस्थानों के लिए मसौदा दिशानिर्देश तैयार किए हैं. सीसीपीए ने स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करते हुए 31 कोचिंग संस्थानों को नोटिस भेजा है और भ्रामक विज्ञापनों के लिए उनमें से नौ पर जुर्माना लगाया है.

(प्रतीकात्मक फोटो: द वायर)

नई दिल्ली: केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए कोचिंग संस्थानों के लिए मसौदा दिशानिर्देश तैयार किए हैं और उनसे सफलता दर या चयनित छात्रों की रैंक या स्कोर के बारे में झूठे दावे नहीं करने का आग्रह किया है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, सीसीपीए ने मसौदा दिशानिर्देशों से अवगत कराने के लिए देश के प्रमुख कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ परामर्श किया क्योंकि ‘हम चाहते हैं कि यह एक भागीदारीपूर्ण और लोकतांत्रिक प्रक्रिया हो.’

कोचिंग संस्थान देश में एक बहुत बड़ा व्यवसाय है, जो लगभग हर प्रतियोगी परीक्षा के लिए कई पाठ्यक्रम प्रदान करता है, जिसमें सरकारी सेवाओं, बैंक नौकरियों, कानून, इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों, प्रतिष्ठित भारतीय प्रशासनिक सेवा और यहां तक कि स्कूल बोर्ड परीक्षाओं के लिए प्रवेश परीक्षा भी शामिल है.

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के अनुसार, देश में लगभग 7 करोड़ या सभी छात्रों में से 26 प्रतिशत, किसी न किसी रूप में कोचिंग लेते हैं. अधिकारी ने कहा कि भ्रामक विज्ञापनों के मामले बढ़ रहे हैं, जो विश्वविद्यालयों में सुनिश्चित प्रवेश और यहां तक कि सरकारी सेवाओं में ‘100% चयन’ का वादा करते हैं, जिनके लिए कठिन प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करने की आवश्यकता होती है.

केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया, ‘प्रस्तावित दिशानिर्देशों के पीछे का विचार भावी छात्रों के लिए संस्थान की साख का पूर्ण और ईमानदार खुलासा करना है. कोई भी अतिशयोक्ति या गलतबयानी भ्रामक विज्ञापन के रूप में उत्तरदायी होनी चाहिए.’

मालूम हो कि राजस्थान का कोटा एक प्रसिद्ध कोचिंग शहर है जो छात्र आत्महत्याओं के लिए सुर्खियों में रहा है. 2023 में कम से कम 26 छात्रों ने आत्महत्या की, जो 2015 के बाद से कोटा में आत्महत्या की सबसे अधिक संख्या है.

पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, कोटा में 2022 में 15, 2019 में 18, 2018 में 20, 2017 में सात, 2016 में 17 और 2015 में 18 छात्रों की आत्महत्या से मौत हुई है. 2020 और 2021 में कोई आत्महत्या नहीं हुई.

कुछ कोचिंग संस्थान ‘प्रीलिम्स में 100% चयन’ का आश्वासन देते पाए गए हैं, जो भारतीय प्रशासनिक सेवा की प्रारंभिक परीक्षाओं को संदर्भित करता है. इस तरह के ऑफर भ्रामक विज्ञापन माने जाते हैं, जिन पर अब देश के उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत जुर्माना और सजा का प्रावधान होगा.

सीसीपीए द्वारा प्रस्तावित मसौदा उपायों के बीच कोचिंग संस्थान ‘100% चयन या 100% नौकरी की गारंटी या प्रारंभिक या मुख्य परीक्षा (आईएएस प्रवेश के लिए) की गारंटी का दावा नहीं करेंगे.’

उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय इस बात पर अंकुश लगाएगा कि संस्थान अपने केंद्रों पर नामांकित सफल उम्मीदवारों का विज्ञापन कैसे करते हैं, जो भावी छात्रों को आकर्षित करने के लिए एक आम बात है. उन्हें सफल उम्मीदवार की फोटो के साथ अपेक्षित जानकारी का उल्लेख करना होगा, जिसमें छात्र द्वारा प्राप्त रैंक, सफल उम्मीदवार द्वारा चुना गया पाठ्यक्रम और क्या उसकी कोचिंग मुफ्त थी या भुगतान सहित शामिल थी.

कोचिंग क्षेत्र द्वारा भ्रामक विज्ञापन के लिए जुर्माना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 द्वारा नियंत्रित किया जाएगा, जो तय किया जाएगा.

रॉयल ग्लोबल के डीन केशव अग्रवाल ने कहा, ‘कोचिंग सेंटर कड़ी प्रतिद्वंद्विता में फंस गए हैं और प्रतिभाशाली छात्रों को बाद में टॉपर्स के साथ जुड़ने के लिए लुभाने के लिए सीधे-सरल भाषणों से लेकर नकदी और कारों की पेशकश और यहां तक कि ब्लैकमेलिंग तक हर चाल का प्रयास कर रहे हैं.’

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने कहा कि सीसीपीए ने कोचिंग संस्थानों के भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की है.

सरकार की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘इस संबंध में सीसीपीए ने भ्रामक विज्ञापनों के लिए 31 कोचिंग संस्थानों को नोटिस जारी किया है और भ्रामक विज्ञापनों के लिए उनमें से नौ पर जुर्माना लगाया है.’

उपभोक्ता निकाय के अनुसार, यह देखा गया है कि कुछ कोचिंग संस्थान जानबूझकर सफल उम्मीदवारों द्वारा चुने गए पाठ्यक्रमों, पाठ्यक्रम की अवधि और उम्मीदवारों द्वारा भुगतान की गई फीस के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी छिपाकर उपभोक्ताओं को गुमराह करते हैं.

मंत्रालय ने कहा, ‘सीसीपीए ने यह भी देखा कि कुछ कोचिंग संस्थान सत्यापन योग्य साक्ष्य उपलब्ध कराए बिना 100% चयन, 100% नौकरी की गारंटी और प्रारंभिक और मुख्य परीक्षाओं की गारंटी जैसे दावे करने में भी शामिल हैं.’