ऐप से मनरेगा श्रमिकों की हाज़िरी दर्ज करने की प्रणाली ग़रीबों के हितों के ख़िलाफ़: कांग्रेस

बीते सप्ताह ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सभी मनरेगा कार्यस्थलों पर मोबाइल ऐप से उपस्थिति दर्ज करने के आदेश दिए हैं. पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री और कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस प्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि कथित तौर पर पारदर्शिता बढ़ाने के लिए शुरू किए गए इस क़दम का ठीक उल्टा असर होगा.

भुगतान में देरी को लेकर मनरेगा मज़दूरों का दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना के 15 राज्यों के सैकड़ों मज़दूर दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि जब वे समय पर मज़दूरी की मांग करते हैं तो उन्हें काम नहीं मिलता. साथ ही कार्यस्थल पर किसी मज़दूर के घायल हो जाने या उसकी मृत्यु हो जाने पर मुआवज़ा तक नहीं दिया जाता.

मनरेगा में अनियमितताओं को लेकर केंद्र सरकार ने झारखंड से रिपोर्ट मांगी

झारखंड ग्रामीण विकास विभाग की सामाजिक लेखापरीक्षा इकाई ने मनरेगा के अपने ताजा ऑडिट में कई अनियमितताएं पाई थीं. इस दौरान सामने आया था कि 1.59 लाख से अधिक श्रमिकों का रिकॉर्ड में नाम दर्ज था, लेकिन कार्यस्थल पर केवल 40,629 श्रमिक काम करते मिले थे.

माकपा ने मनरेगा में जाति आधारित मज़दूरी देने की एडवाइज़री पर सवाल उठाए

माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य बृंदा करात ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को भेजे एक पत्र में केंद्र की ओर से राज्यों को भेजे गए उस परामर्श के पीछे की मंशा को लेकर सवाल खड़े किए, जिसमें कहा गया है कि मनरेगा के तहत अनुसूचित जाति-जनजाति व अन्य के लिए मज़दूरी के भुगतान को अलग-अलग श्रेणियों में रखा जाए.

उत्तर प्रदेश: योगी सरकार से क्यों नाराज़ हैं शिक्षकों समेत विभिन्न कर्मचारी संगठन

पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान हुए कोरोना संक्रमण से बड़ी संख्या में शिक्षकों, शिक्षा मित्रों आदि के प्रभावित होने पर सरकारी बेरुख़ी से उनके संगठन तो राज्य सरकार से ख़फ़ा हैं, वहीं महामारी के दौरान बढ़ी ज़िम्मेदारियों के बीच सुविधाओं के अभाव को लेकर मनरेगा कर्मी और संविदा एएनएम भी आक्रोशित हैं.

2019-20 में 5.47 करोड़ परिवारों ने मनरेगा के तहत काम मांगा, पिछले नौ सालों में सर्वाधिक

मनरेगा के तहत काम मांगने वालों बढ़ती संख्या ये दर्शाता है कि ग्राम पंचायत ज़्यादा से ज़्यादा बेरोज़गारों को काम दे रहे हैं.

कोरोना राहत पैकेज: क्या वित्तमंत्री ने मनरेगा मज़दूरों के साथ धोखा किया है?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ्ते कोरोना राहत पैकेज की घोषणा करते हुए मनरेगा मज़दूरी में वृद्धि की बात कही. हालांकि यह एक रूटीन वार्षिक कवायद थी, जिसे पहले ही ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया गया था.

सरकार मनरेगा को हमेशा चलाए रखने की पक्षधर नहीं: ग्रामीण विकास मंत्री

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सदन में कहा कि मनरेगा गरीबों के लिए है और मोदी सरकार का लक्ष्य गरीबी को ख़त्म करना है. गरीबी दूर करने के लिए सरकार प्रयास कर रही है.

आख़िर क्यों मनरेगा मज़दूरों को नहीं मिलती उचित मज़दूरी?

देश में दूसरे रोज़गारों की उपलब्धता इतनी कम है कि ग्रामीणों को मजबूरन मनरेगा में काम करना पड़ रहा है. इस स्थिति में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि मनरेगा में कार्यरत ग्रामीण बंधुआ मज़दूर बन गए हैं. उनके लिए न तो एक सम्मानजनक मानदेय है और न ही समय पर मज़दूरी मिलने की कोई उम्मीद.

चुनावी मौसम में मज़दूर राजनीतिक विमर्श से ग़ायब क्यों हैं?

किसी भी राष्ट्र के लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या होगा जहां करोड़ों मज़दूरों की दुर्दशा राष्ट्रीय चेतना और राजनीतिक विमर्श का हिस्सा ही नहीं है.