क़ानून का राज होने के बाद भी भीड़ का राज क़ायम है. इस भीड़ को धर्म, जाति और परंपरा के नाम पर छूट मिली है. किसी औरत को डायन बताकर मार देती है, जाति तोड़कर शादी करने वालों की हत्या कर देती है. इसी कड़ी में अब यह शामिल हो गया है कि अपराध करने वाला या झगड़े की ज़द में आ जाने वाले मुसलमान को जय श्री राम के नाम पर मार दिया जाएगा.
यह घटना झारखंड के सरायकेला खरसावां जिले की हैं. आरोप है कि 18 जून को एक मुस्लिम युवक को बेरहमी से कई घंटों तक एक खंभे से बांधकर पीटा गया. उससे जबरन ‘जय श्रीराम’ और ‘जय हनुमान’ के नारे लगवाए गए. पुलिस ने जांच के लिए एसआईटी का गठन किया.
यह घटना दिल्ली के रोहिणी की है. मौलवी का आरोप है कि 20 जून को कार सवार तीन लोगों ने उनसे जय श्री राम का नारा लगाने को कहा, इससे इनकार करने पर उन्होंने कार से टक्कर मार दी.
यह घटना असम के बारपेटा की है. 18 जून को दक्षिणपंथी समूह के कुछ लोगों ने ऑटोरिक्शा रुकवाकर उसमें सवार मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों की कथित तौर पर पिटाई की. इस मामले में दो एफआईआर दर्ज की गई हैं.
अपर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि छात्र का दो दिन पहले कोचिंग में एक अन्य छात्र से बेंच पर बैठने को लेकर विवाद हुआ था. जिस छात्र से दो दिन पहले विवाद हुआ था, उसने अपने अन्य युवकों के साथ मिल कर छात्र की पिटाई कर दी. इसके बाद अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही उसकी मौत हो गई.
सीओ रामानंद कुशवाहा ने बताया कि सेना के दो जवान एक रेस्टोरेंट में खाना खा रहे थे. इसी दौरान उनकी एक शख़्स के साथ बहस हो गई और लड़ाई होने लगी. पूरे मामले में केस दर्ज कर रेस्टोरेंट के 7-8 कर्मचारियों को गिरफ़्तार किया गया है.
क्या नरेंद्र मोदी यह कहना चाह रहे हैं कि मुस्लिमों को जिस भय की राजनीति का सामना करना पड़ रहा है, वे उसे ख़त्म करने की कोशिश करेंगे? अगर उन्हें गंभीरता के साथ इस ओर काम करना है तो इसकी शुरुआत संघ परिवार से नहीं होनी चाहिए.
उत्तर प्रदेश के हापुड़ में 18 जून को 45 वर्षीय मीट व्यवसायी क़ासिम क़ुरैशी की भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी.
यह घटना गुड़गांव के सदर बाजार की है.
मध्य प्रदेश के सिवनी में गोमांस के शक़ में कथित गोरक्षकों ने एक मुस्लिम युवती सहित तीन लोगों की बेरहमी से पिटाई की.
मृतक युवक की बहन ने बताया कि हम जिस शादी में गए थे, वहां मेरे भाई ने उस काउंटर से खाना लिया, जहां सवर्ण जाति के लोग खाना खा रहे थे. वह उनके सामने ही कुर्सी पर बैठकर खाना खाने लगा, जिस पर सवर्ण जाति के लोगों ने कहा कि यह नीच जाति का हमारे साथ खाना नहीं खा सकता. खाएगा तो मरेगा.
भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मोहम्मद अख़लाक़ को मार दिए जाने के करीब चार साल बाद दादरी के बिसाहड़ा गांव में कोई पछतावा नहीं दिखता. यहां के मुसलमानों ने ख़ुद को क़िस्मत के हवाले कर दिया है.
सोशल मीडिया पर सामने आए इस घटना के वीडियो में पीड़ित को कीचड़ में घुटनों के बल बैठे देखा जा सकता है और भीड़ पीड़ित से पूछती दिख रही है कि क्या उसके पास गोमांस बेचने का लाइसेंस है?
गुड़गांव लगातार निशाने पर है. अनजान लोगों से बसा यह शहर हर किसी को अजनबी समझने की फितरत पाले हैं, इसलिए वह मज़हब के आधार पर शक किए जाने या किसी को पीट दिए जाने को बुरा नहीं मानता. भारत का यह सबसे आधुनिक शहर सिस्टम से लेकर एक स्वस्थ्य समाज के फेल होने का शहर है. इस शहर में धूल भी सीमेंट की उड़ती है, मिट्टी की नहीं.
सड़क से संसद की इस कड़ी में हम अलवर लोकसभा क्षेत्र में पहुंचे हैं. कलाकंद के लिए मशहूर अलवर हालिया सालों में यहां गोरक्षा के नाम पर हुई मॉब लिंचिंग की घटनाओं के लिए सुर्ख़ियों में रहा.