टीएमसी का आरोप है कि प्रधानमंत्री की दो दिवसीय यात्रा का बांग्लादेश की आज़ादी के 50 वर्ष पूरे होने या ‘बंगबंधु’ के जयंती समारोहों में शामिल होने से कोई लेना-देना नहीं था. इसके बजाय उनका एकमात्र मक़सद पश्चिम बंगाल में चल रहे चुनावों में कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान को प्रभावित करने का था.
एक देश में अल्पसंख्यकों पर हमले के विरोध के दौरान जब उसी देश के अल्पसंख्यकों पर हमला होने लगे तो शक़ होता है कि यह वास्तव में किसी नाइंसाफी के ख़िलाफ़ या बराबरी जैसे किसी उसूल की बहाली के लिए नहीं है, बल्कि इसके पीछे भी एक बहुसंख्यकवादी द्वेष ही है.
बांग्लादेश के चटगांव ज़िले में पुलिस की प्रदर्शनकारियों के साथ झड़प हुई थी. प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भारत में मुस्लिम समुदाय को प्रताड़ित करने और साल 2002 के गुजरात दंगे का आरोप लगाया है. मोदी बांग्लादेश के 50वें स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित जश्न के मौके पर वहां गए हुए थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 मार्च से शुरू वाले दो दिवसीय बांग्लादेश दौरे के दौरान ढाका से क़रीब 190 किलोमीटर दूर ओराकांडी में मतुआ समुदाय के मंदिर जाएंगे. जानकारों के अनुसार, यह पश्चिम बंगाल में एक करोड़ के क़रीब वोटर वाले और सीएए लागू न होने से नाख़ुश मतुआ समुदाय को लुभाने की क़वायद है.