एक मीडिया रिपोर्ट में सामने आए नौ मंत्रियों के समूह द्वारा तैयार 97 पन्नों के दस्तावेज़ का मक़सद मीडिया में मोदी सरकार की छवि को चमकाना और स्वतंत्र मीडिया को चुप कराना है. बताया गया है कि यह रिपोर्ट सरकार समर्थक कई संपादकों और मीडियाकर्मियों के सुझावों पर आधारित है.
अनुचित तरीके से बनाए गए नए सोशल मीडिया नियम समाचार वेबसाइट्स को सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के साथ खड़ा करते हैं. इन्हें वापस लिया ही जाना चाहिए.
वीडियो: मीडिया में सरकार की छवि को चमकाने और स्वतंत्र पत्रकारिता का दमन करने के लिए मोदी सरकार के मंत्रियों के समूह (जीओएम) की एक रिपोर्ट का खुलासा हुआ है. इस मुद्दे पर द कारवां के पोलिटिकल एडिटर हरतोष सिंह बल से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
कारवां पत्रिका ने नौ मंत्रियों के एक समूह की रिपोर्ट के हवाले से बताया है कि 2020 के मध्य में इन सभी ने स्वतंत्र मीडिया संस्थानों को प्रभावहीन बनाने के लिए ख़ाका तैयार किया था. इसमें ऐसे लोगों को ख़ामोश करने की योजना बनाई गई थी, जो सरकार के ख़िलाफ़ ख़बरें लिख रहे हैं या उसका एजेंडा नहीं मान रहे हैं.
केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाए गए नए नियमों के तहत सबसे पहली नोटिस मणिपुर के न्यूज पोर्टल द फ्रंटियर मणिपुर को उसके एक कार्यक्रम को लेकर जारी किया गया है. पोर्टल को सभी संबंधित दस्तावेज़ों की प्रति मुहैया कराने को कहा गया था, जो इन नियमों के पालन को सुनिश्चित करते हों.
लंदन में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत ने कहा कि नीरव मोदी का भारत में प्रत्यर्पण मानवाधिकारों के अनुरूप है. हीरा कारोबारी नीरव मोदी साल 2018 में पंजाब नेशनल बैंक से 1400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में जालसाज़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को लेकर भारत में वांछित हैं.
केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया मंचों के दुरुपयोग रोकने के लिए नए दिशा-निर्देशों की घोषणा की, जिनके तहत संबंधित कंपनियों के लिए एक पूरा शिकायत निवारण तंत्र बनाना होगा. साथ ही ख़बर प्रकाशकों, ओटीटी मंचों और डिजिटल मीडिया के लिए ‘आचार संहिता’ और त्रिस्तरीय शिकायत निवारण प्रणाली लागू होगी.
सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया मध्यस्थों और नेटफ्लिक्स व अमेज़न के प्राइम वीडियो जैसे ओटीटी प्लेटफार्मों को उनके माध्यम से साझा की जाने वाली सामग्री के लिए अधिक जवाबदेह बनाने के लिए आईटी अधिनियम में कुछ हिस्सों में बदलाव करना चाहता है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा सांसद और वित्त मामलों की प्रभावशाली स्थायी संसदीय समिति के अध्यक्ष जयंत सिन्हा ने अस्पष्ट मासिक फीस पर एक एंटरटेनमेंट कंपनी बी4यू से जुड़े टाइगर मीडिया को अपनी सेवाएं देने का ऑफ़र दिया है. कंपनी के लिए उन्होंने सही शर्तों पर पर्याप्त वित्तपोषण जुटाने का भी ऑफ़र दिया है.
सरकार ने निजीकरण के लिए जिन चार बैंकों का चयन किया गया है वे बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया हैं. सरकार का यह कदम उसकी उस बड़ी योजना का हिस्सा है जिसके तहत वह सरकारी संपत्तियों को बेचकर राजस्व बढ़ाने की तैयारी कर रही है.
पिछले सप्ताह पेश केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विनिवेश योजना के तहत दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की है. हालांकि, उन्होंने इस बारे में बताने से इनकार कर दिया कि किस या किन बैंकों को बिक्री के लिए चुना जा रहा है. फ़िलहाल बैंक यूनियनों ने इस क़दम का विरोध किया है.
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन पर संसद की स्थायी समिति ने आशंका जाहिर की है कि डीएनए डेटा बैंक के ज़रिये धर्म, जाति या राजनीतिक विचार के आधार पर लोगों को निशाना बनाने के लिए इसका दुरुपयोग किया जा सकता है.
ओडिशा के भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया कि राज्य की सत्ताधारी बीजेडी सरकार ने अपने केंद्रीकृत टोकन प्रणाली के साथ किसानों को गुमराह किया है जिसके कारण कई किसान अपनी उपज बेचने में असमर्थ हैं. हालांकि, बीजेडी ने भरोसा दिलाया कि वास्तविक किसानों की फसल ख़रीदी जाएगी.
साल 2011 में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अन्ना हजारे की अगुवाई में चले लोकपाल आंदोलन के बाद साल 2013 में इसे लेकर क़ानून बनाया गया था, लेकिन केंद्र समेत कई राज्यों में समय पर नियुक्ति न होने और फंड की कमी जैसे कारणों के चलते यह दयनीय स्थिति में है.
भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने एक जनहित याचिका में दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें अदालत ने देश की बढ़ती आबादी पर नियंत्रण के लिए दो बच्चों के नियम समेत कुछ कदमों को उठाने की मांग करने वाली उनकी याचिका ख़ारिज कर दी थी.