बीते पांच अगस्त को मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को दिए गए विशेष राज्य का दर्जा ख़त्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का फैसला किया था. नेशनल कॉन्फ्रेंस की जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बरक़रार रखने की अपील.
पूर्वोत्तर के प्रमुख उग्रवादी समूह एनएससीएन-आईएम नगाओं के लिए अलग झंडा और संविधान की अपनी मांग पर अड़ा हुआ है. केंद्र अलग झंडा और अलग संविधान जैसी मांगों को पहले ही ख़ारिज कर चुका है.
केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को ख़त्म किए जाने के बाद जम्मू कश्मीर के हालात जानने के लिए श्रीनगर पहुंचे यूरोपीय दल में शामिल जर्मनी के सांसद निकोलस फेस्ट ने यह बात कही है.
भारत को एक इंटरनेशनल बिज़नेस ब्रोकर के ज़रिये विदेशी सांसदों के कश्मीर आने की भूमिका तैयार करने की ज़रूरत क्यों पड़ी? जो सांसद बुलाए गए हैं वे धुर दक्षिणपंथी दलों के हैं. इनमें से कोई ऐसी पार्टी से नहीं है जिनकी सरकार हो या प्रमुख आवाज़ रखते हों. तो भारत ने कश्मीर पर एक कमज़ोर पक्ष को क्यों चुना? क्या प्रमुख दलों से मनमुताबिक साथ नहीं मिला?
जम्मू कश्मीर के दो दिवसीय दौरे पर आए यूरोपीय संघ के सांसदों ने कहा कि हमें फासीवादी कहकर हमारी छवि को ख़राब किया जा रहा है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार मामलों के उच्चायुक्त के प्रवक्ता रूपर्ट कोलविले ने कहा कि हम अत्यंत चिंतित हैं कि कश्मीर में लोग लगातार व्यापक मानवाधिकारों से वंचित हैं और हम भारतीय अधिकारियों से स्थिति को ठीक करने तथा लोगों के अधिकारों को पूरी तरह बहाल करने का आग्रह करते हैं.
ब्रिटेन की लिबरल डेमोक्रेट्स पार्टी के सांसद क्रिस डेविस का कहना है कि कश्मीर यात्रा के लिए उन्हें दिए गए निमंत्रण को भारत सरकार ने वापस ले लिया क्योंकि उन्होंने बिना पुलिस सुरक्षा के स्थानीय लोगों से बात करने की इच्छा जताई थी.
अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार 27 यूरोपीय सांसदों का दल जम्मू कश्मीर के दौरे पर है, जबकि अब तक किसी भी विदेशी पत्रकार, अधिकारी या नेता को वहां जाने की अनुमति नहीं दी गई है. मीडिया बोल की इस कड़ी में उर्मिलेश इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष और द हिंदू की पॉलिटिकल एडिटर पूर्णिमा जोशी से चर्चा कर रहे हैं.
श्रीनगर और राज्य के कई हिस्से पूरी तरह से बंद रहे. पांच अगस्त को केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा हटाने के 86वें दिन भी कश्मीर में जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा.
कश्मीर जाने वाले 27 यूरोपीय सांसदों में से अधिकतर दक्षिणपंथी दलों से जुड़े हुए हैं. अनुच्छेद 370 हटने के बाद केंद्र सरकार ने अब तक किसी भी विदेशी पत्रकार, अधिकारी या राजनयिक को जम्मू कश्मीर जाने की अनुमति नहीं दी है.
यूरोपीय संघ के 27 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को जम्मू कश्मीर का दौरा कर रहा है. यह शिष्टमंडल अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाए जाने के बाद वहां की स्थिति का आकलन करेगा. अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर के हालात जानने गए कांग्रेस समेत कई दलों के नेताओं को वापस भेज दिया गया था.
शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में फिल्म शोले के इस डायलॉग से देश में आर्थिक सुस्ती और त्योहारों के मौके पर बाज़ारों से ग़ायब रौनक के लिए सरकार के नोटबंदी और ग़लत तरीके से जीएसटी को लागू करने को ज़िम्मेदार बताया है.
केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का तबादला करते हुए उन्हें गोवा का राज्यपाल नियुक्त किया है. 31 अक्टूबर को जम्मू कश्मीर और लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश के तौर पर अस्तित्व में आ जाएंगे.
सभी नगा जनजातीय समूहों के शीर्ष संगठन ‘नगा होहो’ ने बीते बृहस्पतिवार को दावा किया कि एनएससीएन-आईएम ने एक मसौदा समझौते पर हस्ताक्षर के आधार पर अलग झंडा और संविधान की मांग की है.
आरटीआई कार्यकर्ताओं ने नए नियमों को सूचना आयोगों की स्वतंत्रता एवं उनकी स्वायत्तता पर हमला करार दिया है.