‘पिछले पांच सालों में ध्रुवीकरण ने कश्मीर मुद्दे की जटिलता को समझना और मुश्किल कर दिया है’

दो बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित और ऑस्कर के लिए नामित फिल्मकार अश्विन कुमार ने कहा कि कश्मीर दुनिया की कुछ ऐसी जगहों में से एक है, जहां सुंदरता और भय एक साथ मौजूद हैं.

गोपनीयता का हवाला देकर स्विट्ज़रलैंड से मिले कालेधन की सूचना साझा करने से केंद्र का इनकार

आरटीआई के तहत स्विट्ज़रलैंड से कालाधन मामलों में मिली सूचना के बारे में ब्योरा मांगा गया था जिसमें कंपनियों तथा लोगों के नाम शामिल हैं. इसके अलावा सूचना के आधार पर की गई कार्रवाई के बारे में भी जानकारी मांगी गई थी.

सीजेआई यौन उत्पीड़न मामले पर केंद्र सरकार से मतभेद के चलते इस्तीफ़ा दे सकते हैं अटॉर्नी जनरल

एक्सक्लूसिव: सीजेआई पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच कर रही समिति में एक बाहरी सदस्य शामिल करने की मांग करते हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों को पत्र लिखा था. इस पर केंद्र सरकार द्वारा उन्हें स्पष्टीकरण देने को कहा गया कि ये उनकी 'निजी राय' है न कि केंद्र की.

अयोध्या मामले में 15 अगस्त तक प्रक्रिया पूरी करे मध्यस्थता समिति: सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई तीन महीने के लिए टालते हुए दोनों पक्षों से 30 जून तक मध्यस्थता समिति के समक्ष अपनी आपत्तियां दर्ज कराने को कहा है.

हरियाणाः क्यों सोनीपत, रोहतक और भिवानी में मोदी के अच्छे दिन सवालों के घेरे में हैं

हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों पर 12 मई को मतदान है. राज्य की सोनीपत, रोहतक और भिवानी लोकसभा सीटों का चुनावी हाल.

मध्य प्रदेश: मोदी सरकार में मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को क्यों अपनी सीट बदलनी पड़ी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्रों में से एक केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मध्य प्रदेश की ग्वालियर लोकसभा सीट से सांसद हैं, लेकिन इस बार वे ग्वालियर के बजाय मुरैना संसदीय क्षेत्र से मैदान में हैं.

मोदी सरकार को बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए: मनमोहन सिंह

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का कहना है कि 2014 में मोदी अच्छे दिन के वादे के साथ सत्ता में आए थे. उनका पांच साल का कार्यकाल भारत के युवाओं, किसानों, व्यापारियों और हर लोकतांत्रिक संस्था के लिए सर्वाधिक त्रासदीपूर्ण और विनाशकारी रहा है.

पीएमओ द्वारा रफाल सौदे की निगरानी को दख़ल के तौर पर नहीं देखा जा सकता: केंद्र

रफाल सौदे को लेकर दायर पुनर्विचार याचिका के संबंध में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक नया हलफ़नामा दायर कर कहा गया कि अपुष्ट मीडिया रिपोर्ट्स से सौदे पर पुनर्विचार करने का आधार नहीं बनता.

केरल के मुस्लिम शिक्षण संस्थान ने छात्राओं के चेहरा ढकने पर लगाया प्रतिबंध

केरल के कोझिकोड की मुस्लिम एजुकेशन सोसाइटी ने सर्कुलर जारी कर कहा कि महिलाओं का अपने चेहरे को ढकना इस्लामिक नहीं है. इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. इस आदेश का कुछ मुस्लिम संगठनों ने विरोध किया है.

133 दिन से लापता संत गोपाल दास लौटे, कहा- क्या गंगा ने मोदी को नदी मैली करने के लिए बुलाया था

साक्षात्कार: गंगा सफाई के लिए लंबे समय तक अनशन करने वाले संत गोपाल दास पांच दिसंबर 2018 को लापता हो गए थे. करीब 133 दिन बाद पास वापस लौटने पर उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के इशारे पर उन्हें प्रताड़ित किया गया और एम्स प्रशासन ने अस्पताल से निकालकर उन्हें मरने के लिए सड़क पर फेंक दिया था.

‘जवानों के नाम पर वोट मांगने से बदतर कुछ नहीं, मोदी शहीदों के खून से कुर्सी सजाने में लगे हैं’

लोकसभा चुनाव में वाराणसी से प्रत्याशी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषणों में सैनिकों और शहीदों का लगातार ज़िक्र कर रहे हैं. वाराणसी ज़िले के ही तोफापुर गांव के सीआरपीएफ जवान रमेश यादव पुलवामा हमले में शहीद हुए थे. चुनाव में प्रधानमंत्री और भाजपा द्वारा सेना और पुलवामा हमले के इस्तेमाल पर क्या सोचते हैं शहीद के परिजन और ग्रामीण.

इस चुनाव में मुसलमानों के लिए क्या है?

आज भारतीय राजनीति एक ऐसे दौर में है जब कोई भी राजनीतिक पार्टी मुस्लिम समुदाय की बात नहीं करना चाहती. वे राजनीतिक रूप से अछूत बना दिए गए हैं. अब उनका इस्तेमाल बहुसंख्यक आबादी को वोट बैंक में तब्दील करने के लिए किया जा रहा है.

कृषि कल्याण सेस ख़त्म करने के बाद भी सरकार ने वसूला 1300 करोड़ रुपये से ज़्यादा का टैक्स

द वायर एक्सक्लूसिव: एक जुलाई, 2017 को कृषि कल्याण सेस ख़त्म कर दिया गया था, लेकिन आरटीआई से मिली जानकारी बताती है कि जनता से अब भी यह टैक्स वसूला जा रहा है.

द वायर बुलेटिन: नागरिकता के बारे में शिकायत के बाद गृह मंत्रालय ने राहुल गांधी को नोटिस भेजा

गंगा सफाई के लिए मिली राशि पर मोदी सरकार द्वारा 100 करोड़ रुपये का ब्याज कमाने समेत दिनभर की महत्वपूर्ण खबरें

आख़िर क्यों मनरेगा मज़दूरों को नहीं मिलती उचित मज़दूरी?

देश में दूसरे रोज़गारों की उपलब्धता इतनी कम है कि ग्रामीणों को मजबूरन मनरेगा में काम करना पड़ रहा है. इस स्थिति में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि मनरेगा में कार्यरत ग्रामीण बंधुआ मज़दूर बन गए हैं. उनके लिए न तो एक सम्मानजनक मानदेय है और न ही समय पर मज़दूरी मिलने की कोई उम्मीद.

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