माना जाता है कि जब भी एनडीए सत्ता में आती है, इसकी डोर आरएसएस के हाथों में होती है. लेकिन 2019 के विजयादशमी भाषण के अधिकांश हिस्से में संघ प्रमुख मोहन भागवत का मोदी सरकार के बचाव में बोलना उनके घटते महत्व की ओर इशारा करता है.
गुजरात का विकास मॉडल एक भ्रम था. गुजरात दंगों के बाद मुस्लिम को अलग-थलग करने का जो प्रयोग शुरू हुआ, मोदी-शाह उसी के सहारे केंद्र में सत्ता में आए. आज यही गुजरात मॉडल सारे देश में अपनाया जा रहा है. 370 का मुद्दा उसी प्रयोग की अगली कड़ी है, जिसे मोदी शाह महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव में भुनाने जा रहे हैं.
मध्य प्रदेश में जिस दिन से कांग्रेस की सरकार बनी, उस दिन से भाजपा इसे अल्पमत में बता रही है. कर्नाटक के राजनीतिक घटनाक्रम के बाद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ने फिर कहा कि पार्टी हाईकमान का आदेश हो तो एक दिन में सरकार गिर जाएगी, लेकिन इसके बाद एक विधेयक को लेकर भाजपा के दो विधायकों के कांग्रेस के खेमे में खड़े नज़र आने से स्थितियां बदलती दिख रही हैं.
भाजपा के संस्थापक ने विरोधियों को एंटी-नेशनल कहने पर आपत्ति जताई है, जो मोदी-शाह की रणनीति और अभियान का प्रमुख तत्व रहा है. ऐसा ही कुछ लालकृष्ण आडवाणी ने 1970 के दशक के मध्य में आपातकाल के समय जेल में बंद होने के दौरान भी लिखा था.
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव की टीम का हिस्सा रहे शिवम शंकर सिंह कहते हैं, ‘मैं 2013 से भाजपा का समर्थक था क्योंकि नरेंद्र मोदी देश के लिए उम्मीद की किरण की तरह लगते थे और मुझे उनके विकास के नारे पर विश्वास था. अब वो नारा और उम्मीद दोनों जा चुके हैं.’
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक यह इस बात का प्रमाण है कि किस तरह मोदी-शाह की जोड़ी पार्टी के आतंरिक लोकतंत्र और उससे जुड़ी परंपराओं को ख़त्म कर रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में हुए शपथ ग्रहण समारोह में ठाकुर के साथ 10 अन्य मंत्रियों ने भी पद की शपथ ली.