मानवाधिकार संगठनों ने एक पत्र जारी कर जुबैर के खिलाफ दर्ज हालिया एफआईआर को तुरंत वापस लेने और केंद्र सरकार से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने की मांग की है.
यूपी पुलिस ने कट्टरपंथी नेता यति नरसिंहानंद की कथित हेट स्पीच पर पोस्ट करने को लेकर फैक्ट-चेकर मोहम्मद ज़ुबैर के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया है. इसके ख़िलाफ़ ज़ुबैर की याचिका की सुनवाई से इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और प्रशांत कुमार की पीठ ने ख़ुद को अलग कर लिया.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने कट्टरपंथी नेता यति नरसिंहानंद द्वारा कथित नफ़रती भाषण पर पोस्ट करने के मामले में फैक्ट-चेकर और ऑल्ट न्यूज़ के पत्रकार मोहम्मद जुबैर के ख़िलाफ़ भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को ख़तरे में डालने वाले कृत्यों से निपटने वाले क़ानून का इस्तेमाल किया है.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने यति नरसिंहानंद की सहयोगी उदिता त्यागी की शिकायत पर मोहम्मद जुबैर के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की है. त्यागी ने आरोप लगाया कि जुबैर ने 3 अक्टूबर को नरसिंहानंद के ख़िलाफ़ हिंसा भड़काने के लिए उनकी एक पुरानी क्लिपिंग पोस्ट की थी.
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक एक्स यूजर को फैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए उनसे माफ़ी मांगने का निर्देश देते हुए कहा कि वह एक सप्ताह के भीतर अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर माफ़ी प्रकाशित करें और आपत्तिजनक ट्वीट का संदर्भ भी दें.
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ऑल्ट न्यूज़ के पत्रकार मोहम्मद ज़ुबैर पर मुज़फ़्फ़रनगर के स्कूल के मुस्लिम छात्र को साथी छात्रों द्वारा पीटने संबंधी वीडियो साझा कर छात्र की पहचान ज़ाहिर करने के आरोप में केस दर्ज किया गया है. ज़ुबैर ने इसे 'बदले की राजनीति' बताते हुए कहा है कि उन्होंने एनसीपीसीआर के कहने के बाद उक्त वीडियो हटा दिया था.
दिल्ली हाईकोर्ट ने पत्रकार मोहम्मद ज़ुबैर की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें उनके ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर को रद्द करने की मांग की गई थी, क्योंकि उन्होंने एक ट्विटर यूज़र को जवाब दिया था, जिसने उन्हें गाली दी थी और उनके पेज पर सांप्रदायिक टिप्पणियां भी की थीं.
फैक्ट-चेक करने वाली वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को धमकियां मिलने का सिलसिला तब से शुरू हुआ, जब उनके संस्थान ने तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मज़दूरों पर हो रहे हमलों संबंधी कथित दावों का पर्दाफाश किया था.
यह मामला ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर द्वारा अगस्त 2020 में किए गए एक ट्वीट से संबंधित है, जिसमें उन्होंने एक यूज़र की प्रोफाइल पिक्चर शेयर करते हुए पूछा था कि क्या अपनी पोती का फोटो लगाकर आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करना सही है. इसके बाद यूज़र ने उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करा दी थी.
कॉन्सटिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप से जुड़े देश के 72 पूर्व नौकरशाहों के एक समूह ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को पत्र लिखकर फैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर को लगातार हिरासत में रखने और उनकी निजी स्वतंत्रता के हनन पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि क़ानून के समक्ष समानता के संवैधानिक सिद्धांत के समर्थक के रूप में नुपुर शर्मा और मोहम्मद जुबैर के बीच भेदभावपूर्ण व्यवहार को देखना बहुत परेशान करने वाला है.
उत्तर प्रदेश की ग़ाज़ियाबाद पुलिस द्वारा एक मुस्लिम बुज़ुर्ग के साथ कथित तौर पर मारपीट, उनकी दाढ़ी खींचने और उन्हें ‘जय श्री राम’ कहने के लिए मजबूर करने से संबंधित एक वीडियो वायरल होने को लेकर ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी को जारी किए गए नोटिस को कर्नाटक हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. ट्विटर ने अगस्त में माहेश्वरी को अमेरिका स्थानांतरित कर दिया था.
कंपनी ने ट्विटर के भारत प्रमुख मनीष माहेश्वरी के तबादले की कोई वजह नहीं बताई है. उन्होंने कहा है कि माहेश्वरी को अमेरिका में नई जिम्मेदारी दी गई है, वह नए बाजारों पर ध्यान देंगे.
कर्नाटक हाईकोर्ट ने नोटिस को रद्द करते हुए कहा कि इसे दुर्भावना से जारी किया गया था. ग़ाज़ियाबाद पुलिस ने मुस्लिम बुज़ुर्ग के साथ कथित तौर पर मारपीट, उनकी दाढ़ी खींचने और उन्हें जय श्री राम कहने के लिए मजबूर करने से संबंधित एक वीडियो वायरल होने को लेकर ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी को नोटिस जारी कर उनके समक्ष पेश होने के लिए कहा था. ऐसा न करने पर पुलिस ने क़ानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी थी.