समान नागरिक संहिता बिल पास करने के लिए उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पर चर्चा और पारित करने के लिए 5 फरवरी को उत्तराखंड विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया है. इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से मई 2022 में राज्य द्वारा सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश  रंजना प्रकाश देसाई की अगुवाई में गठित पांच सदस्यीय समिति 2 या 3 फरवरी को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप सकती है. बताया गया है कि रिपोर्ट में लैंगिक समानता और पैतृक संपत्तियों में बेटियों के लिए समान अधिकार पर जोर दिया गया है. हालांकि, इसमें महिलाओं की विवाह योग्य आयु को बढ़ाकर 21 वर्ष करने का सुझाव न देते हुए इसे 18 साल बरकरार रखने की सिफारिश की गई है. अख़बार ने यह भी बताया है कि एक बार उत्तराखंड विधानसभा यूसीसी पारित कर देगा, तो भाजपा शासित दो अन्य राज्य – गुजरात और असम भी कमोबेश इसी तरह का विधेयक पारित करेंगे. ऐसा संभव है कि लोकसभा चुनाव से पहले तीनों राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू हो जाएगी.

तमिलनाडु सरकार ने फैक्ट-चेकर मोहम्मद जुबैर को सांप्रदायिक सद्भाव पुरस्कार से सम्मानित किया है. रिपोर्ट के अनुसार, जुबैर को साल 2024 का कोट्टई अमीर सांप्रदायिक सद्भाव पुरस्कार देते हुए कहा गया है कि ‘जुबैर सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न सेवाएं दे रहे हैं. प्रतीक सिन्हा के साथ मिलकर ऑल्ट न्यूज़ वेबसाइट बनाने में  जुबैर ने असल ख़बरों को प्रधानता देते हुए सोशल मीडिया पर आने वाली खबरों को फैक्ट-चेक करने का एक तरीका विकसित किया है. उनका काम समाज में फर्जी खबरों के कारण होने वाली हिंसा की घटना को रोकने में मदद करता है.’ सरकार द्वारा जारी नोट में मार्च 2023 की घटनाओं का खासतौर पर जिक्र किया गया है, जब सोशल मीडिया पर यह प्रोपगैंडा फैलाया गया था कि तमिलनाडु में प्रवासी श्रमिकों पर हमला हुआ है. सरकार के अनुसार, ऑल्ट न्यूज़ द्वारा वीडियो की प्रामाणिकता यह साबित करने में सहायक हुई थी कि वायरल हो रही फुटेज तमिलनाडु से बिल्कुल नहीं थी. इसने तमिलनाडु के खिलाफ अफवाहों को फैलने से रोका और राज्य में जाति, धर्म, नस्ल और भाषा के कारण होने वाली हिंसा को रोकने के लिए काम किया.

नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने कहा कि भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने के केंद्र के फैसले को लागू करने से पहले गहन चर्चा की जरूरत है. द टेलीग्राफ के अनुसार, शुक्रवार को पत्रकारों द्वारा इस मुद्दे पर राज्य के रुख के बारे में पूछे जाने पर रियो ने कहा कि सरकार को जनता से परामर्श करना होगा. अगर जरूरत पड़ी तो हमें एक फॉर्मूला तैयार करना होगा कि लोगों की समस्या का समाधान कैसे किया जाए और घुसपैठ को कैसे रोका जाए, क्योंकि नगालैंड की सीमा म्यांमार से लगती है और दोनों तरफ नगा लोग हैं. बहुत से लोग भारतीय हिस्से में रहते हैं, लेकिन उनके खेत दूसरी तरफ हैं. इसलिए एक व्यावहारिक फॉर्मूला होना चाहिए. मालूम हो कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले सप्ताह कहा था कि सरकार भारत-म्यांमार सीमा पर लोगों की मुक्त आवागमन को ख़त्म करते हुए वहां पूरी तरह से फेंसिंग (बाड़ लगाना) देगी ताकि इसे बांग्लादेश के साथ देश की सीमा की तरह संरक्षित किया जा सके.

देश में साल 2013 से 2022 के बीच ठंड के कारण हर साल औसतन 800 से अधिक लोगों की मौत हुई है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी आंकड़ों और बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, इस दशक के दौरान साल 2015 में ठंड से सबसे अधिक 1,149 लोगों की मौत हुई और 2021 में सबसे कम 618 मौतें दर्ज की गईं. साल 2022 में ठंड से सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में 192 लोगों की मौत ​की सूचना है. केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय की नवीनतम पर्यावरण सांख्यिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में देश के 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से प्रत्येक में शीतलहर के दिनों की औसत संख्या 57 हो गई. 2019 में 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसे दिनों की सबसे अधिक संख्या 103 दर्ज की गई थी.

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