कुछ दिन पहले इज़रायल के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने फ्रांस के अपने समकक्ष के साथ बातचीत करने के लिए गुप्त रूप से पेरिस का दौरा किया था, जिसका उद्देश्य फ्रांस के राष्ट्रपति और अन्य शीर्ष अधिकारियों के सेल फोन को इज़रायली कंपनी एनएसओ समूह द्वारा तैयार किए गए पेगासस स्पायवेयर के कथित इस्तेमाल को लेकर पैदा हुए संकट को समाप्त करना था.
पेगासस प्रोजेक्ट द्वारा सर्विलांस के संभावित लक्ष्यों वाले लीक डेटाबेस में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का नंबर होने की जानकारी सामने आने के 24 घंटों के अंदर ही फ्रांस ने मामले की जांच के आदेश दिए. वहीं, इज़रायल ने आरोपों की जांच के लिए अंतर-मंत्रालयी टीम गठित की है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी इज़रायल इकाई द्वारा जारी एक हिब्रू बयान को ग़लत तरीके से उद्धृत करने, ग़लत अनुवाद करने और ग़लत व्याख्या करने वाली कुछ वेबसाइटों की ख़बरों को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया है. संगठन की ओर से कहा गया है कि इन ख़बरों का इस्तेमाल मोदी सरकार द्वारा उन आरोपों को ख़ारिज करने के प्रयास में किया जा रहा है कि भारत में एक आधिकारिक एजेंसी पत्रकारों और विपक्षी राजनेताओं की जासूसी कर रही है.
पेगासस प्रोजेक्ट: एनएसओ ग्रुप के ग्राहक देशों द्वारा इस्तेमाल किए गए फोन नंबरों का लीक डेटा बताता है कि कम से कम एक शाही परिवार प्रमुख और वर्तमान में कार्यरत तीन राष्ट्रपतियों व तीन प्रधानमंत्रियों को पेगासस स्पायवेयर के ज़रिये होने वाली संभावित हैकिंग के लिए चुना गया था.