कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: अमृतकाल में बुद्धि अभद्र शब्द बन गया है. बुद्धिजीवियों का लगभग रोज़ अपमान किया जाता है. अपनी बुद्धिहीनता को नेता आभूषण की तरह पहनकर रौब जमाते हैं. राजनीति में बुद्धि नहीं तिकड़म और हिकमत से सब काम चल रहा है. मधु लिमये इसके बरक़स, एक बुद्धिशील राजनीतिज्ञ थे.
देश के पहले चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन की याद में आयोजित व्याख्यान के दौरान पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र समय की कसौटी पर हर बार खरा उतरा है.