दिल्ली हिंसा के दौरान क्या था खजूरी ख़ास इलाके का हाल

वीडियो: उत्तर पूर्वी दिल्ली में बीते दिनों हुई हिंसा के दौरान खजूरी ख़ास क्षेत्र भी प्रभावित हुआ है. मंगलवार को क्षेत्र में हुई हिंसा के बाद वहां के स्थानीयों से सृष्टि श्रीवास्तव की बातचीत.

चुनाव आयोग द्वारा प्रतिबंधित अधिकारी की अगुवाई में होगी दिल्ली दंगे की जांच, दो एसआईटी गठित

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के तहत गठित एसआईटी टीमों में से एक के प्रमुख डीसीपी जॉय टिर्की होंगे जबकि दूसरी टीम का नेतृत्व डीसीपी राजेश देव करेंगे. ये दोनों अधिकारी जामिया और जेएनयू हिंसा मामलों की भी जांच कर रहे हैं.

दिल्ली हिंसा के ज़िम्मेदार सत्ता के शीर्ष पर बैठे हैं

दिल्ली हिंसा की तैयारी में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, दूसरे केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा के नेताओं के प्रत्यक्ष और परोक्ष मुसलमान विरोधी उकसावे की भूमिका है. अगर कभी इस हिंसा की निष्पक्ष जांच हुई, जिसकी उम्मीद न के बराबर है तो इन सब पर इन सभी हत्याओं के लिए ज़िम्मेदारी तय की जाएगी.

सीएए-एनआरसी-एनपीआर का हर हाल में बहिष्कार क्यों करें राज्य सरकारें

ग़ैर-भाजपा शासित प्रदेश सरकारों को नागरिकता संशोधन कानून का बहिष्कार करते हुए इसे निरस्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रास्ता अख़्तियार करना चाहिए. साथ ही इस समस्या की जड़ 2003 वाले नागरिकता संशोधन को भी निरस्त करने की मांग करनी चाहिए.

सीएए विरोधी जनांदोलन से पैदा हो रहे गीत और कविताएं प्रतिरोध की नई इबारत लिख रहे हैं

नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन के मद्देनज़र लिखी गईं कविताएं युवाओं के बीच कविता की लोकप्रियता के प्रति उम्मीद तो जगाती ही हैं, साथ ही इन्होंने युवाओं को सामाजिक-राजनीतिक सरोकारों के प्रति भी सचेत किया है.

शाहीन बाग़: ‘गांधीजी की अहिंसा की लड़ाई ऐसी ही थी जैसी हमारी, हमारे पास भी बस आवाज़ है’

शाहीन बाग़ में नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी के ख़िलाफ़ बैठी महिलाओं का कहना है कि मज़हबी होने का मतलब कट्टरता नहीं बल्कि भाईचारा है. हम हर मज़हब और उसके मानने वालों की इज्ज़त करते हैं. सब अपने-अपने दस्तूर मानें और माननें दें.

फिल्म इंडस्ट्री हमेशा सत्ताधारियों के साथ रही है: नसीरुद्दीन शाह

साक्षात्कार: बीते दिनों द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ भाटिया के साथ बातचीत में फिल्म अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने सीएए-एनआरसी-एनपीआर के विरोध में चल रहे विरोधी प्रदर्शनों, सांप्रदायिकता के उभार और अहम मसलों पर फिल्म उद्योग के बड़े नामों की चुप्पी समेत कई विषयों पर बात की.

क्या देशव्यापी एनआरसी लागू करने को लेकर अमित शाह ने संसद में झूठ बोला था?

बीते मंगलवार को गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने संसद में कहा कि अभी तक एनआरसी को राष्ट्रीय स्तर पर तैयार करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है. हालांकि राय का ये बयान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पूर्व में दिए गए बयानों के बिल्कुल उलट है.

‘लव जिहाद’ का कोई मामला केंद्रीय एजेंसियों के संज्ञान में नहीं आया: गृह मंत्रालय

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने लोकसभा में बताया कि ‘लव जिहाद’ शब्द मौजूदा कानूनों के तहत परिभाषित नहीं है. संविधान का अनुच्छेद 25 किसी भी धर्म को स्वीकारने, उस पर अमल करने और उसका प्रचार-प्रसार करने की आजादी देता है.

गृह मंत्रालय ने संसद में दी सफाई, देशव्यापी एनआरसी लाने पर अभी कोई फैसला नहीं

देश के कई स्थानों पर संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों के बीच केंद्र सरकार ने संसद में यह सफाई दी है.

साल 2019 के लिए ऑक्सफोर्ड का हिंदी शब्द बना ‘संविधान’

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस ने कहा कि कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का सरकार का निर्णय एक ऐसा मुद्दा था जिसके कारण संविधान काफी चर्चा में रहा और इसने अपनी ओर लोगों का ध्यान खींचा.

एनआरसी बन रहा है, इसमें क्या आपत्ति है: राजनाथ सिंह

कर्नाटक के मंगलुरु में एक रैली को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि एनआरसी पर मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या हर देश को यह नहीं पता होना चाहिए कि उसकी ज़मीन पर कितने नागरिक रहते हैं और कितने विदेशी रहते हैं?

भारतीय संविधान की 70वीं वर्षगांठ और ‘हम भारत के लोग’

पिछले 40-45 वर्षों में संविधान की नींव कई बार हिली और ‘हम भारत के लोगों’ को तोड़ने के कई प्रयास किए गए, पर ‘हम लोग’ की परिभाषा अपरिवर्तित ही रही. कई सरकारें आईं-गईं पर एक समूचे समुदाय को देश की मुख्यधारा से काटने का प्रयास नहीं हुआ, लेकिन आज परिस्थितियां और हैं.

क्या नागरिकता क़ानून को लेकर गांधी के नाम पर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री दोनों ही झूठ बोल रहे हैं?

बीते दिनों एक रैली में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि महात्मा गांधी ने 1947 में कहा था कि पाकिस्तान में रहने वाला हिंदू, सिख हर नज़रिये से भारत आ सकता है. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बताया था कि गांधी जी ने कहा था कि पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू और सिख साथियों को जब लगे कि उन्हें भारत आना चाहिए तो उनका स्वागत है. क्या वाकई महात्मा गांधी ने ऐसा कहा था जैसा प्रधानमंत्री और गृहमंत्री

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