भारत सरकार अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों के बारे में राज्यों से जुटाए गए बायोग्राफिक आंकड़ों को म्यांमार सरकार के साथ साझा करेगी. इसके आधार पर इनकी नागरिकता की पुष्टि की जा सकेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने असम में अवैध रूप से आए सात रोहिंग्याओं को उनके मूल देश म्यांमार भेजने के सरकार के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित म्यांमार की नेता आंग सान सू ची को कनाडा की संसद ने 2007 में मानद नागरिकता दी थी.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के दो पत्रकारों को रखाइन में सैन्य कार्रवाई के दौरान हुए अत्याचारों की रिपोर्टिंग करते हुए देश के सरकारी गोपनीयता क़ानून तोड़ने के लिए पिछले सप्ताह सात-सात साल की जेल की सज़ा सुनाई गई.
साक्षात्कार: पूर्वोत्तर राज्यों पर लिखी संजय हज़ारिका की नई किताब 'स्ट्रेंजर्स नो मोर' पिछली किताब ‘स्ट्रेंजर्स ऑफ द मिस्ट’ के करीब 25 साल बाद आई है. इस बीच इस क्षेत्र ने कई बदलाव देखे, लेकिन हज़ारिका का मानना है कि यहां के मूल मुद्दे अब भी वही हैं, जो तब थे.
संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत यांगी ली ने कहा कि जब तक कोई भरोसेमंद अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण सबूतों को परख नहीं लेता, तब तक हम निश्चित तौर पर नरसंहार की घोषणा नहीं कर सकते, लेकिन हमें संकेत नज़र आ रहा है.
इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, नगालैंड, त्रिपुरा, मेघालय, मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और मणिपुर के प्रमुख समाचार.
यूनिसेफ के उप कार्यकारी निदेशक जस्टिन फोर्सिथ का कहना है कि म्यांमार के रखाइन प्रांत के गांवों में अब भी हमले हो रहे हैं.
बांग्लादेश सरकार के फैसले का विरोध करते हुए रोहिंग्या शरणार्थियों ने नागरिकता और सुरक्षा की गारंटी की मांग वाले नारे लगाए.
रोहिंग्या मुसलमानों के नए जत्थे के बांग्लादेश में दाख़िल होने के बाद बायोमेट्रिक पंजीकरण शुरू किया गया था. म्यांमार में मुस्लिम अल्पसंख्यक दशकों से अत्याचार का सामना करते रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र की दूत ने भी शरणार्थी महिलाओं से गैंगरेप की बात कही थी.
संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत ने कहा कि उन्होंने सामूहिक बलात्कार की भयावह कहानियां सुनी हैं जिनमें कई महिलाओं और लड़कियों की जान चली गई.
बांग्लादेश के कॉक्स बाज़ार में रह रहे सात लाख शरणार्थियों को हैजे का टीका लगाया गया. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के कॉलेज ने जूनियर कॉमन रूम के टाइटल से सू ची का नाम हटाया.
दुनिया ने रोहिंग्याओं के ख़िलाफ़ सहानुभूति में इतनी कंजूसी दिखाई है कि सहानुभूति की कोई भी अपील ईश्वर की आवाज़ की तरह सुनाई देती है.
हम भी भारत की पांचवीं कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी रोहिंग्या शरणार्थी संकट पर म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि रह चुके विजय नांबियार और आॅब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के वरिष्ठ फेलो मनोज जोशी से चर्चा कर रही हैं.