मीडिया में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कोविड-19 की व्यापकता का अनुमान लगाने के लिए भारत के पहले राष्ट्रीय सीरो-प्रीवलेंस सर्वेक्षण के शोधकर्ताओं से 11 मई और 4 जून के बीच 10 शहरों के हॉटस्पॉट से एकत्र किए गए डेटा को शोध-पत्र से हटाने के लिए कहा था.
सीरो-सर्वेक्षण अध्ययनों में लोगों के ब्लड सीरम की जांच करके किसी आबादी या समुदाय में ऐसे लोगों की पहचान की जाती है, जिनमें किसी संक्रामक रोग के ख़िलाफ़ एंटीबॉडी विकसित हो जाती हैं. राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र ने दिल्ली सरकार के सहयोग से 27 जून से 10 जुलाई तक के बीच सीरो-प्रीवलेंस अध्ययन किया.
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मौजूदा हालात को देखते हुए ज़रूरी शर्तों या प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए आईसीएमआर द्वारा दिया गया एक महीने का समय बहुत लंबा है.