ज़मानत देते समय अदालत को क़ैदी की आर्थिक स्थिति का भी ध्यान रखना चाहिए: कोर्ट

ज़मानत नीति में सुधार के एक मामले को सुनते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि अदालतों द्वारा हर प्रयास किया जाना चाहिए कि जब वे ज़मानत दें, तो इसका कोई अर्थ होना चाहिए क्योंकि ऐसी ज़मानत शर्तें, जो क़ैदी की आर्थिक स्थिति से परे हों, लगाने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होता है.

ज़मानत मिलने के बावजूद 5,000 विचाराधीन क़ैदी जेलों में थे: नालसा

नवंबर 2022 में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान दिवस पर दिए गए भाषण में ज़मानत राशि भरने के लिए पैसे की कमी के कारण ग़रीब आदिवासियों के जेल में बंद होने का ज़िक्र किया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे क़ैदियों का ब्योरा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे.

झारखंड: किन वजहों से जेलों में बंद रहने को मजबूर हैं आदिवासी और हाशिये से आने वाले लोग

बीते दिनों राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छोटे-मोटे अपराधों में जेल की सज़ा काट रहे आदिवासियों की दुर्दशा का ज़िक्र किया था, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने इस बात का संज्ञान लिया था. झारखंड की जेलों में भी कई ऐसे विचाराधीन क़ैदी हैं, जिन्हें यह जानकारी तक नहीं है कि उन्हें किस अपराध में गिरफ़्तार किया गया था.

जेल में बंद आदिवासियों पर राष्ट्रपति के बयान के बाद कोर्ट ने ऐसे क़ैदियों पर रिपोर्ट तलब की

बीते 26 नवंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड के अलावा अपने गृह राज्य ओडिशा के ग़रीब आदिवासियों को लेकर कहा था कि ज़मानत राशि भरने के लिए पैसे की कमी के कारण वे बेल मिलने के बावजूद जेल में हैं. अब सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के जेल अधिकारियों को ऐसे क़ैदियों का ब्योरा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.

अदालत कम लोग पहुंचते हैं, अधिकतर आबादी मौन रहकर पीड़ा सहती है: प्रधान न्यायाधीश

भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने न्याय तक पहुंच को ‘सामाजिक उद्धार का उपकरण’ बताते हुए कहा कि आधुनिक भारत का निर्माण समाज में असमानताओं को दूर करने के लक्ष्य के साथ किया गया था. लोकतंत्र का मतलब सभी की भागीदारी के लिए स्थान मुहैया कराना है. सामाजिक उद्धार के बिना यह भागीदारी संभव नहीं होगी. 

विधायिका पारित क़ानून के प्रभाव का आकलन नहीं करती, जिससे बड़े मुद्दे खड़े होते हैं: सीजेआई

संविधान दिवस समारोह के समापन कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि अदालतों में मामले लंबित होने का मुद्दा बहुआयामी है. विधायिका अपने द्वारा पारित क़ानूनों के प्रभाव का अध्ययन नहीं करती और इससे कभी-कभी बड़े मुद्दे उपजते हैं. ऐसे में पहले से मुक़दमों का बोझ झेल रहे मजिस्ट्रेट हज़ारों केस के बोझ से दब गए हैं.

न्यायपालिका की स्वतंत्रता और सत्यनिष्ठा की सभी स्तरों पर रक्षा करना अत्यंत आवश्यक: एनवी रमना

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने राष्ट्रीय क़ानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि हम एक कल्याणकारी राज्य का हिस्सा हैं, उसके बावजूद लाभ इच्छित स्तर पर लाभान्वितों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. सम्मानजनक जीवन जीने की लोगों की आकांक्षाओं को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इनमें से ग़रीबी एक मुख्य चुनौती है.

क़ानूनी पेशा मुनाफ़े में बढ़ोतरी नहीं, बल्कि समाज की सेवा के लिए है: सीजेआई एनवी रमना

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने ‘क़ानूनी सेवा दिवस’ के मौक़े पर राष्ट्रीय क़ानूनी सेवा प्राधिकरण (नालसा) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि क़ानून में शिक्षित छात्र समाज के कमजोर और वंचित वर्गों की आवाज़ बनने के लिए सशक्त हैं. 

भारत में शिक्षा समावेशी नहीं, शिक्षा के मामले में हम अब भी पीछे: जस्टिस ललित

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित ने गुजरात के भुज में एक कानूनी सेवा शिविर और जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी शिक्षा समावेशी नहीं है. कुछ गांवों और बड़े शहरों में जो शिक्षा प्रदान की जाती है, उनकी गुणवत्ता में कोई अंतर नहीं है. हमें इन सब पर विचार करना चाहिए. जब तक हम इसे हासिल नहीं कर लेते, सतत विकास मानकों के अनुसार शिक्षा के मामले में हम कमज़ोर रहेंगे.

जेल में बंद महिलाओं को अक्सर लांछन और भेदभाव का सामना करना पड़ता है: प्रधान न्यायाधीश

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने एक कार्यक्रम में कहा कि जेल में बंद महिलाओं को अक्सर  गंभीर पूर्वाग्रह, लांछन और भेदभाव का सामना करना पड़ता है तथा पुरुष क़ैदियों की भांति इन महिला क़ैदियों का समाज में फिर से एकीकरण सुनिश्चित करने के लिए कल्याणकारी राज्य के रूप में भारत का सेवाएं प्रदान करने का दायित्व बनता है.

थानों में मानवाधिकारों के हनन का सबसे ज़्यादा ख़तरा: सीजेआई रमना

सीजेआई एनवी रमना ने एक कार्यक्रम में कहा कि हमारे संविधान में इस बात की गारंटी दी गई है कि लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा होगी, फिर भी थानों में क़ानूनी प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाता जिसके अभाव में गिरफ़्तार या हिरासत में लिए गए लोगों को वहां सबसे अधिक ख़तरा रहता है.

भारत में क़ानूनी मदद पर प्रति व्यक्ति मात्र 0.75 रुपये ख़र्च होते हैं: रिपोर्ट

राष्ट्रमंडल मानवाधिकार पहल की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार, सिक्किम और उत्तराखंड जैसे राज्यों में विधिक सेवा प्राधिकारों को आवंटित धनराशि में से 50 फीसद से भी कम ख़र्च किया गया.

निर्भया कोष से केवल 5 से 10 फीसद पीड़ितों को ही मुआवज़ा मिला: नालसा

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निदेशक ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यह चौंकाने वाला है कि आंध्र प्रदेश में 2017 में यौन हिंसा के 901 मामले दर्ज हुए परंतु सिर्फ एक ही पीड़ित को मुआवज़ा मिल सका.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, रिहाई की सिफ़ारिश के बावजूद क्यों भरी हैं जेलें

शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के मुख्य सचिवों को जेल में सालों से रह रहे क़ैदियों की स्थिति पर हलफ़नामा दर्ज करने का आदेश दिया है.