पुलिस हिरासत में मौतों पर जवाबदेह कौन?

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़े बताते हैं कि पिछले पांच साल में पुलिस हिरासत में सबसे ज़्यादा मौत के मामले में मध्य प्रदेश तीसरे नंबर पर है. अगस्त 2023 में सरकार ने बताया था कि 1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2023 तक ऐसी मौतों के मामले में गुजरात पहले और महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर था.

भाजपा के दस साल और महिलाओं की स्थिति

पिछले कुछ वर्षो में बलात्कारी के तथाकथित हिंदू और भाजपा या संघ समर्थक होने पर उसके पक्ष में क्या-क्या नहीं किया गया. बलात्कारियों को बचाने के लिए जुलूस निकाले गए, राष्ट्रीय ध्वज लेकर भी मार्च निकाला गया, थानों पर दबाव बनाए गए, मीडिया को ख़ामोश किया गया. यहां तक कि पीड़िताओं में ही दोष निकाला गया, उनके चरित्र को तार-तार किया गया, उनके परिवारों को फुसलाया और धमकाया गया और सौदा करने पर मज़बूर किया गया.

उत्तर प्रदेश में पिछले साल महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के सर्वाधिक मामले देखे गए: रिपोर्ट

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की 2022 की रिपोर्ट बताती है कि योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाले उत्तर प्रदेश में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के 65,743 मामले दर्ज किए गए, इसके बाद महाराष्ट्र में 45,331 मामले और राजस्थान में 45,058 मामले दर्ज किए गए.

उत्तर प्रदेश: सुल्तानपुर में मज़दूरी मांगने पर दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर ज़िले का मामला. घटना 25 अगस्त को घटी थी, लेकिन अब तक परिजनों को 18 वर्षीय दलित युवक की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं मिल सकी है. परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्हें इसलिए मार दिया गया, क्योंकि वह दलित समुदाय से थे. मामले में मुख्य आरोपी ने आत्मसमर्पण कर दिया है.

ऑनर किलिंग के तहत दर्ज मामलों में वृद्धि, लेकिन इसके ख़िलाफ़ कोई क़ानून नहीं: अध्ययन

दलित ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स नेटवर्क ने सात राज्यों में जाति आधारित 'ऑनर किलिंग' के मामलों का अध्ययन किया और पाया कि किसी विशेष क़ानून के अभाव में इस अपराध की वास्तविक स्थिति पता लगाना असंभव है.

महाराष्ट्र में क़ानूनी सहायता सेवाओं तक 8 फीसदी से भी कम क़ैदियों की पहुंच: अध्ययन

महाराष्ट्र में क़ानूनी सहायता की स्थिति और उपलब्धता पर एक विस्तृत अध्ययन से पता चलता है कि 2016 और 2019 के बीच राज्य की जेलों में बंद कुल विचाराधीन क़ैदियों में से 8 फीसदी से भी कम क़ानूनी सहायता सेवाओं तक पहुंच बना सके. क़ैदियों में से अधिकांश अशिक्षित हैं और हाशिये की जातियों एवं धर्मों से संबंधित हैं.