सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को दो से छह प्रतिशत के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया हुआ है, लेकिन यह लगातार तीसरा महीना है जब यह छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है.
फिच के अलावा इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 11.8 प्रतिशत की गिरावट आएगी. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आई है. यह दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट के सबसे ऊंचे आंकड़ों में से एक है.
मुख्य आर्थिक सलाहकार आश्वस्त कर रहे हैं कि सरकार के पास भविष्य में सही समय पर जारी करने के लिए काफी संसाधन हैं. लेकिन सौ सालों में एक बार आने वाले आर्थिक संकट का सामना कर रही अर्थव्यवस्था के पास बस एक ही चीज़ की किल्लत होती है और वह है समय.
राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, जून तिमाही में सिर्फ़ कृषि, वानिकी और मत्स्य उद्योग में विकास दर्ज की गई है. तीनों क्षेत्रों में विकास दर 3.4 प्रतिशत रही. साल 1996 में जीडीपी वृद्धि के तिमाही आंकड़े देने की शुरुआत किए जाने के बाद से यह सबसे ज़्यादा गिरावट है.
केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी के बाद लागू लॉकडाउन के दौरान लगातार दूसरे महीने खुदरा मुद्रास्फीति के आंशिक आंकड़े जारी किए. मई 2019 में खाद्य महंगाई दर 1.83 फीसदी थी.
सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, बीते वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी की वृद्धि दर घटकर 11 साल के निचले स्तर 4.2 फीसदी पर पहुंच गई है.
यह पहली बार है जब केंद्र सरकार ने आधिकारिक तौर पर सर्वे पूरा होने के बाद एक सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी नहीं करने का फैसला किया है. वहीं, सरकार ने रिपोर्ट को रद्द करने से पहले एनएससी से परामर्श नहीं किया था.
प्याज सहित अन्य सब्जियों, दाल और मांस, मछली जैसी प्रोटीन वाली वस्तुओं के दाम चढ़ने से नवंबर माह में खुदरा मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 5.54 प्रतिशत पर पहुंच गई थी.
बिजली, खनन और विनिर्माण क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन के कारण औद्योगिक उत्पादन अक्टूबर महीने में 3.8 प्रतिशत घट गया. एक साल पहले इसी माह में इसमें 8.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की एक लीक रिपोर्ट में कहा गया है कि किसी भारतीय द्वारा एक महीने में खर्च की जाने वाली औसत राशि साल 2017-18 में 3.7 फीसदी कम होकर 1446 रुपये रह गई है, जो कि साल 2011-12 में 1501 रुपये थी.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर महीने में पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन 20.7 प्रतिशत घटा जबकि एक साल पहले इसी महीने में इसमें 6.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. वहीं, विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 3.9 प्रतिशत, बिजली क्षेत्र का उत्पादन 2.6 प्रतिशत घट गया.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से दिए गए आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 1.2 प्रतिशत घट गया. बिजली क्षेत्र का उत्पादन 0.9 प्रतिशत नीचे आया. टिकाऊ उपभोक्ता सामान क्षेत्र का उत्पादन भी 9.1 प्रतिशत घट गया.