अगस्त में औद्योगिक उत्पादन 1.1 प्रतिशत घटा, सात साल का सबसे ख़राब प्रदर्शन

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से दिए गए आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 1.2 प्रतिशत घट गया. बिजली क्षेत्र का उत्पादन 0.9 प्रतिशत नीचे आया. टिकाऊ उपभोक्ता सामान क्षेत्र का उत्पादन भी 9.1 प्रतिशत घट गया.

A man repairs gear parts used in automobiles inside a workshop at an industrial area in Mumbai, India. Small businesses have been struggling with the new tax. (Photo: Danish Siddiqui/Reuters)
(फोटो: रॉयटर्स)

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से दिए गए आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 1.2 प्रतिशत घट गया. बिजली क्षेत्र का उत्पादन 0.9 प्रतिशत नीचे आया. टिकाऊ उपभोक्ता सामान क्षेत्र का उत्पादन भी 9.1 प्रतिशत घट गया.

A man repairs gear parts used in automobiles inside a workshop at an industrial area in Mumbai, India. Small businesses have been struggling with the new tax. (Photo: Danish Siddiqui/Reuters)
(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: अर्थव्यवस्था में सुस्ती को दर्शाने वाला शुक्रवार को एक और आंकड़ा सामने आया. विनिर्माण, बिजली और खनन क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन की वजह से अगस्त महीने में औद्योगिक उत्पादन 1.1 प्रतिशत घट गया. यह औद्योगिक उत्पादन के मोर्चे पर पिछले सात साल का सबसे खराब प्रदर्शन है.

बीते जुलाई महीने में औद्योगिक उत्पादन में 4.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी.

पूंजीगत सामान और टिकाऊ उपभोक्ता सामान के उत्पादन में भारी गिरावट की वजह औद्योगिक उत्पादन घटा है. दो साल में यह पहला मौका है जब औद्योगिक उत्पादन नकारात्मक दायरे में आया है. अगस्त, 2018 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) 4.8 प्रतिशत बढ़ा था.

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 1.2 प्रतिशत घट गया. अगस्त 2018 में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 5.2 प्रतिशत बढ़ा था. आईआईपी में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी 77 प्रतिशत है.

इससे पहले अक्टूबर, 2014 में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 1.8 प्रतिशत घटा था.

समीक्षाधीन महीने में बिजली क्षेत्र का उत्पादन 0.9 प्रतिशत नीचे आया. अगस्त, 2018 में बिजली क्षेत्र का उत्पादन 7.6 प्रतिशत बढ़ा था. वहीं खनन क्षेत्र के उत्पादन की वृद्धि 0.1 प्रतिशत पर स्थिर रही.

इसी माह रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 6.1 प्रतिशत कर दिया है. इससे पहले केंद्रीय बैंक ने वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर घटकर छह साल के निचले स्तर पांच प्रतिशत पर आ गई है.

एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में सबसे खराब प्रदर्शन पूंजीगत सामान क्षेत्र का रहा. समीक्षाधीन महीने में पूंजीगत सामान का उत्पादन 21 प्रतिशत से अधिक घट गया. पिछले साल इसी महीने में पूंजीगत सामान का उत्पादन 10.3 प्रतिशत बढ़ा था.

टिकाऊ उपभोक्ता सामान क्षेत्र का उत्पादन भी 9.1 प्रतिशत घट गया. अगस्त, 2018 में यह 5.5 प्रतिशत बढ़ा था.

बुनियादी ढांचा-निर्माण क्षेत्र का प्रदर्शन भी काफी खराब रहा. इस क्षेत्र में 4.5 प्रतिशत की गिरावट आई. अगस्त, 2018 में इस क्षेत्र ने आठ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की थी.

हालांकि, समीक्षाधीन महीने में ‘मध्यवर्ती वस्तुओं’ के उत्पादन में अच्छी सात प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई. एक साल पहले समान महीने में इस क्षेत्र का उत्पादन 2.9 प्रतिशत बढ़ा था.

अगस्त में उपभोक्ता गैर टिकाऊ सामान क्षेत्र के उत्पादन की वृद्धि घटकर 4.1 प्रतिशत रह गई. एक साल पहले समान महीने में इस क्षेत्र का उत्पादन 6.5 प्रतिशत बढ़ा था.

उद्योगों के संदर्भ में बात की जाए तो विनिर्माण क्षेत्र के 23 में से 15 उद्योग समूहों के उत्पादन में गिरावट आई.

फिच ग्रुप की रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार पंत ने इन आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘यह नरमी मांग में कमी की वजह से है और राजकोषीय तंगी के कारण सरकार के पास मांग को प्रोत्साहित करने के लिए ज्यादा गुंजाइश नहीं है. इससे यह नरमी अभी और खिंचने की स्थित दिखती है.’

उन्होंने कहा, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय आर्थिक वृद्धि में संरचनात्मक गिरावट का सामना कर रही है. यह गिरावट मूल रूप से घरेलू बचतों में कमी आने, खाद्य मुद्रास्फीति निम्न होने तथा कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर का स्तर निम्न होने के कारण है. कृषि क्षेत्र की वृद्धि कम होने से कृषि और गैर कृषि क्षेत्र में मजदूरी की वृद्धि तथा ग्रामीण मांग प्रभावित हो रही है.

पंत का अनुमान है कि रिजर्व बैंक दिसंबर में नीतिगत दर में और कटौती कर सकता है.

एमके वेल्थ मैनेजमेंट के शोध प्रमुख के जोसफ थॉमस ने कहा, ‘इन आंकड़ों से पता चलता है कि विनिर्माण और औद्योगिक गतिविधियां कमजोर हैं. अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार के लिए तत्काल इन क्षेत्रों के लिए कुछ करने की जरूरत है.’

इक्रा की प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि अनुकूल आधार प्रभाव के बावजूद चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भी जीडीपी की वृद्धि दर में कोई विशेष सुधार की उम्मीद नहीं है.

चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अगस्त की अवधि के दौरान औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर घटकर 2.4 प्रतिशत रह गई है. इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 5.3 प्रतिशत रही थी.

इस बीच, एनएसओ ने जुलाई के लिए आईआईपी वृद्धि दर के आंकड़े के ऊपर की ओर संशोधित कर 4.6 प्रतिशत कर दिया है. पहले इसके 4.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था.

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