जन गण मन की बात की 218वीं कड़ी में विनोद दुआ सीबीएसई और एसएससी पेपर लीक मामले और मोदी सरकार के ख़िलाफ़ विपक्षी दलों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 216वीं कड़ी में विनोद दुआ नमो ऐप पर लगे यूजर का डेटा लीक करने के आरोप और कोबरापोस्ट द्वारा मीडिया हाउस पर किये पेड न्यूज़ के खुलासे पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 215वीं कड़ी में विनोद दुआ फेसबुक से जुड़े डेटा चोरी विवाद और लोकपाल की नियुक्ति को लेकर अन्ना हज़ारे द्वारा फिर से आंदोलन शुरू करने पर चर्चा कर रहे हैं.
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां मतदाताओं को प्रभावित करने के उद्देश्य से डेटा चोरी के आरोपों का सामना कर रही कैंब्रिज एनालिटिका से अपने-अपने चुनावी अभियान में मदद ले चुकी हैं.
जन गण मन की बात की 214वीं कड़ी में विनोद दुआ इराक़ में मारे गए 39 भारतीयों को लेकर केंद्र सरकार के खुलासे पर चर्चा कर रहे हैं.
शरद यादव ने कहा कि भाजपा द्वारा फैलायी जा रही सांप्रदायिकता को सामाजिक न्याय का आंदोलन ही रोक सकता है. आज सामाजिक विषमता का आलम यह है कि किसान, दलित और ग़रीब तबका बेहद दिक्कत में हैं.
जन गण मन की बात की 213वीं कड़ी में विनोद दुआ 62 विश्वविद्यालयों को स्वायत्तता देने के फैसले और दिल्ली में हो रहे राष्ट्र रक्षा महायज्ञ पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 212वीं कड़ी में विनोद दुआ एनडीए के घटक दलों में भाजपा से बढ़ती नाराज़गी और कांग्रेस की कमज़ोरियों पर चर्चा कर रहे हैं.
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कि उत्तर प्रदेश में भाजपा एकमात्र ताक़तवर पार्टी है और रहेगी. अगर 2019 में भी सपा-बसपा का गठबंधन होता है तो पार्टी मुक़ाबला करने को तैयार है.
जन गण मन की बात की 211वीं कड़ी में विनोद दुआ टीडीपी द्वारा मोदी सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव और अरविंद केजरीवाल द्वारा बिक्रम सिंह मजीठिया से माफ़ी मांगने पर चर्चा कर रहे हैं.
भाजपा की मुश्किलें बढ़ीं. कांग्रेस, एआईएडीएमके, टीएमसी, एनसीपी और सीपीएम ने टीडीपी के अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन देने का ऐलान किया.
दो दिन पहले मांझी ने मार्च में होने वाले राज्यसभा की छह सीटों के चुनाव के लिए बिहार से अपनी पार्टी के व्यक्ति को एनडीए उम्मीदवार घोषित किए जाने की मांग की थी. कांग्रेस के चार एमएलसी जदयू में शामिल.
लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सिर्फ़ घोषणाएं कर, अख़बार की सुर्ख़ियों में छा जाना हमारी संस्कृति नहीं.
सूचना के अधिकार के तहत वित्त मंत्रालय की ओर से दिए गए जवाब को केंद्रीय सूचना आयोग ने अस्पष्ट और क़ानून के अनुसार नहीं टिकने योग्य बताया.
माकपा महासचिव ने चुनावी बॉन्ड को छोटे राजनीतिक दलों के वजूद को ख़तरा बताते हुए कहा कि छोटी पार्टियों को ज़िंदा रखने के लिए चुनावी बॉन्ड के प्रावधानों को हटाना होगा.