एनडीटीवी प्रमोटर्स को पूंजी बाज़ार से प्रतिबंधित करने के सेबी के आदेश पर लगी रोक

बीते 14 जून को सेबी ने आदेश पारित करते हुए एनडीटीवी के तीन प्रवर्तकों को दो साल के लिए पूंजी बाज़ार से प्रतिबंधित कर दिया था. साथ ही इस अवधि के दौरान प्रणय रॉय और राधिका रॉय पर कंपनी के बोर्ड में या शीर्ष प्रबंधन स्तर पर बने रहने पर भी रोक लगाई गई थी. प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण ने सेबी के इस आदेश पर रोक लगा दी.

सेबी ने प्रणय और राधिका रॉय को एनडीटीवी में शीर्ष प्रबंधकीय पदों पर बने रहने पर लगाई पाबंदी

एनडीटीवी के एक शेयर होल्डर क्वांटम सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड की ओर से साल 2017 में की गई शिकायत के बाद सेबी ने यह रोक लगाई है. इसके साथ ही एनडीटीवी प्रमोटर्स प्रणय रॉय और राधिका रॉय को पूंजी बाजार में दो साल तक के लिए प्रतिबंधित कर दिया है. दोनों ने सेबी के आदेश को कानून और तय प्रक्रिया के खिलाफ बताते हुए अदालत में चुनौती देने का फैसला किया है.

जन गण मन की बात, एपिसोड 284: एनडीटीवी का स्टिंग ऑपरेशन और नागरिकता संशोधन विधेयक

जन गण मन की बात की 284वीं कड़ी में विनोद दुआ एनडीटीवी के एक स्टिंग ऑपरेशन में मॉब लिंचिंग के दो आरोपियों के अपराध स्वीकारने और नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा कर रहे हैं.

क्या आपातकाल को दोहराने का ख़तरा अब भी बना हुआ है?

आपातकाल कोई आकस्मिक घटना नहीं बल्कि सत्ता के अतिकेंद्रीकरण, निरंकुशता, व्यक्ति-पूजा और चाटुकारिता की निरंतर बढ़ती गई प्रवृत्ति का ही परिणाम थी. आज फिर वैसा ही नज़ारा दिख रहा है. सारे अहम फ़ैसले संसदीय दल तो क्या, केंद्रीय मंत्रिपरिषद की भी आम राय से नहीं किए जाते, सिर्फ़ और सिर्फ़ प्रधानमंत्री कार्यालय और प्रधानमंत्री की चलती है.

भारत में सरकार की आलोचना करने वाले मीडिया संस्थानों को परेशान किया गया: अमेरिकी विदेश मंत्रालय

अमेरिकी विदेश मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में प्रेस की स्वतंत्रता को दबाने की ऐसी कोशिश हाल के वर्षों में पहले अनुभव नहीं की गई.

मीडिया बोल, एपिसोड 25: जज लोया की मौत और मीडिया रिपोर्टिंग के विरोधाभास

मीडिया बोल की 25वीं कड़ी में उर्मिलेश, द कारवां के राजनीतिक संपादक हरतोष सिंह बल और आरटीआई कार्यकर्ता अं​जलि भारद्वाज के साथ जज लोया की मौत के मामले पर चर्चा कर रहे हैं.

जब पूर्वोत्तर और कश्मीर में मीडिया पर हमला होता है, तब प्रेस की आज़ादी की चर्चा क्यों नहीं होती?

दशकों से उत्तर-पूर्व और कश्मीर के मीडिया संस्थान अपनी आज़ादी की लड़ाई राष्ट्रीय मीडिया के समर्थन के बगैर लड़ रहे हैं.

फिर फर्ज़ी ख़बर फैलाते पाए गए भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा

सोशल मीडिया पर भारतीय सैनिकों की फर्ज़ी तस्वीर और जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार का फर्ज़ी वीडियो साझा करने के बाद संबित पात्रा एक बार फिर झूठी ख़बर फैलाते हुए पाए गए हैं.

मोदी राज में सीबीआई ताकतवरों को बचा रही है और आलोचकों को फंसा रही है

सीबीआई एनडीटीवी के संस्थापकों के घर छापे मार रही है जबकि अडानी, अंबानी और दूसरे ताकतवर व्यापारिक घरानों के लिए ख़िलाफ़ पर्याप्त साक्ष्य होने के बावजूद कार्रवाई नहीं कर रही है.

एनडीटीवी के संस्थापक प्रणय रॉय के घर सीबीआई का छापा

प्रणय रॉय, राधिका रॉय और आरआरपीआर होल्डिंग्स पर बैंक फ्रॉड का आरोप है. हालांकि, चैनल का कहना है कि एनडीटीवी और उसके प्रमोटर को झूठे आरोप में परेशान किया जा रहा है.

हमारे न्यूज़ चैनल तू-तू, मैं-मैं पर क्यों उतर आए हैं?

न्यूज़ चैनल हर विषय पर दलीय प्रवक्ताओं की भीड़ क्यों इकट्ठा करना चाहते हैं? क्या वे राजनीतिक दलों, ख़ासकर सत्ताधारी दल को हर मुद्दे पर अपना फोरम मुहैया कर खुश रखने की कोशिश करते हैं?