एनडीटीवी प्रमोटर्स को पूंजी बाज़ार से प्रतिबंधित करने के सेबी के आदेश पर लगी रोक

बीते 14 जून को सेबी ने आदेश पारित करते हुए एनडीटीवी के तीन प्रवर्तकों को दो साल के लिए पूंजी बाज़ार से प्रतिबंधित कर दिया था. साथ ही इस अवधि के दौरान प्रणय रॉय और राधिका रॉय पर कंपनी के बोर्ड में या शीर्ष प्रबंधन स्तर पर बने रहने पर भी रोक लगाई गई थी. प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण ने सेबी के इस आदेश पर रोक लगा दी.

बीते 14 जून को सेबी ने आदेश पारित करते हुए एनडीटीवी के तीन प्रवर्तकों को दो साल के लिए पूंजी बाज़ार से प्रतिबंधित कर दिया था. साथ ही इस अवधि के दौरान प्रणय रॉय और राधिका रॉय पर कंपनी के बोर्ड में या शीर्ष प्रबंधन स्तर पर बने रहने पर भी रोक लगाई गई थी. प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण ने सेबी के इस आदेश पर रोक लगा दी.

Prannoy-Roy-NDTV
नई दिल्ली: समाचार प्रसारण कंपनी एनडीटीवी को प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) से राहत मिल गई है. सैट ने कंपनी के तीन प्रवर्तकों प्रणय रॉय, राधिका रॉय और उनकी होल्डिंग कंपनी को पूंजी बाज़ार से दो साल के लिए प्रतिबंधित करने के सेबी के आदेश को स्थगित कर दिया है.

सैट ने रॉय दंपति तथा आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लि. की अपीलों को 16 सितंबर, 2019 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है. सैट ने यह भी निर्देश दिया कि इस दौरान अपील दायर करने वाले लोग एनडीटीवी में अपनी हिस्सेदारी बेचने का प्रयास नहीं कर सकते हैं.

एनडीटीवी ने बयान में कहा कि सैट ने सुनवाई के दौरान निष्कर्ष दिया कि दो साल तक के लिए प्रणय रॉय और राधिका रॉय पर एनडीटीवी में निदेशक या महत्वपूर्ण प्रबंधन स्तरीय पद पर बने रहने की रोक न तो शेयरधारकों के हित में है और न ही एनडीटीवी के निदेशकों के हित में. इसी के मद्देनजर सैट ने इस आदेश पर रोक लगा दी.

इससे पहले 14 जून को सेबी ने आदेश पारित करते हुए एनडीटीवी के तीन प्रवर्तकों को दो साल के लिए पूंजी बाज़ार से प्रतिबंधित कर दिया था. साथ ही इस अवधि के दौरान प्रणय रॉय और राधिका रॉय पर कंपनी के बोर्ड में या शीर्ष प्रबंधन स्तर पर बने रहने पर भी रोक लगाई गई थी.

रॉय दंपति पर किसी अन्य सूचीबद्ध कंपनी के बोर्ड या प्रबंधन स्तर के पद पर एक साल तक नियुक्ति की रोक लगाई गई थी. सेबी ने आरआरपीआर होल्डिंग्स द्वारा अल्पांश शेयरधारकों को तीन ऋण करारों के बारे में अंधेरे में रखने पर भी आड़े हाथों लिया था.

इनमें से एक ऋण करार आईसीआईसीआई बैंक के साथ जबकि दो अन्य ऋण करार सीमित पहचान वाली विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लि. (वीसीपीएल) के साथ किए गए थे.

दिल्ली की थोक व्यापार कंपनी वीसीपीएल का गठन 2008 में हुआ था. इसका स्वामित्व रिलायंस इंडस्ट्रीज से नहाटा समूह के पास चला गया था. बाद में मुकेश अंबानी की कंपनी ने इसी कंपनी से 2010 में इन्फोटेक ब्रॉडबैंड का अधिग्रहण किया था जिसके जरिए वह दूरसंचार कारोबार में उतरी थी.

वहीं, बीते 17 जून को पूंजी बाज़ार नियामक सेबी ने शेयर बाज़ारों को समय पर जानकारी नहीं देने को लेकर नई दिल्ली टेलिविजन लि. (एनडीटीवी) पर 12 लाख रुपये का जुर्माना लगाया. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एनडीटीवी द्वारा नियम के तहत सूचनाएं सार्वजनिक करने के मामलों में कई चूक पाए जाने के बाद यह आदेश दिया था.

हालांकि, एनडीटीवी का कहना है कि उसे अब तक सेबी के जुर्माने का आदेश नहीं मिला है. इसके साथ ही वह भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के 12 लाख रुपये के जुर्माना लगाने के आदेश के खिलाफ अपील दायर करेगी.

कंपनी ने शेयर बाज़ार से कहा, ‘कंपनी उक्त आदेश के खिलाफ अपील करेगी, जब वह आदेश कंपनी को मिल जाएगा. कंपनी को मिली सलाह के मुताबिक अपील में इस आदेश को खारिज कर दिया जाएगा.’

नियामक का कहना था कि कंपनी के खिलाफ शेयरों की बड़ी खरीद और अधिग्रहण (एसएएसटी) के नियम का अनुपालन नहीं करने का भी मामला पाया गया. सेबी ने कहा कि इंडियाबुल्स फाइनैंशल सर्विसेज ने जनवरी 2018 में एनडीटीवी के 40 लाख शेयरों का अधिग्रहण किया. यह कंपनी की कुल शेयर पूंजी का 6.40 प्रतिशत है.

नियामक ने 17 जून के अपने एक आदेश में कहा कि पुन: एनडीटीवी के प्रवर्तकों ने जुलाई 2008 में खुली पेशकश के तहत कुल 20.28 प्रतिशत शेयर पूंजी का अधिग्रहण किया. इस सौदे के बाद इकाईयों को एसएएसटी नियम के संबंधित प्रावधानों के तहत जरूरी जानकारी देनी थी. वहीं एनडीटीवी को इस बारे में बीएसई और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज को सूचना देनी थी.

आदेश के तहत हालांकि मीडिया कंपनी ने अपने प्रवर्तकों तथा इंडियाबुल्स फाइनैंशल सर्विसेज की शेयरधारिता में बदलाव को लेकर समय पर खुलासा नहीं किया और जानकारी देने में देरी की. इसके परिणामस्वरूप एनडीटीवी पर 12 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया.

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