सरकार आलोचनात्मक रुख़ रखने वाले मीडिया का गला घोंटना चाहती है.
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में एक जून से किसान फ़सलों के उचित मूल्य और क़र्ज़ माफ़ी को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. मंगलवार को उग्र हुए किसानों पर फायरिंग हुई.
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि नोटबंदी के कारण भारत के आर्थिक विकास में भारी गिरावट आई है.
पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह ने सभी जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिये हैं कि वे इस बारे में सतर्क रहें कि गोरक्षा या धर्म के नाम पर कोई गैरकानूनी हरकत न हो.
भाजपा से इस्तीफा देने के बाद बाचू ने कहा, ‘मैं लोगों की भावनाओं को लेकर समझौता नहीं कर सकता. बीफ खाना हमारी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है. हमें भाजपा की गैरकानूनी विचारधारा स्वीकार नहीं है.’
भारत ने संचार उपग्रह जीसैट-19 को ले जाने वाले सबसे वज़नी रॉकेट जीएसएलवी एमके थ्री-डी1 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर इतिहास में अपना नाम दर्ज कर लिया.
पिछले साल गुजरात के उना में दलितों पर हुए कथित गोरक्षकों के हमले के बाद जिग्नेश मेवाणी से बातचीत.
बिहार के पूर्वी चंपारन जिला मुख्यालय मोतिहारी में बंद पड़ी चीनी मिल के मजदूर करीब 134 महीने की सैलरी और किसानों को गन्ने का बकाया भुगतान दिलाने की मांग को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
न्यूज़ चैनल हर विषय पर दलीय प्रवक्ताओं की भीड़ क्यों इकट्ठा करना चाहते हैं? क्या वे राजनीतिक दलों, ख़ासकर सत्ताधारी दल को हर मुद्दे पर अपना फोरम मुहैया कर खुश रखने की कोशिश करते हैं?
मौजूदा अधिकारी केजरीवाल सरकार के साथ काम नहीं करना चाहते और नए अधिकारी यहां आने को तैयार नहीं है.
भूमंडलीकरण, भारत-पाक संबंध, दक्षिण एशिया में नारीवाद व पितृसत्ता आदि विषयों पर समाजविज्ञानी व नारीवादी चिंतक कमला भसीन से विस्तृत बातचीत.
मध्य प्रदेश के कई इलाक़ों में हिंसा, मंडी लूटी, दुकानों में तोड़फोड़, महाराष्ट्र में सरकार का ऋण माफ़ी का ऐलान लेकिन जारी रहेगा आंदोलन.
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने के मौके पर गृह मंत्री ने अपने मंत्रालय के कामकाज का लेखा-जोखा पेश किया.
बिहार के मोतिहारी से आए चीनी मिल मज़दूरों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर पिछले कई सालों के बकाया भुगतान की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया है.
शायद ही ऐसा कोई दिन बीतता है, जब देश के किसी न किसी कोने से किसानों की आत्महत्या की खबरें न आती हों. हार किसानों की नहीं हुई है. ये हार अर्थशास्त्रियों और नीति-निर्माताओं की है, जिन्होंने किसानों को मझधार में छोड़ दिया है.