2-3 दिसंबर 1984 की दरमियानी रात भोपाल में अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड के कारखाने से ज़हरीली गैस रिसने के चलते हज़ारों लोगों की मौत हो गई थी. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर यूनियन कार्बाइड की उत्तराधिकारी कंपनियों से अतिरिक्त 7,844 करोड़ रुपये मुआवज़े की मांग की थी.
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि पंजीकरण रद्द होने की तारीख़ से ऐसे एनजीओ तीन साल की अवधि के लिए पंजीकरण के पात्र नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में सर्वाधिक 755, महाराष्ट्र में 734, उत्तर प्रदेश में 635, आंध्र प्रदेश में 622 और पश्चिम बंगाल में 611 एनजीओ का पंजीकरण रद्द किया गया है.
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 2-3 दिसंबर की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से ज़हरीली गैस के रिसाव के चलते हजारों लोगों की मौत हो गई थी. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका के माध्यम से अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड की उत्तराधिकारी कंपनियों से अतिरिक्त मुआवज़े की मांग की है.
गृह मंत्रालय ने अपनी विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम वेबसाइट से वो डेटा हटा दिया है, जिसमें एनजीओ के वार्षिक रिटर्न और उन एनजीओ की सूची शामिल है जिनके लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं. मंत्रालय ने इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि ये डेटा जनता के देखने के लिए ‘गैर-ज़रूरी’ माना गया था.
सीबीआई के अनुसार, गृह मंत्रालय के एफ़सीआरए डिवीज़न के कुछ अधिकारियों ने विभिन्न गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के प्रमोटरों/प्रतिनिधियों, बिचौलियों के साथ साज़िश में निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करने के बावजूद दान प्राप्त करना जारी रखने के उद्देश्य से इन संगठनों को पिछले दरवाजे से एफसीआरए पंजीकरण/नवीनीकरण प्राप्त कराने की भ्रष्ट गतिविधियों में लिप्त थे.
31 दिसंबर 2021 को 5,932 अन्य एनजीओ के साथ ऑक्सफैम इंडिया का एफसीआरए पंजीकरण समाप्त हो गया था, जिनमें से 5,789 ने पंजीकरण के नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं किया था. बाकी बचे आवेदन विभिन्न अनियमितताओं की वजह से ख़ारिज कर दिए गए थे. ऑक्सफैम इंडिया इन्हीं में से एक था.
मणिपुर के एक एनजीओ अपुनबा इमागी मचासिंग का कहना है कि स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के सभी कर्मचारी अनुबंध के तहत काम कर रहे हैं जबकि कुछ की भर्तियां डेप्युटेशन के आधार पर की गई हैं. एनजीओ ने यूनिवर्सिटी की दयनीय स्थिति का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन भी भेजा है.
ऑक्सफैम इंडिया ने कहा है कि विदेशी चंदा नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत दिए जाने वाले लाइसेंस का नवीनीकरण करने से इनकार के सरकारी फैसले से देश के 16 राज्यों में संगठन के चल रहे अहम कार्य बुरी तरह से प्रभावित होंगे. इनमें ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करना, जीवन रक्षक दवाएं, ऑक्सीजन सिलेंडर और वेंटिलेटर आपूर्ति करना जैसे कार्य शामिल हैं.
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा द्वारा लिखी गई एक किताब में गंगा पर पड़े महामारी के भयावह प्रभाव की व्याख्या की गई है. उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि नदी को बचाने के लिए पिछले पांच सालों में जो कार्य किए गए थे, उन्हें नष्ट किया जा रहा है. कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान शव मिलने की ख़बर पर यूपी सरकार की ओर से कहा गया था कि राज्य के कुछ क्षेत्रों में शवों को गंगा में प्रवाहित करने की परंपरा रही है.
बीते एक अक्टूबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने किशोरों के ख़िलाफ़ एक साल से अधिक समय से लंबित मामले तत्काल प्रभाव से ख़त्म करने का आदेश दिया था. इस पर कोई क़दम न उठाने जाने पर दिल्ली सरकार को फटकारते हुए कोर्ट ने कहा कि बच्चों व किशोरों को इंतज़ार नहीं कराया जा सकता.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि भले ही अधिकांश बच्चों को पुलिस ने पकड़ा नहीं है या पकड़े जाने पर तुरंत उनके माता-पिता को सौंप दिया जाता है, लेकिन मामला कलंकित करने वाला है और बच्चे की गरिमा को प्रभावित करता है. इसलिए इस स्थिति को जारी रखने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
असम के करीमगंज ज़िले के एक व्यक्ति को भारतीय नागरिक घोषित करते हुए ट्रिब्यूनल ने कहा कि राष्ट्रीय पहचान पत्र अभी जारी किए जाने बाकी हैं लेकिन इस बात में कोई संदेह नहीं है कि 2019 में प्रकाशित नागरिक रजिस्टर फाइनल एनआरसी है.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने उस मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ये निर्देश दिया, जिसमें कहा गया है कि गैस त्रासदी के कैसर पीड़ितों को प्राइवेट अस्पताल में भेजा जा रहा है और वहां उन्हें मुफ़्त इलाज नहीं मिल रहा है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि किसी मरीज़ को इलाज से इनकार नहीं किया जा सकता है और राज्य सरकार सभी को मुफ़्त इलाज मुहैया कराए.
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में दिसंबर 1984 में हुई गैस त्रासदी ने तमाम महिलाओं से उनके पति को छीनकर उन्हें बेसहारा बना दिया था. उनकी आर्थिक मदद के लिए पेंशन योजना शुरू की गई थी, जिस पर दिसंबर 2019 से राज्य सरकार ने रोक लगा दी है. इसे दोबारा शुरू करने की घोषणा तो लगातार की जा रही हैं, लेकिन कोरोना काल में बुरी तरह से प्रभावित ये विधवा महिलाएं अब तक इससे महरूम हैं.
31 अगस्त, 2019 को एनआरसी का अंतिम मसौदा प्रकाशित करने से पहले दावे एवं आपत्ति की प्रक्रिया के दौरान 27 लाख से ज्यादा आवेदकों की बायोमेट्रिक जानकारी एकत्रित की गई थी. एनआरसी की चल रही प्रक्रिया लंबित होने की वजह से इन आवेदकों के आंकड़ों को फ्रीज कर दिया गया है, जिसकी वजह से वे आधार नंबर प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं और उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.