इन दोनों कंपनियों पर लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप है. बताया गया है कि वे भूजल को रिचार्ज करने संबंधी शर्त पूरा करने में विफल रहीं, साथ ही एनओसी की अवधि समाप्त होने के बाद भी लगातार भूजल निकालती रहीं.
यमुना सफ़ाई को लेकर एनजीटी के विशेषज्ञ सदस्य बीएस साजवान और दिल्ली की पूर्व मुख्य सचिव शैलजा चंद्रा की दो सदस्यीय यमुना निगरानी समिति ने एनजीटी को सौंपी अपनी अंतिम रिपोर्ट में बीते 23 महीनों के दौरान अपने अनुभव को साझा किया है.
एनजीटी ने यमुना नदी को साफ करने संबंधी कार्य पर असंतोष जताते हुए दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सरकार को अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.