इंदौर लोकसभा सीट पर भाजपा के शंकर लालवानी ने कुल 12,26,751 वोटों के साथ चुनाव जीता, वही 2,18,674 नोटा वोट दर्ज किए गए. कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बाम द्वारा नामांकन वापस लेकर भाजपा में शामिल होने के बाद यहां से कोई प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार मैदान में नहीं था.
इंदौर लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम थे, जिन्होंने अंत समय में चुनाव लड़ने से इनकार करते हुए अपना नाम वापस ले लिया था और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे. फिलहाल इस सीट पर निर्दलीय और छोटे दलों के 13 उम्मीदवार मैदान में हैं.
आम आदमी पार्टी ने मध्य प्रदेश में 66, राजस्थान में 85 और छत्तीसगढ़ में 54 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन हर सीट पर उसे हार मिली. पार्टी तीनों राज्यों में से किसी में भी 1% वोट हासिल करने में विफल रही, जो नोटा विकल्प से भी कम वोट हैं.
एक वेबिनार में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम ज़ैदी ने कहा कि मतदाता बड़ी संख्या में वोट के लिए बाहर निकलते हैं, लेकिन उन्हें अच्छी पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार नहीं मिलते, इसलिए वोट नहीं देने के बजाय वे नोटा पर शिफ्ट हो गए. आने वाले चुनाव के बाद के विश्लेषण का यह विषय हो सकता है.
निर्वाचन आयोग की ओर से जारी आंकड़ों से पता चलता है कि राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण माने जाने वाले उत्तर प्रदेश, जहां सबसे अधिक 403 विधानसभा सीटें हैं, वहां 621,186 मतदाताओं (0.7 प्रतिशत) ने ईवीएम में ‘नोटा’ विकल्प का बटन दबाया. शिवसेना को गोवा, उत्तर प्रदेश और मणिपुर के विधानसभा चुनावों में नोटा से भी कम वोट मिले हैं.
भारत में उम्मीदवारों की सूची में नोटा को 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शामिल किया गया था. इससे मतदाताओं को एक ऐसा विकल्प मिला कि अगर वह अपने क्षेत्र के किसी उम्मीदवार को पसंद नहीं करते हैं तो वह नोटा का बटन दबा सकते हैं.
चुनावी राज्यों में नोटा का मत प्रतिशत आप और सपा सहित अन्य कई क्षेत्रीय दलों से अधिक दर्ज किया गया है.
गुजरात कांग्रेस के चीफ व्हिप शैलेश मनुभाई परमार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि मतदाताओं द्वारा नोटा का इस्तेमाल केवल प्रत्यक्ष चुनावों किया जाना चाहिए.
गुजरात में हालिया विधानसभा चुनावों में 5.5 लाख से अधिक मतदाताओं ने नोटा बटन दबाया था. वहां कई विधानसभा क्षेत्रों में जीत का अंतर नोटा मतों की संख्या से कम था.
उपचुनाव परिणाम: जयललिता के निधन से चेन्नई की आरके नगर सीट खाली हो गई थी. अरुणाचल में दोनों सीटों पर भाजपा का कब्ज़ा.