केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने नोटबंदी लागू करते समय बताया था कि इससे काला धन और नकली नोट ख़त्म हो जाएंगे. हालांकि आरबीआई के निदेशकों ने इस तर्क को ख़ारिज कर दिया था.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि उस समय चलने वाले 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने का परिणाम यह हुआ कि गरीबों के लिए अधिक संसाधन मिले, बुनियादी ढांचा बेहतर हुआ और नागरिकों का जीवन स्तर भी बेहतर हुआ है.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने 2016 में त्रुटिपूर्ण ढंग से और सही तरीके से विचार किए बिना नोटबंदी का कदम उठाया था. छोटे और मंझोले कारोबार भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं जिसे नोटबंदी ने पूरी तरह से तोड़ दिया.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि नोटबंदी ने करोड़ों लोगों के जीवन और अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया. जिन लोगों ने यह किया है लोग उन्हें सज़ा देंगे. रेलमंत्री ने कहा कि नोटबंदी ने भ्रष्टाचार की कमर तोड़ दी.
अनिल अंबानी समूह पर 45,000 करोड़ रुपये का कर्जा है. अगर आप किसान होते और पांच लाख का कर्जा होता तो सिस्टम आपको फांसी का फंदा पकड़ा देता. अनिल अंबानी राष्ट्रीय धरोहर हैं. ये लोग हमारी जीडीपी के ध्वजवाहक हैं. भारत की उद्यमिता की प्राणवायु हैं.
नरेंद्र मोदी ने कम से कम एक ऐसा आर्थिक समाज तो बना दिया है जो नतीजे से नहीं नीयत से मूल्यांकन करता है. मूर्खता की ऐसी आर्थिक जीत कब देखी गई है? गीता गोपीनाथ जैसी अर्थशास्त्री को नीयत का डेटा लेकर अपना नया शोध करना चाहिए.
मोदी सरकार के चार सालों में 21 सरकारी बैंको ने 3 लाख 16 हज़ार करोड़ के लोन माफ़ किए हैं. यह भारत के स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा के कुल बजट का दोगुना है. सख़्त और ईमानदार होने का दावा करने वाली मोदी सरकार में तो लोन वसूली ज़्यादा होनी चाहिए थी, मगर हुआ उल्टा. एक तरफ एनपीए बढ़ता गया और दूसरी तरफ लोन वसूली घटती गई.
नाबार्ड द्वारा एक आरटीआई में दी गई जानकारी के अनुसार नोटबंदी के दौरान 10 जिला सहकारी बैंकों में सबसे ज़्यादा नोट बदले गए, उनके अध्यक्ष भाजपा, कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी के नेता हैं.
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि भीड़ द्वारा पीट-पीट कर जान लेने की घटनाएं दलितों तथा मुसलमानों के प्रति भाजपा के पक्षपातपूर्ण रवैये का नतीजा है. साथ ही उन्होंने भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर रावण से कोई नाता होने से इनकार किया.
मीडिया बोल की 65वीं कड़ी में उर्मिलेश नोटबंदी पर रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट, सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी और मीडिया पर सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार शीतल प्रसाद सिंह और द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु से चर्चा कर रहे हैं.
भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार, मार्च 2017 तक लोन न चुकाने का मार्जिन 8,249 करोड़ था जो मार्च 2018 तक बढ़कर 16,111 करोड़ रुपये हो गया.
सरकार का कहना था कि बंद किए गए नोटों में से लगभग 3 लाख करोड़ मूल्य के नोट बैंकों में वापस नहीं आएंगे और यह काले धन पर कड़ा प्रहार होगा, लेकिन रिज़र्व बैंक मुताबिक अब नोटबंदी के बाद जमा हुए नोटों का प्रतिशत 99 के पार पहुंच गया है. यानी या तो इन नोटों में कोई काला धन था ही नहीं या उसके होने के बावजूद सरकार उसे निकालने में विफल रही.
लघु एवं मझोले उद्यमों यानी एमएसएमई को देश की आर्थिक वृद्धि का एक महत्वपूर्ण इंजन माना जाता है और देश के कुल निर्यात में इसका 40 फीसदी योगदान है.
हाल ही में रिज़र्व बैंक के बोर्ड में शामिल हुए स्वामीनाथन गुरुमूर्ति की नरेंद्र मोदी के नोटबंदी जैसे आर्थिक नीति संबंधी फैसलों में महत्वपूर्ण भूमिका रही है.
प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने कहा कि सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, सामाजिक सुरक्षा जैसे कई क्षेत्रों से जुड़ी ज़िम्मेदारियों को औद्योगिक घरानों या राज्य सरकारों के भरोसे छोड़ दिया है.