नोटबंदी और जीएसटी लाए जाने के दो साल बाद केंद्र सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्योगों पर इन दोनों के प्रभाव के बारे में संसद को गुमराह किया. सरकारी आश्वासनों पर संसदीय समिति ने भ्रामक बयानों और पूरा सच न बताने के लिए सरकार को फटकारा था और दोनों निर्णयों से हुए नुकसान का फैक्ट-चेक भी किया था.
वीडियो: जान-बूझकर क़र्ज़ न चुकाने वालों यानी विलफुल डिफॉल्टर्स को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक ने एक सर्कुलर जारी किया है. इसके मुताबिक जिन लोगों या कंपनियों ने बैंकों से या किसी फाइनेंशियल इकाई से क़र्ज़ लिया है. इसे चुकाने की हैसियत में थे, मगर क़र्ज़ नहीं चुकाया, वह बैंकों के साथ सेटलमेंट कर सकते हैं.
आरबीआई ने अपने नियमों में बदलाव करते हुए विलफुल डिफॉल्टर्स (जानबूझकर क़र्ज़ न चुकाने वाले) और धोखाधड़ी के मामलों के ऋण निपटान के लिए समझौते की अनुमति दी है. बैंक यूनियन इसके ख़िलाफ़ हैं. वहीं, कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार आम जनता के पैसों को अपने चुनिंदा मित्रों पर न्योछावर कर रही है.
पिछले पांच वर्षों में बैंकों ने 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक के क़र्ज़ बट्टे खाते में डाले: वित्त मंत्री
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में बताया कि पिछले पांच वित्त वर्षों में 10,09,511 करोड़ रुपये की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) को बट्टे खाते में डालते हुए उसे संबंधित बैंक के बही खाते से हटा दिया गया है.
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने एक सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘गोलमाल पीएम’ क़रार देते हुए कहा कि वे और केंद्र सरकार जो कुछ भी कहते हैं वह ‘सफेद झूठ’ होता है.
वित्त राज्यमंत्री भागवत के. कराड ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान बैंकों द्वारा 1,57,096 करोड़ रुपये के क़र्ज़ बट्टे खाते में डाले गए. मंत्री ने यह भी बताया कि जानबूझकर ऋण न चुकाने वालों की सूची में मेहुल चोकसी की गीतांजलि जेम्स लिमिटेड सबसे ऊपर है. इसके बाद एरा इंफ्रा इंजीनियरिंग, कॉनकास्ट स्टील एंड पावर, आरईआई एग्रो लिमिटेड और एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड का स्थान है.
केनरा बैंक ने तिरुचिरापल्ली की सोशल सर्विस सोसाइटी को 48.8 लाख रुपये की राशि, जो 1994-95 में 1,540 लोगों को क़र्ज़ दी गई थी, को चुकाने के लिए उत्तरदायी बनाने का अनुरोध किया था, जिसे मद्रास हाईकोर्ट ने ख़ारिज कर दिया था. बैंक ने इसे शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी, जिसने हाईकोर्ट का निर्णय बरक़रार रखा.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सीआईसी ने आरबीआई के उस फ़ैसले पर रोक लगा दी है जिसमें उन्होंने आरटीआई एक्ट के तहत सारस्वत बैंक की निरीक्षण रिपोर्ट, एनपीए और डिफ़ॉल्टर्स की सूची सार्वजनिक करने को कहा था.
वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा लोकसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक, बैंकों ने वित्त वर्ष 2018-19, और वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तीन तिमाहियों के दौरान क्रमश: 2.36 लाख करोड़ रुपये और 2.34 लाख करोड़ रुपये के ऋण को बट्टे खाते में डाला है. ऐसे ऋण जिसकी वसूली नहीं हो पाती है, बैंक उन्हें बट्टे खाते में डाल देते हैं.
आरबीआई की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर वृहत आर्थिक माहौल और ख़राब होता है और गंभीर दबाव की स्थिति उत्पन्न होती है, तो सकल एनपीए अनुपात 14.8 प्रतिशत तक जा सकता है. सामान्य स्थिति में यह 13.5 प्रतिशत पर पहुंचेगा, जो 23 साल का उच्चतम स्तर होगा.
आरबीआई द्वारा गठित एक आंतरिक कार्य समूह ने पिछले सप्ताह सिफ़ारिश की थी कि कॉरपोरेट घरानों को बैंक शुरू करने का लाइसेंस दिया जा सकता है. रेटिंग एजेंसी एस एंड पी ने कहा है कि भारत में बड़ी कंपनियों के पिछले कुछ साल में क़र्ज़ लौटाने को लेकर चूक देखते हुए हमें बैंकों में कॉरपोरेट क्षेत्र को स्वामित्व देने की अनुमति को लेकर संदेह है.
भारतीय रिज़र्व बैंक के चार पूर्व गवर्नरों ने तेज़ी से बढ़ते वित्तीय घाटे और महामारी के चलते अत्यधिक बुरी स्थिति में पहुंची अर्थव्यवस्था को लेकर गहरी चिंता जताई है. उन्होंने एनपीए की तरह ही कई चुनौतियों के प्रति आगाह किया है.
गुजरात के स्टर्लिंग बायोटेक समूह के मालिकों और अन्य के ख़िलाफ़ 8,100 करोड़ रुपये के बैंक क़र्ज़ धोखाधड़ी मामले को सुन रहे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा कहा कि यह बेहद शर्मिंदा करने वाला है कि उनके एक सहपाठी ने एक आरोपी की ओर से उनसे संपर्क किया, जिसके चलते वे केस से हट रहे हैं.
आरबीआई ने अपनी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कहा है कि मार्च 2020 में 8.5 फीसदी की तुलना में मार्च 2021 तक बैंकों का एनपीए 12.5 फीसदी तक बढ़ सकता है. इससे पहले वैश्विक संस्था एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने अनुमान जताया था कि अगले साल तक भारत का एनपीए 13.2 फीसदी तक बढ़ जाएगा.
रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने एनपीए में संभावित बढ़ोतरी को लेकर कहा कि हम मुश्किल में हैं और जितनी जल्दी इसे स्वीकार करेंगे, उतना बेहतर होगा क्योंकि हमें वाकई में इस समस्या से निपटने की ज़रूरत है.