वीडियो: असम में भारतीय नागरिकों की पहचान करने के लिए एनआरसी की अंतिम सूची प्रकाशित कर दी गई. राज्य के 19 लाख से अधिक लोग एनआरसी की अंतिम सूची से बाहर कर दिए गए हैं. इस मुद्दे पर प्रोफेसर अपूर्वानंद का नज़रिया.
बीते शनिवार को जारी हुई एनआरसी की सूची में 19 लाख लोगों का नाम शामिल नहीं है. जहां सभी राजनीतिक दलों द्वारा एनआरसी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए वास्तविक नागरिकों की मदद करने की बात कही जा रही है, वहीं भविष्य को लेकर सूची से बाहर रहे आम लोग अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं. असम से लौटी द वायर की डिप्टी एडिटर संगीता बरुआ पिशारोती से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि एनआरसी की अंतिम सूची क़ानूनी रूप से किसी व्यक्ति को विदेशी नहीं बनाती. क़ानून के तहत उपलब्ध सभी विकल्पों का इस्तेमाल कर लेने तक उन्हें पहले की तरह ही सभी अधिकार मिलते रहेंगे.
असम एनआरसी में शामिल होने के लिए 3,30,27,661 लोगों ने आवेदन दिया था. इनमें से 3,11,21,004 लोगों को शामिल किया गया है और 19,06,657 लोगों को बाहर कर दिया गया है.
महिला के परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि सोनितपुर के दुलाबाड़ी इलाके की रहने वाली सायरा बेगम ने एनआरसी में अपना नाम ना होने की खबर सुनने के बाद कुएं में कूदकर आत्महत्या कर ली.
असम एनआरसी की अंतिम सूची में वर्तमान विधायक, पूर्व विधायक का भी नाम शामिल नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट में एनआरसी अपडेट को लेकर मूल याचिका दायर करने वाले असम पब्लिक वर्क्स के अध्यक्ष अभिजीत शर्मा ने कहा कि इस एनआरसी से तय हो गया है कि असम में अवैध प्रवासियों का मुद्दे कभी हल नहीं होगा. इतने खर्च के बावजूद प्रशासन त्रुटिहीन एनआरसी नहीं निकाल सका, असम के लोग आज ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने भाजपा नेताओं के एनआरसी सवाल उठाने पर कहा कि अगर भाजपा दुखी है, तो यह किसकी ज़िम्मेदारी है? यह सूची राज्य की भाजपा सरकार द्वारा ही तैयार करवाई गई है.
असम के वित्त मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने शनिवार को जारी हुई एनआरसी पर सवाल उठाते हुए कहा कि 1971 से पहले आए कई लोगों के नाम इसमें नहीं जुड़े हैं. सुप्रीम कोर्ट को सीमावर्ती जिलों में कम से कम 20 प्रतिशत और शेष असम में 10 प्रतिशत रीवेरिफिकेशन की अनुमति देनी चाहिए.
ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन का कहना है कि एनआरसी अपूर्ण है. अपडेट प्रक्रिया में कुछ खामियां हैं, जिन्हें दूर करने के लिए शीर्ष न्यायालय से अपील करेंगे. एनआरसी अपडेट को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचने वाले असम पब्लिक वर्क्स एनआरसी से निकाले गए नामों को लेकर नाखुशी जाहिर की है.
असम में भारतीयों की पहचान करने के लिए शनिवार को एनआरसी की अंतिम सूची प्रकाशित कर दी गई. 3.3 करोड़ आवेदकों में से 19 लाख से अधिक लोग अंतिम सूची में से बाहर कर दिए गए हैं.
असम में एनआरसी का प्रकाशन बीते कुछ समय से राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र बना हुआ है. एक बड़ा तबका इसके लिए राज्य की भाजपा सरकार को ज़िम्मेदार मानता है, लेकिन यह सच नहीं है.
वीडियो: असम में चल रही एनआरसी के कारण भले ही इसकी चर्चा अब पूरे देश में हो रही है, लेकिन इसकी जड़ें बेहद पुरानी हैं. एनआरसी से जुड़े विभिन्न पहलुओं के बारे में बता रही हैं मीनाक्षी तिवारी.
विशेष रिपोर्ट: एनआरसी का पहला मसौदा जारी होने के बाद से अमित शाह समेत कई भाजपा नेता 'घुसपैठियों' को निकालने के लिए पूरे देश में एनआरसी लाने की पैरवी कर रहे थे. अब असम में एनआरसी के प्रकाशन से पहले भाजपा ने इसके ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है.
भाजपा के असम प्रमुख ने कहा है कि स्वतंत्रता सेनानियों और असम आंदोलन के शहीदों के वंशजों के नाम एनआरसी सत्यापन प्रक्रिया के दौरान बाहर कर दिए गए. ऐसा लगता है कि हम एक ऐसा एनआरसी पाएंगे जिसमें अवैध विदेशियों के नाम होंगे और वास्तविक भारतीय उससे बाहर होंगे.