उमर अब्दुल्ला सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश में बढ़ते गुस्से के मद्देनज़र भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर की आरक्षण नीति में किए गए बदलावों पर फिर से विचार करने के लिए एक उप-समिति का गठन किया है.
जम्मू-कश्मीर विधानसभा द्वारा 6 नवंबर को अनुच्छेद 370 की बहाली पर प्रस्ताव पारित किया. भाजपा सदस्यों ने प्रस्ताव को लेकर 7 नवंबर को भी सदन में भारी हंगामा किया, जिसके बाद तीन भाजपा नेताओं को मार्शलों द्वारा विधानसभा से बाहर निकाल दिया गया.
छह साल में जम्मू-कश्मीर विधानसभा का पहला सत्र विवादों के बीच शुरू हुआ, जहां पीडीपी विधायक वहीद पारा ने अनुच्छेद 370 को हटाने के विरोध में प्रस्ताव पेश किया. जहां भाजपा विधायकों ने इसका विरोध किया, वहीं सीएम उमर अब्दुल्ला ने पारा के प्रस्ताव को पब्लिसिटी स्टंट बताया.
श्रीनगर टूरिस्ट रिसेप्शन सेंटर के पास ग्रेनेड विस्फोट में 12 लोग घायल, सरकार बनने के बाद से छठा हमला
श्रीनगर में सुरक्षा बलों द्वारा एक विदेशी आतंकवादी को मार गिराए जाने के एक दिन बाद 2 नवंबर को व्यस्त टूरिज्म रिसेप्शन सेंटर के पास ग्रेनेड विस्फोट में कम से कम एक दर्जन नागरिक घायल हो गए. नई सरकार बनने के बाद से यह सूबे में हुआ छठा हमला है.
जम्मू-कश्मीर के बडगाम ज़िले के मागाम इलाके में शुक्रवार शाम संदिग्ध आतंकवादियों ने दो प्रवासी श्रमिकों को गोली मारकर घायल कर दिया. दोनों श्रमिक उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रहने वाले हैं और जल शक्ति विभाग में दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम कर रहे थे.
त्राल में यूपी के श्रमिक पर गोली चलने से पहले बीते 20 अक्टूबर को गांदरबल जिले में एक निर्माण स्थल पर आतंकी हमले में छह प्रवासी मज़दूरों समेत एक स्थानीय डॉक्टर की मौत हो गई थी. 18 अक्टूबर को भी शोपियां में आतंकियों ने बिहार के एक श्रमिक की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
हमला गांदरबल ज़िले में विकास परियोजना पर काम कर रही लखनऊ की निर्माण कंपनी एपीसीओ इंफ्रा के बेस कैंप पर हुआ. हमले से प्रवासी श्रमिकों के बीच डर का माहौल पैदा होने की संभावना है जो निर्माण, कृषि सहित अन्य कुशल और अकुशल क्षेत्रों में काम करके कश्मीर में अपनी आजीविका कमा रहे हैं.
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा पूर्ण राज्य के दर्जे के लिए पारित प्रस्ताव का विरोध करते हुए विपक्ष ने कहा है कि अनुच्छेद 370 के लिए प्रस्ताव पारित न कर केवल राज्य के दर्जे की मांग तक सिमट जाना बड़ी नाकामयाबी है, वो भी तब जब 370 के नाम पर वोट मांगा गया था.
उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के नए मुख्यमंत्री और जम्मू क्षेत्र के एक प्रमुख चेहरे सुरिंदर कुमार चौधरी ने उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. शपथ ग्रहण समारोह से पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस ने अब्दुल्ला सरकार से बाहर रहकर, समर्थन देने की बात कही थी.
कांग्रेस ने जम्मू क्षेत्र की 43 में से 29 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन वह इस क्षेत्र में केवल एक सीट जीत पाई. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर राज्य में 1967 में पहला चुनाव लड़ने के बाद से यह जम्मू क्षेत्र में पार्टी का अब तक का सबसे ख़राब प्रदर्शन रहा.
पिछली बार भाजपा ने जिन पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाई थी- 2014 में कश्मीर की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और 2019 में हरियाणा की जननायक जनता पार्टी- इस चुनाव में उन दोनों का सफाया हो गया है.
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल्ला के आरोपों को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कार्यालय ने 'भ्रामक और अटकलबाजी' करार देते हुए कहा है कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है.
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में परंपरागत राजनीतिक दल- पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस आदि ही निर्दलीय प्रत्याशियों समेत छोटे क्षेत्रीय दलों को भाजपा का 'प्रॉक्सी' और 'बी' टीम बता रहे थे. हाल यह है कि अब स्वतंत्र प्रत्याशियों को समर्थन देने वाले जमात-ए-इस्लामी ने भी यही दावे दोहराए हैं.
वीडियो: जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव को बदलाव की बयार के तौर पर देखा जा रहा है, पर क्या इनसे सूबे के हालात में कोई परिवर्तन होगा? इस बारे में द वायर हिंदी के संपादक आशुतोष भारद्वाज और न्यूज़लॉन्ड्री की मैनेजिंग एडिटर मनीषा पांडे के साथ चर्चा कर रही हैं मीनाक्षी तिवारी.
कश्मीर विधानसभा चुनाव में जमात-ए-इस्लामी के प्रवेश ने नए असमंजस पैदा कर दिए हैं.