अधिकार समूह ऑक्सफैम इंटरनेशनल की ओर से कहा गया है कि ग़रीब अधिक करों का भुगतान कर रहे हैं, अमीरों की तुलना में ज़रूरी वस्तुओं और सेवाओं पर अधिक ख़र्च कर रहे हैं. समय आ गया है कि अमीरों पर कर लगाया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि वे अपने उचित हिस्से का भुगतान करें.
वीडियो: ऑक्सफैम की ‘इनइक्वैलिटी किल्स’ नाम की रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2021 में भारत के 84 फ़ीसदी परिवारों की आय घटी है, पर इसी अवधि में देश में अरबपतियों की संख्या 102 से बढ़कर 142 हो गई है. 100 सबसे अमीर लोगों की सामूहिक संपत्ति रिकॉर्ड 57.3 लाख करोड़ रुपये के उच्च स्तर तक पहुंच गई है. इस रिपोर्ट को लेकर जेएनयू के प्रोफेसर प्रवीण झा से मुकुल सिंह चौहान की बातचीत.
रविवार को जारी ऑक्सफैम की रिपोर्ट 'इनइक्वैलिटी किल्स' में कहा गया कि 2021 में भारत के सौ सबसे अमीर लोगों की सामूहिक संपत्ति रिकॉर्ड 57.3 लाख करोड़ रुपये के उच्च स्तर तक पहुंच गई है. सबसे अमीर सौ परिवारों की संपत्ति में हुई वृद्धि का लगभग पांचवां हिस्सा केवल अडाणी घराने के हिस्से आया है.
ऑक्सफैम इंडिया ने भारत में कोविड-19 टीकाकरण अभियान के साथ चुनौतियों पर अपने त्वरित सर्वेक्षण के परिणामों को जारी किया है, जिसमें दावा किया गया है कि कुल जवाब देने वालों में से 30 फ़ीसदी ने धर्म, जाति या बीमारी या स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर अस्पतालों में या स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की ओर से भेदभाव किए जाने की जानकारी दी है.
ऑक्सफैम की हालिया 'इनइक्वैलिटी रिपोर्ट 2021 इंडियाज इनइक्वल हेल्थकेयर स्टोरी' आने के बाद इसके सीईओ ने कहा कि भारत में सार्वजनिक सेवाओं की तुलना में निजी क्षेत्र को अधिक सहयोग देने से वंचितों को नुकसान पहुंचा है. 2004 से 2017 के बीच अस्पताल में भर्ती होने के मामले में औसत ख़र्च तीन गुना बढ़ा है, जिससे ग़रीबों और ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ी हैं.
गरीबी उन्मूलन के लिए काम करने वाले संगठन ऑक्सफैम ने एक रिपोर्ट में कहा कि भुखमरी के कारण मरने वाले लोगों की संख्या कोविड-19 के कारण मरने वाले लोगों की संख्या से अधिक हो गई है. बीते एक साल में पूरी दुनिया में अकाल जैसे हालात का सामने करने वाले लोगों की संख्या छह गुना बढ़ी है.
गैर सरकारी संगठन ऑक्सफैम की ‘द इनइक्वैलिटी वायरस’ नाम की रिपोर्ट में कहा गया कि बीते एक साल में शिक्षा का स्वरूप ऑनलाइन होने से भारत में डिजिटल विभाजन से असमानता भी बढ़ी है. भारत के 20 फ़ीसदी सबसे ग़रीब परिवारों में से सिर्फ़ तीन प्रतिशत के पास ही कंप्यूटर और सिर्फ़ नौ फ़ीसदी के पास ही इंटरनेट की पहुंच रही.
ऑक्सफैम ने अपनी रिपोर्ट 'टाइम टू केयर' में कहा कि विश्व के 2153 अरबपतियों के पास विश्व की 60 फीसदी जनसंख्या के मुकाबले ज्यादा संपत्ति है. इसमें कहा गया है कि एक घरेलू कामकाजी महिला को किसी तकनीकी कंपनी के सीईओ के बराबर कमाने में 22 हजार 277 साल लग जाएंगे.
ऑक्सफैम की रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2018 में देश के शीर्ष एक प्रतिशत अमीरों की संपत्ति में 39 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि पचास प्रतिशत ग़रीब आबादी की संपत्ति में महज़ 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई.
ग़ैर सरकारी संगठन ऑक्सफेम इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत के 101 अरबपतियों की संपत्ति जीडीपी के 15 प्रतिशत के बराबर है.
1999 में एनडीए-1 ने 8% जीडीपी वृद्धि दर के साथ अपनी पारी की शुरुआत की थी, लेकिन बाद के तीन वित्तीय वर्षों के बीच जीडीपी वृद्धि दर में तेज़ गिरावट देखी गई. यही कहानी एनडीए-2 में भी दोहराई जा रही है.
विश्व आर्थिक मंच की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो कुछ कहा वो सब वे तीन साल से बोल रहे हैं. आपको बुरा लगेगा लेकिन आप प्रधानमंत्री के भाषण में भारत की व्याख्या देखेंगे तो वह दसवीं कक्षा के निबंध से ज़्यादा का नहीं है.
जन गण मन की बात की 185वीं कड़ी में विनोद दुआ विश्व आर्थिक मंच की शिखर बैठक में शामिल होने दावोस गए नरेंद्र मोदी और भारत की आर्थिक असमानता पर चर्चा कर रहे हैं.
विश्व आर्थिक मंच की बैठक में शामिल होने दावोस जा रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया गया है कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि देश की अर्थव्यवस्था सभी के लिए काम करती है, न कि सिर्फ़ चंद लोगों के लिए.