शीर्ष अदालत ने कहा कि विभिन्न वर्गों के नागरिकों के बीच भेदभाव नहीं किया जा सकता है, जो समान हालात का सामना कर रहे हैं. केंद्र सरकार 45 साल और उससे अधिक उम्र की आबादी के लिए मुफ़्ते कोविड टीके प्रदान करने का भार वहन करेगी, राज्य सरकारें 18 से 44 आयु वर्ग की ज़िम्मेदारी का निर्वहन करेंगी, ऐसी शर्तों पर बातचीत कर सकते हैं. केंद्र को अपनी मौजूदा टीका नीति पर फिर से ग़ौर करना चाहिए.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि केंद्र सुनिश्चित करे कि दिल्ली को आवंटित मात्रा 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिले और चेतावनी दी थी कि इसमें असफल होने पर वह अवमानना की कार्यवाही कर सकती है. केंद्र की ओर से कहा गया है कि उसके अधिकारी कड़ी मेहनत कर रहे हैं. ऐसे आदेशों से उनके मनोबल पर ग़लत प्रभाव पड़ेगा.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत 13 दलों के नेताओं ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि केंद्र सभी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करें.
दिल्ली में कोविड संकट के बीच फिलीपींस और न्यूज़ीलैंड दूतावासों द्वारा यूथ कांग्रेस प्रमुख श्रीनिवास बीवी से ऑक्सीजन सिलेंडर की मदद मांगी गई थी, जिसे लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने विदेश मंत्रालय पर निशाना साधा था. इसके बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि यूथ कांग्रेस द्वारा की गई आपूर्ति 'अनचाही' थी.
वीडियो: उत्तर प्रदेश के अमेठी शहर के एक युवा द्वारा अपने नाना के लिए ऑक्सीजन की मांग की गई तो उसके ख़िलाफ़ केस दर्ज करा दिया है. इस घटना ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े किए हैं.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि अख़बारों में प्रकाशित ख़बरों के अनुसार पिछले दो हफ़्तों में ऐसी तमाम घटनाएं हुई हैं, जिसमें ऑक्सीजन आपूर्ति में बाधा और ऑक्सीजन की कमी की वजह से लोगों ने जान गंवा दी. इस बीच राज्य के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने दावा किया कि अब प्रदेश में चिकित्सकीय ऑक्सीजन संबंधी कोई दिक्कत नहीं है.
दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि केंद्र सुनिश्चित करे कि दिल्ली को आवंटित मात्रा 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिले और चेतावनी दी कि इसमें असफल होने पर वह अवमानना की कार्यवाही कर सकती है. इस बीच केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि दिल्ली का दैनिक ऑक्सीजन कोटा बढ़ाकर 590 मीट्रिक टन कर दिया गया है. वहीं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि रोज़ाना 976 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता है.
भारत सरकार द्वारा स्थापित वैज्ञानिक सलाहकारों के एक मंच के चार वैज्ञानिकों ने कहा है कि वायरस के नए प्रकारों के विषय में चेतावनी के बाद भी केंद्र द्वारा कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए प्रमुख प्रतिबंध लगाने के बारे में कुछ नहीं किया गया.
मृतक डॉक्टर की पहचान 62 वर्षीय डॉ. आरके हिमथानी के रूप में हुई है. वह बत्रा अस्पताल के गैस्ट्रोएंटेराइटिस विभाग के प्रमुख थे. कोरोना वायरस महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच देश के विभिन्न अस्पतालों में कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी से मौत होने मामले लगातार सामने आ रहे हैं.
कोविड-19 प्रबंधन पर राष्ट्रीय नीति बनाने के लिए स्वत: संज्ञान मामले पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने साफ किया कि सोशल मीडिया पर लोगों से मदद के आह्वान सहित सूचना के स्वतंत्र प्रवाह को रोकने के किसी भी प्रयास को न्यायालय की अवमानना माना जाएगा.
केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार अदालत के सवाल पर हलफ़नामा देगी और मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र को अधिक ऑक्सीजन देने का कारण बताएगी. इस बीच केंद्र ने राज्यों से शुक्रवार को कहा कि वे उपलब्ध ऑक्सीजन को महत्वपूर्ण वस्तु की तरह लें और निजी अस्पतालों समेत सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत की समीक्षा करवाएं.
ऑक्सीजन टैंकरों को विभिन्न राज्यों द्वारा रोकने के संबंध में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य सहित हर राज्य से यह अपेक्षा की जाती है कि वह ऑक्सीजन की आवाजाही को बाधित न करें. ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति से अस्पतालों में समय पर ऑक्सीजन की आपूर्ति में बाधा आ सकती है, जो संकट के इस समय में जीवन बचाने के लिए महत्वपूर्ण है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को ऑक्सीजन की कमी के कारण अस्पतालों के नर्सिंग होम में हुईं मौतों के संबंध में रिपोर्ट दाख़िल करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया कि वह ऑक्सीजन सिलेंडरों और कोविड रोगियों के इलाज से जुड़ीं महत्वपूर्ण दवाओं की कालाबाज़ारी रोके तथा ऑक्सीजन वितरण से जुड़े मुद्दे का समाधान करे.
कोरोना संक्रमण से हुईं मौतों के आंकड़े कम करके दिखाए जाने को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने कहा कि हमारा ध्यान इस पर होना चाहिए कि कैसे लोग संक्रमण से उबरें, कैसे हम उन्हें राहत प्रदान कर सकें. जो लोग मर गए हैं, विवाद खड़ा करने पर वे लौटकर नहीं आएंगे.
कोविड-19 मामलों में बेतहाशा वृद्धि को ‘राष्ट्रीय संकट’ बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि हाईकोर्ट क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर महामारी की स्थिति पर नज़र रखने के लिए बेहतर स्थिति में है और सुप्रीम कोर्ट पूरक भूमिका निभा रहा है तथा उसके ‘हस्तक्षेप को सही परिप्रेक्ष्य में समझना चाहिए’ क्योंकि कुछ मामले क्षेत्रीय सीमाओं से भी आगे हैं.