भारत में बीते 24 घंटे के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण के कुल 222,315 नए मामले सामने आए हैं और इस अवधि में 4,454 और लोगों की हुई है. विश्व में संक्रमण के कुल मामले 16.71 करोड़ से ज़्यादा हैं और 34.63 लाख से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं.
शीर्ष अदालत दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. इन याचिकाओं में केंद्र तथा राज्यों को 2005 के आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत संक्रमण के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवार को चार लाख रुपये अनुग्रह राशि देने और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए समान नीति अपनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
देश में कोरोना महामारी के दौरान चिकित्सा सुविधाओं की कमी के चलते कुछ लोगों ने अपने संबंधियों के लिए विदेशों से ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर मंगा दिया था, जिस पर केंद्र सरकार ने एक मई से 12 प्रतिशत एकीकृत जीएसटी लगा दिया था. दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र के इस क़दम को असंवैधानिक क़रार देते हुए इस संबंध में जारी की गई अधिसूचना को ख़ारिज कर दिया है.
बीते कुछ सालों से बहुसंख्यकवाद पर सामाजिक ऊर्जा और विचार दोनों ख़र्च किए गए, लेकिन आज संकट की इस घड़ी में बहुसंख्यकवादी इंफ्रास्ट्रक्चर कितना काम आ रहा है? महामारी ने यह अवसर दिया है कि अपनी प्राथमिकताएं बदलकर संकुचित, उग्र और छद्म राष्ट्रवाद को त्याग दिया जाए.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या यह राष्ट्रीय महामारी है या राज्य केंद्रित समस्या? केंद्र ने स्थिति को संभालने के लिए न तो हम पर छोड़ा है, न ही इसे ठीक से संभाल रहा है. हमें दवाएं आयात करने की अनुमति नहीं है, क्योंकि केंद्र अनुमति नहीं देता है.
बीते भाजपा ने कांग्रेस पर कोरोना महामारी के दौरान देशवासियों में भ्रम फैलाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को धूमिल करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि इस संकट काल में विपक्षी दल की ‘गिद्धों की राजनीति’ उजागर हुई है. इस पर कांग्रेस ने भाजपा पर महामारी के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि बचाने एवं लोगों का ध्यान भटकाने के लिए ‘फ़र्ज़ी टूलकिट’ तैयार करने का आरोप लगाया था.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के बीते 24 घंटे के दौरान 240,842 नए मामले आए हैं और इस अवधि में 3,741 लोगों की मौत हुई है. विश्व में संक्रमण के 16.67 करोड़ से ज़्यादा मामले सामने आए हैं और 34.54 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
वीडियो: बीते 17 अप्रैल को देश में जब कोविड-19 के एक दिन में 234,692 मामले आए थे और 1,341 लोगों की मौत हुई थी, तब उत्तराखंड में कुंभ मेला जारी था और दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव बंगाल में अपनी रैलियों में जुटने वाली भीड़ की तारीफ़ कर रहे थे. अब वह महामारी से देश में बिगड़ते हालात पर रो रहे हैं.
पारुल खक्कर की कविता एक पारंपरिक गुजराती हिंदू मन का विस्फोट है. उसमें तात्कालिकता का आवेग है, कविता रचने का कोई कलात्मक प्रयास नहीं. वह शोक गीत है, मर्सिया है. गुजरात के समाज में ऐसी कविता अगर फूट पड़े तो अस्वाभाविक लगना ही स्वाभाविक है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार की उस अधिसूचना को भी ख़ारिज कर दिया, जिसमें में कहा गया था कि व्यक्तिगत उपयोग के लिए आयातित ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर पर 12 प्रतिशत एकीकृत जीएसटी लगेगा. अदालत ने कहा कि सरकार को कम से कम युद्ध, अकाल, बाढ़, महामारी के समय में करों के बोझ को कम करना चाहिए या कम से कम कम रखना चाहिए. इस तरह का दृष्टिकोण एक व्यक्ति को गरिमा का जीवन जीने की अनुमति देता है, जो संविधान के अनुच्छेद
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 26,289,290 हो गई है और जान गंवाने वालों का आंकड़ा 295,525 हो गया है. विश्व में संक्रमण के 16.61 करोड़ से ज़्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जबकि 34.43 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक रिपोर्ट में कहा कि प्रारंभिक अनुमान के अनुसार 2020 में कोविड-19 से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कम से कम 30 लाख लोगों की मौत हुई, जो देशों द्वारा बताई गई आधिकारिक आंकड़े से लगभग दोगुनी अधिक है.
गंगा में बहे शवों को देखकर व्यथित हुई गुजराती कवियत्री पारुल खक्कर ने अपने दुख को चौदह पंक्तियों की की कविता की शक्ल दी, जिसे लेखकों के साथ-साथ आमजनों ने भी पसंद किया. हालांकि इसके बाद मूल रूप से गैऱ राजनीतिक पारुल सत्तारूढ़ भाजपा की ट्रोल आर्मी के निशाने गईं.
बीते साल ट्रंप प्रशासन द्वारा ट्विटर के ख़िलाफ़ इस्तेमाल की गई धमकाने वाली समान भाषा में केंद्र सरकार ने कहा कि अगर ट्विटर आधिकारिक मांगों को नहीं मानता है तो एक 'मध्यस्थ' के बतौर उसकी क़ानूनी स्थिति पर सवाल उठ सकता है. सरकार ने यह भी कहा कि ट्विटर ने एकतरफा तरीके से मामले में निष्कर्ष निकाल कर भाजपा नेता के ट्वीट को ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’ की श्रेणी में डाल दिया.
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़कर 26,031,991 हो गए हैं और अब तक 291,331 लोगों की जान जा चुकी है. विश्व में संक्रमण के 16.55 करोड़ से ज़्यादा हो गए हैं और 34.30 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है.