पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि उसने उन 14 उत्पादों की बिक्री रोक दी है, जिनका मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने बीते अप्रैल में निलंबित किया था. हालांकि, पतंजलि के कई स्टोर पर ये उत्पाद बिक रहे हैं.
उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण (एसएलए) ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक रूल्स, 1945 के बार-बार उल्लंघन के लिए पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है.
आयुष मंत्रालय द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफ़नामे से पता चलता है कि उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों के ख़िलाफ़ की गई शिकायतों पर चेतावनी देने और कंपनी को विज्ञापन बंद करने के लिए कहने के अलावा दो साल से अधिक समय तक कोई कार्रवाई नहीं की.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी के एमडी आचार्य बालकृष्ण और रामदेव की व्यक्तिगत तौर पर मौजूद रहने का निर्देश दिया था. अब एक हलफ़नामे में बालकृष्ण ने विज्ञापनों को लेकर माफ़ी मांगते हुए कहा है कि वे सुनिश्चित करेंगे कि आगे ऐसे विज्ञापन जारी न किए जाएं.
सुप्रीम कोर्ट ने 27 फरवरी को कहा कि पतंजलि आयुर्वेद भ्रामक दावे करके देश को धोखा दे रही है कि उसकी दवाएं कुछ बीमारियों को ठीक कर देंगी, जबकि इसके लिए कोई अनुभवजन्य साक्ष्य मौजूद नहीं है.
केरल के डॉक्टर केवी बाबू ने केंद्र से शिकायत करते हुए कहा है कि ख़ुद केंद्रीय मंत्रालय के कई निर्देशों और प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बावजूद पतंजलि के हर्बल उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों को लेकर उत्तराखंड के अधिकारियों ने पतंजलि आयुर्वेद के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की है.
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने आयुष चिकित्सकों और संहिताबद्ध पारंपरिक ज्ञान तक पहुंच रखने वाले लोगों के लिए एफईबीएस प्रावधान को हटा दिया है और स्थानीय समुदायों को उनके संसाधनों से होने वाले व्यावसायिक लाभों से वंचित करने के लिए पतंजलि जैसी कंपनियों के लिए द्वार खोल दिए हैं.
समझौते के अनुसार, पतंजलि आयुर्वेद महिला स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों का विपणन करेगी और उन्हें ऐसे उत्पादों के डीलरशिप तथा वितरण के अवसर भी देगी.
देश में कोरोना महामारी के प्रकोप के दौरान इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने चिंता जताई थी कि कोरोनिल सहित कोविड-19 के लिए अस्वीकृत दवाओं का उपयोग करने से मृत्यु दर में वृद्धि हो सकती है. इस तथ्य के बावजूद हरियाणा सरकार द्वारा पतंजलि उत्पादों की खरीद को स्वीकृति दी गई.
हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि कोरोनिल किट की आधी लागत पतंजलि और आधी हरियाणा सरकार के ‘कोविड रिलीफ फंड’ ने वहन की है. रामदेव की एलोपैथी के ख़िलाफ़ टिप्पणी को लेकर उठ रहे विवाद के बीच हरियाणा सरकार ने यह घोषणा की गई है. रामदेव ने एलोपैथी को एक स्टुपिड और दिवालिया साइंस बताया था.
ज़मीन आवंटन से जुड़े एक मामले में रामदेव के अलावा गौतम बुद्ध नगर के जिलाधिकारी बीएन सिंह और यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण वीर को भी नोटिस जारी किए गए हैं.
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि 1994 में उन्हें वनीकरण के लिए 30 वर्षों के लिए ज़मीन आवंटित हुई थी, जिसे अब यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण ने अवैध तरीके से पतंजलि को दे दिया है.
आरोप है कि नागपुर में बाबा रामदेव को फूड पार्क के लिए एक करोड़ रुपये प्रति एकड़ की ज़मीन को सिर्फ 25 लाख रुपये प्रति एकड़ के भाव में दे दिया गया.