जन्मदिन विशेष: आलोचक नंदकिशोर नवल प्रथमतः और अंततः साहित्य की दुनिया के वासी थे. वही उनका ओढ़ना-बिछौना था. कहा करते थे कि आप किसी के क़रीब जाने पर उसकी गंध से जान सकते हैं कि वह साहित्य का आदमी है या नहीं. उन्हें याद करते हुए इस गंध को महसूस किया जा सकता है.
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
कहा जा रहा है कि छात्र की हत्या का संभावित कारण इस साल के अंत में होने वाले पटना विश्वविद्यालय छात्रसंघ के चुनाव हो सकते हैं, जिनमें वह उतरने की योजना बना रहा था.
स्मृति शेष: बीते दिनों गुज़रे इतिहासकार सुरेंद्र गोपाल अपने समूचे कृतित्व में वोल्गा से गंगा को जोड़ने वाली सामाजिक-सांस्कृतिक-आर्थिक कड़ियों की पड़ताल करते रहे. आने वाले वर्षों में जब भी भारत, रूस और मध्य एशिया के ऐतिहासिक संबंधों की चर्चा होगी, उनका काम अध्येताओं को राह दिखाने का काम करेगा.
पटना कॉलेज में छात्रों ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का घेराव करते हुए वापस जाओ के नारे लगाए. छात्रों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को वापस लेने और पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय दर्जा देने की मांग की.
मेरा जीवन क्षणिक है, मैं इस अनंत में एक कण हूं लेकिन मैं हूं और मेरे होने का अर्थ है, अपने बारे में यह नवलजी का विश्वास था और इसका प्रमाण वे तमाम प्रकाशित और अप्रकाशित कृतियां हैं, जिनमें वे जीवित हैं.
विचारधारा की जकड़न से विचारों की स्वतंत्रता की नवल जी की यात्रा कष्टसाध्य रही. उन्हें ख़ुद को ही कई जगह अस्वीकार करना पड़ा. लेकिन चूंकि उनकी प्रतिबद्धता रचनाकार से भी आगे बढ़कर रचना से थी, और विचारधारा से तो कतई नहीं, सो उन्हें ख़ुद को बदलने में संकोच नहीं हुआ.
मानवाधिकारों से जुड़े समूह पीपुल्स कमीशन ऑन श्रिंकिंग डेमोक्रेटिक स्पेस ने देश में शिक्षा व्यवस्था का हाल जानने के लिए 17 राज्यों में 50 शैक्षणिक संस्थानों के छात्र-छात्राओं और शिक्षकों से बात कर रिपोर्ट जारी की है.
पटना विश्वविद्यालय के पटना ट्रेनिंग कॉलेज का मामला. रिज़ल्ट में 97 छात्र-छात्राओं को दिए गए शून्य अंक.
ज्ञान की जब भी चर्चा होती है तो वो बिहार के ऐतिहासिक नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय का ज़िक्र किए बिना पूरी नहीं होती, लेकिन उसी बिहार में आज शिक्षा व्यवस्था का हाल ये है कि आधा दर्जन विश्वविद्यालयों में विभिन्न सत्रों की परीक्षाएं कई सालों से लटकी हुई हैं.
बीते शनिवार चुनाव परिणाम आने के बाद से ही छात्र अध्यक्ष पद के विजेता के नामांकन में गड़बड़ी और चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए चुनाव रद्द करने की मांग कर रहे हैं.
14 अक्टूबर को पटना विश्वविद्यालय के 100 वर्ष पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री शामिल होने वाले हैं, लेकिन पटना से चार बार सांसद रहे सिन्हा को नहीं बुलाया गया.