पेगासस प्रोजेक्ट: पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा के फोन की फॉरेंसिक जांच के बिना यह बता पाना संभव नहीं है कि इसमें सफलतापूर्वक पेगासस स्पायवेयर डाला गया या नहीं, हालांकि निगरानी सूची में उनके नंबर का होना यह दर्शाता है कि उनके फोन में सेंध लगाने की योजना बनाई गई थी.
पेगासस प्रोजेक्ट: सर्विलांस के लिए न केवल राहुल गांधी बल्कि उनके पांच दोस्तों और पार्टी के मसलों पर उनके साथ काम करने वाले दो क़रीबी सहयोगियों के फोन भी चुने गए थे.
पेगासस प्रोजेक्ट: द वायर द्वारा एक्सेस किए गए लीक डेटा से पता चलता है कि सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी और उनके परिवार द्वारा इस्तेमाल किए गए 11 नंबरों को एक अज्ञात आधिकारिक एजेंसी द्वारा पेगासस स्पायवेयर द्वारा हैकिंग के टारगेट के बतौर चुना गया था.
पेगासस प्रोजेक्ट: पेगासस स्पायवेयर के इस्तेमाल को लेकर सामने आया लीक डेटा इस बात का पुख़्ता प्रमाण है कि भारत में इस स्पायवेयर का इस्तेमाल एक अज्ञात एजेंसी द्वारा सत्तारूढ़ भाजपा के प्रतिद्वंद्वियों की राजनीतिक जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जा रहा है.
वीडियो: द वायर समेत 16 मीडिया संगठनों द्वारा की गई पड़ताल दिखाती है कि इज़रायल के एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर द्वारा स्वतंत्र पत्रकारों, स्तंभकारों, क्षेत्रीय मीडिया के साथ हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस, द वायर, न्यूज़ 18, इंडिया टुडे, द पायनियर जैसे राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों को भी निशाना बनाया गया था. इस मुद्दे पर द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के अपार गुप्ता से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
पेगासस प्रोजेक्ट: 40 से ज़्यादा पत्रकारों, तीन प्रमुख विपक्षी नेताओं, नरेंद्र मोदी सरकार में दो पदासीन मंत्री, न्यायपालिका से जुड़े लोगों, कारोबारियों, सरकारी अधिकारियों, अधिकार कार्यकर्ताओं सहित 300 से अधिक भारतीयों की इज़राइल के एक सर्विलांस तकनीक से जासूसी कराने की ख़बरों को देश की हिंदी पट्टी के प्रमुख अख़बारों ने या तो छापा नहीं है या इस ख़बर को महत्व नहीं दिया है.
निगरानी के लिए संभावित निशाने पर 'कमेटी फॉर द रिलीज़ ऑफ पॉलिटिकल प्रिज़नर्स' भी थी, जिससे जुड़े शिक्षाविदों और कार्यकर्ताओं के फोन नंबर भी पेगासस स्पायवेयर के ज़रिये हुए सर्विलांस वाले भारतीय फोन नंबरों की लीक हुई सूची में शामिल हैं.
द वायर समेत 16 मीडिया संगठनों द्वारा की गई पड़ताल दिखाती है कि इज़रायल के एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर द्वारा स्वतंत्र पत्रकारों, स्तंभकारों, क्षेत्रीय मीडिया के साथ हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस, द वायर, न्यूज़ 18, इंडिया टुडे, द पायनियर जैसे राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों को भी निशाना बनाया गया था.
द वायर और सहयोगी मीडिया संगठनों द्वारा हज़ारों ऐसे फोन नंबरों, जिनकी पेगासस स्पायवेयर द्वारा निगरानी की योजना बनाई गई थी, की समीक्षा के बाद सामने आया है कि इनमें कम से कम नौ नंबर उन आठ कार्यकर्ताओं, वकीलों और शिक्षाविदों के हैं, जिन्हें जून 2018 और अक्टूबर 2020 के बीच एल्गार परिषद मामले में कथित भूमिका के लिए गिरफ़्तार किया गया था.
एक अंतरराष्ट्रीय साझा रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट ने यह दिखाया है कि भारत समेत दुनियाभर की कई सरकारें भयावहता की हद तक सर्विलांस के तरीकों का इस्तेमाल इस तरह से कर रही हैं, जिसका राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई लेना-देना नहीं है.