विभिन्न विषयों के लिए उर्दू को शिक्षा के माध्यम के तौर पर अपनाने के लिए ख्यात हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी ने बीते दिनों पीएचडी प्रवेश परीक्षा आयोजित की थी, जिसमें उर्दू को छोड़ दिया गया. जहां इसके लिए एक ओर विभाग में स्थायी शिक्षक न होने की बात कही जा रही है, वहीं ख़बरों में राज्य सरकार की उदासीनता को ज़िम्मेदार बताया जा रहा है.
जेएनयू के अंतिम वर्ष के पीएचडी और एमफिल छात्रों को इस महीने के अंत तक शोध प्रबंध जमा करवाने को कहा गया है. छात्रों का कहना है कि कोविड महामारी के चलते बर्बाद हुए समय के एवज में पर्याप्त समय न मिलने के चलते वे इस समयसीमा में थीसिस नहीं दे सकेंगे और उन्हें समय विस्तार दिया जाना चाहिए.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने उच्च शिक्षण संस्थानों को लिखे अपने पत्र में कहा है कि डिप्लोमा, स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों सहित अन्य सभी पाठ्यक्रमों के छात्र अप्रैल में जारी दिशानिर्देशों के तहत दो शैक्षणिक कार्यक्रमों को एक साथ पढ़ सकेंगे, लेकिन दोहरी डिग्री के ये मानदंड पीएचडी छात्रों पर लागू नहीं होते.
छात्रों के मुताबिक, आईआईटी बॉम्बे प्रशासन द्वारा मौजूदा पोस्ट ग्रेजुएट और पीएचडी छात्रों के लिए जहां 7,450 रुपये की बढ़ोतरी की गई है, वहीं नए दाख़िले के तहत पोस्ट ग्रेजुएट के लिए 32,450 रुपये और स्नातक के लिए 9,950 रुपये की बढ़ोतरी की गई है.