जन्मदिन विशेष: एक सर्जक के मन की पीड़ाएं उसकी सर्जना के लिए माध्यम बनती हैं पर स्वयं सर्जक भी स्पष्ट रूप से नहीं समझ पाते कि उनकी मानसिक व्याधियों से उनकी कला का वह रूप संभव हो सका है, या अशांत मन के विकारों ने उनकी कला को सीमित किया. स्वदेश दीपक भी अपने मन की प्रेत-छायाओं से लड़ते रहे और अंततः जब लड़ने से थक गए तो अपने आस-पास की दुनिया को छोड़कर एक सुबह चुपचाप कहीं चले गए.
इप्टा ने आज़ादी के 75वें वर्ष के अवसर पर 'ढाई आखर प्रेम के' शीर्षक से हुई सांस्कृतिक यात्रा का आयोजन किया था. इसके समापन समारोह में लेखक, अभिनेता व निर्देशक सुधन्वा देशपांडे द्वारा 'नाटक में प्रतिरोध की धारा' विषय पर दिया गया संबोधन.