यूपी के बाद हिमाचल प्रदेश ने भी भोजनालयों को मालिकों के नाम लिखने का निर्देश दिया

कांग्रेस के नेतृत्व वाली हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी खाद्य विक्रेताओं और भोजनालयों को ग्राहकों के लिए ‘पारदर्शिता’ बढ़ाने के लिए अपने मालिकों के नाम और पते प्रदर्शित करने का निर्देश दिया. मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि यह निर्णय किसी अन्य राज्य द्वारा प्रेरित नहीं है.

क्या भाजपा दीनदयाल उपाध्याय के रास्ते पर चल रही है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस मुक्त भारत के नारे लगाते हैं, अगर वे दीनदयाल उपाध्याय की ओर मुड़ें तो पता चलेगा कि भाजपा का आचरण उनके विचारों को नकार देता है.

भाजपा ने सांसद कंगना रनौत के कृषि क़ानूनों की वापसी वाले बयान से पल्ला झाड़ा

भाजपा सांसद कंगना रनौत ने कहा था कि सालभर के किसान आंदोलन के बाद निरस्त किए गए विवादास्पद तीन कृषि क़ानूनों को वापस लाया जाना चाहिए. भाजपा ने उनकी टिप्पणी से ख़ुद को अलग करते हुए कहा कि कंगना पार्टी की ओर से इस तरह के बयान देने के लिए 'अधिकृत' नहीं हैं.

जम्मू-कश्मीर: कठुआ बलात्कार-हत्या के आरोपी का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता भाजपा में शामिल

जम्मू-कश्मीर में चुनाव के दौरान दक्षिणपंथी संगठन एकम सनातन भारत दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अंकुर शर्मा भाजपा में शामिल हुए हैं. शर्मा ने मुस्लिम गुज्जरों और बकरवाल समुदायों का विरोध करते हुए दावा किया था कि वे ‘भूमि जिहाद’ में लगे हुए हैं. वे 2018 के कठुआ रेप केस के एक आरोपी के वकील भी रहे हैं.

बिना अनुभवों की साझेदारी के जनतांत्रिकता मुमकिन नहीं

अंतरराष्ट्रीयता का मेल हुए बिना राष्ट्रवाद एक संकरी ज़हनीयत का दूसरा नाम होगा जिसमें हम अपने दड़बों में बंद दूसरों को ईर्ष्या और प्रतियोगिता की भावना के साथ ही देखेंगे. कविता में जनतंत्र स्तंभ की 34वीं और अंतिम क़िस्त.

भारतीय समाज में हिंसा के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: पांचेक दशक पहले गुंडई को अनैतिक माना जाता था और समाज में उसकी स्वीकृति नहीं थी. आज हम जिस मुक़ाम पर हैं उसमें गुंडई को लगभग वैध माना जाने लगा है- उस पर न तो ज़्यादातर राजनीतिक दल आपत्ति करते हैं, न ही मीडिया.

हिंदुओं को लगातार डराकर उनके बड़े हिस्से का सामाजिक विवेक छीन लिया गया है

जिस भी समाज में धर्मभीरुता बढ़ जाती है, उससे अपने धर्म के उदात्त मूल्यों की हिफाजत संभव नहीं हो पाती. पहले वह बर्बरता, बीमारी व असामाजिकता के सन्निपातों, फिर अनेक असली-नकली असुरक्षाओं से पीड़ित होने लग जाता है.

हिंदी दिवस और राजकीय पाखंड

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: बोलने वालों की संख्या के आधार पर हिंदी संसार की पांच बड़ी भाषाओं में एक है. पर ज्ञान, परिष्कार, विपुलता आदि के कोण से देखें तो तथ्य यह है कि हिंदी, चीनी या जापानी या कोरियाई की तरह ज्ञान-विज्ञान की भाषा नहीं है, न उस ओर अग्रसर ही है.

हरियाणा: टिकट बंटवारे पर भाजपा में असंतोष; कई मंत्रियों के टिकट कटे, कई नेताओं का इस्तीफ़ा

हरियाणा में फिर से सत्ता में वापसी के लिए प्रयासरत भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को अपना चेहरा बनाया है, लेकिन केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह भी स्वयं को मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में पेश कर रहे हैं.

झारखंड: सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन कर हेमंत सोरेन सरकार को अधूरे वादे पूरे करने को कहा

रांची में धरना देते हुए सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हेमंत सोरेन सरकार से विधानसभा चुनाव से पहले भूमि बैंक और भूमि अधिग्रहण अधिनियम (झारखंड) संशोधन, 2017 को रद्द करने, पेसा नियमों को अधिसूचित करने, लंबे समय से जेल में बंद विचाराधीन कैदियों को रिहा करने समेत कई मांगे की हैं.

मध्य प्रदेश के शिक्षा मंत्री बोले- अमेरिका की खोज कोलंबस ने नहीं हमारे पूर्वजों ने की थी

बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि वास्को डी'गामा भारतीय व्यापारी चंदन के पीछे-पीछे भारत आया था पर इतिहासकारों ने ग़लत पढ़ाया कि उसने भारत और भारत के लिए समुद्री मार्ग की खोज की थी.

मुक्तिबोध के आईने से: जनतंत्र का पहला और आख़िरी सवाल

अपूर्णता का एहसास मनुष्य के होने का सबूत है. समस्त प्राणी जगत में एकमात्र मनुष्य है जिसे अपने अधूरेपन का एहसास है. यह उसे अपनी सीमाओं का अतिक्रमण करने की प्रेरणा देता है.

हरियाणा चुनाव: आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन वार्ता विफल, दोनों पार्टियों ने की उम्मीदवारों की घोषणा

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन पर बातचीत विफल रही, जिसके बाद आप ने सोमवार को इसके उम्मीदवारों की पहली और मंगलवार को दूसरी सूची जारी कर दी. 5 अक्टूबर को होने वाले चुनावों के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 12 सितंबर है.

नए भारत की दीमक लगी शहतीरें… भारतीय गणराज्य के मौजूदा संकट को समझने का अनिवार्य पाठ है

पुस्तक समीक्षा: अर्थशास्त्री परकाला प्रभाकर की 'नए भारत की दीमक लगी शहतीरें: संकटग्रस्त गणराज्य पर आलेख' न केवल भारतीय लोकतंत्र के वर्तमान राजनीतिक-सामाजिक परिदृश्य का विश्लेषण करती है, बल्कि बताती है कि देश के लोकतांत्रिक भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए कौन से क़दम ज़रूरी हैं.

मुक्तिबोध की उपस्थिति के तीन क्षण

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: मुक्तिबोध मनुष्य के विरुद्ध हो रहे विराट् षड्यंत्र के शिकार के रूप में ही नहीं लिखते, बल्कि वे उस षड्यंत्र में अपनी हिस्सेदारी की भी खोज कर उसे बेझिझक ज़ाहिर करते हैं. इसीलिए उनकी कविता निरा तटस्थ बखान नहीं, बल्कि निजी प्रामाणिकता की कविता है.