खाद्य सुरक्षा पर एक नीति जारी करते हुए संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि दुनिया की 7.8 अरब आबादी को भोजन कराने के लिए पर्याप्त से अधिक खाना उपलब्ध है, लेकिन वर्तमान में 82 करोड़ से ज़्यादा लोग भुखमरी का शिकार हैं. हमारी खाद्य व्यवस्था ढह रही है.
कर्नाटक के मंड्या ज़िले के श्रीरंगापट्टनम स्थित गोकुलदास एक्सपोर्ट्स कंपनी ने अपनी एक इकाई ‘यूरो क्लॉथिंग कंपनी-2’ कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन के चलते बंद कर दी है. इसके बाद से कर्मचारी कंपनी के बाहर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.
विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में 5.2 प्रतिशत की गिरावट आएगी, साथ ही विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में 2.5 प्रतिशत की गिरावट की आशंका है, जो क़रीब छह दशकों में पहली गिरावट होगी. भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 3.2 प्रतिशत की कमी देखी जाएगी.
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 महामारी के कारण वैश्विक ग़रीबी दर में 22 वर्षों में पहली बार वृद्धि होगी. भारत की ग़रीब आबादी में एक करोड़ 20 लाख लोग और जुड़ जाएंगे, जो विश्व में सर्वाधिक हैं.
जस्टिस एनवी रमण ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन सेमिनार में कहा कि इस वैश्विक महामारी ने हमारे सामने कई समस्याएं पैदा कर दी हैं. लॉकडाउन के कारण पारिवारिक हिंसा एवं बाल उत्पीड़न की घटनाएं भी बढ़ी हैं.
जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर और वर्तमान में इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइसेंस के चेयरमैन प्रोफेसर अरुण कुमार का कहना है कि कोरोना वायरस के मद्देनजर लॉकडाउन से उत्पन्न प्रवासी मजदूरों की समस्या सरकार की गलत नीतियों और असंतुलित विकास का नतीजा है.
यूनिसेफ और मानवतावादी संगठन ‘सेव द चिल्ड्रेन’ के संयुक्त अध्ययन में कहा गया है कि यदि महामारी के कारण होने वाली वित्तीय कठिनाइयों से परिवारों को बचाने के लिए तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो कम और मध्यम आय वाले देशों में ग़रीबी रेखा से नीचे रहने वाले बच्चों की कुल संख्या वर्ष के अंत तक 67.2 करोड़ तक पहुंच सकती है.
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र ने बीते बुधवार को अनुमान जताया था कि कोविड-19 महामारी के चलते इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में 3.2 प्रतिशत की कमी आएगी. यह 1930 की महामंदी के बाद सबसे अधिक गिरावट होगी.
संयुक्त राष्ट्र के निकाय विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक ने कहा एक ओर हम कोरोना वायरस से लड़ रहे हैं और दूसरी ओर भुखमरी की महामारी के मुहाने पर भी आ पहुंचे हैं. वहीं, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि जन सेवाओं की आपूर्ति में भेदभाव किया जा रहा है. नफरत फैलाने वाले वक्तव्य बढ़ गए हैं, संवेदनशील समूहों पर हमले बढ़े हैं.
ऑक्सफैम ने अपनी रिपोर्ट 'टाइम टू केयर' में कहा कि विश्व के 2153 अरबपतियों के पास विश्व की 60 फीसदी जनसंख्या के मुकाबले ज्यादा संपत्ति है. इसमें कहा गया है कि एक घरेलू कामकाजी महिला को किसी तकनीकी कंपनी के सीईओ के बराबर कमाने में 22 हजार 277 साल लग जाएंगे.
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, सतत विकास लक्ष्यों के इस साल के सूचकांक में बिहार, झारखंड और अरुणाचल प्रदेश का प्रदर्शन सबसे ख़राब रहा. यह भी कहा गया है कि पोषण और स्त्री-पुरुष असमानता देश के लिए समस्या बनी हुई है.
यूनीसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में पूरे विश्व में निमोनिया से पांच वर्ष से कम उम्र के आठ लाख से अधिक बच्चों की मौत हुई. इस सूची में नाईजीरिया पहले, भारत दूसरे और पाकिस्तान तीसरे स्थान पर है.
कार्वी वेल्थ मैनेजमेंट की रिपोर्ट के अनुसार, इन अमीरों के पास 2017 में 392 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति थी, जो कि 2018 में 430 लाख करोड़ रुपये हो गई.
संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ की रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु से जुड़ी आपदाओं और आर्थिक अशांति जैसे कारणों से पैदा हुए खाद्य संकट की वजह से 53 देशों में ये लोग घोर भुखमरी का सामना कर रहे हैं और उन्हें तत्काल खाद्य पदार्थ, पोषक आहार और आजीविका की ज़रूरत है.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि भाजपा का कांग्रेस पार्टी पर आरोप सही है कि उसकी गरीबी हटाओ 2.0 का नारा चुनावी धोखा है, लेकिन भाजपा खुद के अंदर भी झांके.