संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के अध्ययन में कहा गया है कि कोविड-19 के प्रभावों से उबरने की प्रक्रिया काफी लंबे समय तक चलेगी. कोविड-19 एक अहम पड़ाव है और विश्व के नेता अभी जो निर्णय लेंगे, उससे विश्व की दिशा बदल सकता है.
विश्व बैंक और यूनिसेफ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारों को तुरंत बच्चों को इस संकट से उबारने की योजना बनाने की ज़रूरत है ताकि असंख्य बच्चों और उनके परिवारों को घोर ग़रीबी में जाने से रोका जा सके.
विश्व बैंक ने कहा कि भारत की आर्थिक स्थिति इससे पहले के किसी भी समय की तुलना में काफ़ी ख़राब है. कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को थामने के लिए देशभर में लगाए गए लॉकडाउन का भी प्रतिकूल असर पड़ा है.
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी की वजह से ग़रीबी कुछ ही महीनों में सात फीसदी बढ़ गई है. अत्याधिक ग़रीबी रेखा से ठीक ऊपर रहने वाले लोग तेज़ी से नीचे गिर रहे हैं. इसके अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में कोविड-19 का बुरा असर पड़ा है.
संयुक्त राष्ट्र के मानवतावादी मामलों के प्रमुख ने अगाह किया कि कमज़ोर देशों में कोविड-19 संकट की वजह से आर्थिक एवं स्वास्थ्य पर पड़ने वाले अप्रत्यक्ष प्रभावों के कारण ग़रीबी बढ़ेगी, औसत आयु कम होगी, भुखमरी बढ़ेगी, शिक्षा की स्थिति ख़राब होगी और अधिक बच्चों की मौत होगी.
उत्तर प्रदेश के आगरा ज़िले का मामला. आरोप है कि चिकित्सा बिल के बदले एक लाख रुपये में अस्पताल प्रशासन ने दंपति को बच्चा बेचने के लिए मजबूर किया, वहीं अस्पताल ने इस आरोप का खंडन किया है.
विशेष रूप से सक्षम लोगों को खाद्य सुरक्षा की सभी योजनाओं का लाभ देने के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट पीठ ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय से पूछा कि खाद्य सुरक्षा की ज़रूरत ग़रीबों को होती है, तो आप कैसे कह सकते हैं कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून संबंध ग़रीबी उन्मूलन से नहीं है.
संयुक्त राष्ट्र की चार एजेंसियों ने आगाह किया कि कोरोना और उससे निपटने के लिए लगे प्रतिबंधों के कारण कई समुदाय भुखमरी का सामना कर रहे हैं. उन्होंने चेताया कि बढ़ते कुपोषण के दीर्घकालिक परिणाम होंगे, जो व्यक्तिगत त्रासदियों को एक पीढ़ीगत तबाही में बदल सकते हैं.
मामला कोकराझार ज़िले का है. लॉकडाउन के दौरान गुजरात लौटे एक मज़दूर ने आर्थिक तंगी और काम न मिलने से परेशान होकर अपनी 15 दिन की बच्ची को 45 हज़ार रुपये में बेच दिया. पुलिस ने मज़दूर और बच्ची खरीदने वाली महिलाओं को गिरफ़्तार कर लिया है.
एनजीओ ‘वर्ल्ड विज़न एशिया पैसिफ़िक’ द्वारा जारी सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन की सबसे अधिक मार दिहाड़ी मज़दूरों पर पड़ी और इसके चलते छिनी आजीविका ग्रामीण और शहरी ग़रीबों के लिए सबसे बड़ी चिंता बन गई.
संयुक्त राष्ट्र की पांच एजेंसियों द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि ऊंची क़ीमतों और ख़र्च वहन करने की क्षमता न हो पाने के कारण करोड़ों लोगों को सेहतमंद और पोषक आहार नहीं मिल पा रहा है. कोविड महामारी के कारण लगाई गई पाबंदियों और आर्थिक मंदी से भुखमरी का सामना कर रही आबादी की संख्या बढ़ सकती है.
कोविड-19 के मद्देनज़र लगे लॉकडाउन के बाद अप्रैल में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की शुरुआत की गई थी. मंगलवार को इसके विस्तार की घोषणा के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी कहा कि अब देश में 'एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड' व्यवस्था भी लागू होने वाली है.
कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन में अपनी आजीविका खो चुके कामगार कुछ समय पहले पैदल चलकर, साइकिल चलाकर और ट्रकों के ज़रिये यहां तक कि कंटेनर ट्रकों और कंक्रीट मिक्सिंग मशीन वाहन में छिपकर आनन-फानन में बिहार स्थित अपने घर लौटे थे.
वीडियो: पिछले कई दिनों से भारत-चीन सीमा पर हो रहे तनाव के कारण देश में कोरोना वायरस से हो रहीं मौतों को मीडिया और सरकार अनदेखा कर रही है. देश में बढ़ रही ग़रीबी और बेरोज़गारी पर न तो सरकार का कोई ध्यान है और न ही मीडिया का. इसी मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का नज़रिया.
किंग्स कॉलेज लंदन और ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों के एक अध्ययन में कहा गया है कि मध्यम आय वर्ग वाले विकासशील देशों में ग़रीबी बढ़ेगी जो वैश्विक स्तर पर ग़रीबी को बढ़ाएगा. दक्षिण एशिया का इलाका ग़रीबी की मार झेलने वाला दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्र होगा.