केंद्र सरकार द्वारा लाए गए आईटी नियमों के ख़िलाफ़ द वायर, द न्यूज़ मिनट, द क्विंट आदि समाचार वेबसाइट ने अदालत में याचिका दायर की है, जिसमें नियमों का पालन नहीं करने के लिए सरकारी कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई है.
केंद्र सरकार का यह क़दम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि नए आईटी नियमों को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं दिल्ली और मद्रास हाईकोर्ट सहित विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित हैं. नए आईटी नियमों के तहत सोशल मीडिया और स्ट्रीमिंग कंपनियों को तेज़ी से विवादास्पद सामग्रियों को हटाना होगा, शिकायत समाधान अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी और जांच में सहयोग करना होगा.
क्विंट डिजिटल मीडिया लिमिटेड, द वायर प्रकाशित करने वाले फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज़्म, फैक्ट-चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ चलाने वाले प्रवदा मीडिया फाउंडेशन और अन्य द्वारा आईटी नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाएं दायर की गई हैं. पीठ ने याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया हैं.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन खपत की ऑडिट के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली सरकार ने ज़रूरत से चार गुना अधिक ऑक्सीजन की मांग की थी. इस पर भाजपा ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर जघन्य अपराध और आपराधिक लापरवाही का आरोप लगाया है.
भाजपा ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित ऑक्सीजन ऑडिट समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली सरकार ने ज़रूरत से चार गुना अधिक ऑक्सीजन की मांग की थी. वहीं, आप सरकार का कहना है कि भाजपा झूठी रिपोर्ट पेश कर रही है. उसने इस समिति के सदस्यों से बात की है, जिन्होंने इस तरह की किसी रिपोर्ट को मंज़ूरी न देने की बात कही है.
क्विंट डिजिटल मीडिया लिमिटेड, द वायर प्रकाशित करने वाले फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज़्म, फैक्ट-चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ चलाने वाले प्रवदा मीडिया फाउंडेशन और अन्य द्वारा आईटी नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाएं दायर की गई हैं. मामले को जस्टिस भंभानी और जस्टिस जसमीत सिंह की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था.
इंडियन एक्सप्रेस द्वारा जांचे गए आधिकारिक रिकॉर्ड बताते हैं कि रामदेव के पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को भारतीय शिक्षा बोर्ड के गठन की मंज़ूरी के लिए पूरी प्रक्रिया को दो महीने में पूरा कर लिया गया था ताकि 2019 के लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू होने से कुछ घंटे पहले इसे स्वीकृति मिल जाए.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा कि पारदर्शी वैधानिक तंत्र मुहैया कराने के लिए नियमों में संशोधन किया गया है और इससे लोगों को लाभ होगा. संशोधित नियम के मुताबिक चैनलों पर प्रसारित किसी भी कार्यक्रम से परेशानी होने पर दर्शक उस संबंध में प्रसारक से लिखित शिकायत कर सकता है.
बीते दिनों नेशनल ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन ने मुख्यधारा के टीवी मीडिया और इसके डिजिटल मंचों को नये आईटी नियमों से बाहर रखने की मांग की थी. इस पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा है कि नियमों से कुछ को छूट देना उन डिजिटल समाचार प्रकाशकों के साथ भेदभाव होगा, जिनके पास पहले से टीवी या प्रिंट मंच नहीं है.
दिग्गज सोशल मीडिया मंचों और ऑनलाइन न्यूज़ मीडिया के साथ नये नियमों को लेकर विवादास्पद बहस ऐसे मौके पर हो रही है जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के तौर पर सामने आई अब तक की सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं. ऐसे में आलोचनाओं के दमन में लगी सरकार ने टेक कंपनियों से दो-दो हाथ कर खु़ुद को अपने ही बुने चक्रव्यूह में फंसा लिया है.
न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को लिखे एक पत्र में कहा है कि यदि आईटी नियम, 2021 लागू होते हैं, तो इससे न केवल समाचार चैनलों या प्रसारकों का उत्पीड़न होगा, बल्कि उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का दमन और उल्लंघन भी होगा तथा इससे निष्पक्ष तरीके से समाचार रिपोर्टिंग भी बाधित होगी.
बीते मार्च में केन और बेतवा नदियों को जोड़ने की परियोजना पर जलशक्ति मंत्रालय, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारों के बीच समझौता हुआ है. देश भर के कई पर्यावरणविदों ने इसे रोकने की पैरवी की है. कांग्रेस अध्यक्ष ने भी कहा है कि परियोजना के चलते क़रीब 18 लाख पेड़ों को हटाया जाएगा.
संसदीय समिति के सदस्यों ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से पूछा कि क्या नियम कानूनी ढांचे के अनुरूप हैं? नियामक व्यवस्था में केवल नौकरशाह ही क्यों हैं और नागरिक समाज, न्यायपालिका तथा पेशेवर लोगों का प्रतिनिधित्व क्यों नहीं है?
अनुचित तरीके से बनाए गए नए सोशल मीडिया नियम समाचार वेबसाइट्स को सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के साथ खड़ा करते हैं. इन्हें वापस लिया ही जाना चाहिए.
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा डिजिटल मीडिया के नियमन के लिए दिए गए नए दिशानिर्देशों को लेकर सवाल उठ रहे हैं. कांग्रेस का कहना है कि नियम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता व रचनात्कता के लिए ‘बेहद ख़तरनाक’ हैं, वहीं कई विशेषज्ञों ने इसके दुरूपयोग को लेकर भी आशंकाएं ज़ाहिर की हैं.