मोदी सरकार में प्रेस की आज़ादी पर चौतरफा हमले किए जा रहे हैं
भारत का लोकतंत्र दिनदहाड़े दम तोड़ रहा है. प्रेस को घेरा जा रहा है, लेकिन उसे अडिग होकर खड़े होने के तरीके तलाशने होंगे.
भारत का लोकतंत्र दिनदहाड़े दम तोड़ रहा है. प्रेस को घेरा जा रहा है, लेकिन उसे अडिग होकर खड़े होने के तरीके तलाशने होंगे.
रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि नेपाल को छोड़कर भारत के अन्य पड़ोसी देशों की रैंकिंग में भी गिरावट आई है. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स और नौ अन्य मानवाधिकार संगठनों ने भारतीय अधिकारियों से पत्रकारों और ऑनलाइन आलोचकों को उनके काम के लिए निशाना बनाना बंद करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि आतंकवाद और देशद्रोह क़ानूनों के तहत उन पर मुक़दमा चलाना बंद कर देना चाहिए.
बीबीसी ने इस संबंध में रविवार को घोषणा करते हुए कहा कि अनिश्चितता और अशांति भरे समय में अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के लिए यह एक चिंताजनक घटनाक्रम है. बताया गया है कि तालिबान की ख़ुफ़िया एजेंसी के आदेश के बाद वॉयस ऑफ अमेरिका का प्रसारण भी बंद कर दिया गया.
वीडियो: उत्तर प्रदेश में ‘4PM’ अख़बार के एडिटर इन चीफ संजय शर्मा ने प्रेस की स्वतंत्रता पर हमले और अपने अख़बार के यूट्यूट चैनल को बंद किए जाने के संबंध में द वायर से बातचीत की.
द वायर या इसके संपादकों को इस अदालती कार्यवाही के बाबत कोई नोटिस नहीं मिला था, न ही उन्हें किसी अन्य माध्यम से इसकी जानकारी दी गई.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से प्रकाशित अख़बार ‘4PM’ के संपादक ने कहा है कि उन्होंने इस संबंध में एफ़आईआर दर्ज कराने के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को मामले का संज्ञान लेने के लिए पत्र लिखा है. इसके अलावा अख़बार का एक नया यूट्यूब चैनल भी शुरू कर दिया है.
29 दिसंबर 2021 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मलयालम समाचार चैनल ‘मीडिया वन’ को सुरक्षा मंजूरी देने से इनकार कर दिया और बीते 31 जनवरी को इसके प्रसारण पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था. समाचार चैनल के समर्थन में आए विभिन्न सांसदों, वकीलों, संपादकों और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं ने केरल हाईकोर्ट के फैसले पर निराशा जताई और कहा कि उसने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की रक्षा करने से इनकार कर दिया.
कमेटी अगेंस्ट असॉल्ट ऑन जर्नलिस्ट्स की एक रिपोर्ट बताती है कि 2017 में यूपी में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से लेकर अब तक राज्य में 48 पत्रकारों पर शारीरिक हमले हुए, 66 के ख़िलाफ़ केस दर्ज या उनकी गिरफ़्तारी हुई. इस दौरान 78 फीसदी मामले वर्ष 2020 और 2021 में महामारी के दौरान दर्ज किए गए.
पांच जनवरी की रात वेब पोर्टल ‘द कश्मीर वाला’ के साथ जुड़े ट्रेनी पत्रकार और छात्र सज्जाद गुल को आपराधिक साज़िश के आरोप में बांदीपोरा ज़िले में उनके घर से गिरफ़्तार किया गया था. इस मामले में ज़मानत मिलने के बाद पुलिस द्वारा उन्हें जन सुरक्षा क़ानून के तहत मामले दर्ज करते हुए जेल भेज दिया गया.
इंटरनेशनल प्रेस इंस्टिट्यूट के मुताबिक़, इस सूची में लगातार दूसरी बार मेक्सिको पहले नंबर पर है, जहां इस साल सात पत्रकारों की हत्या की गई. इसके बाद भारत और अफ़ग़ानिस्तान हैं, जहां छह-छह पत्रकारों को मारा गया.
असम के बराक घाटी के तीन ज़िलों के 150 से अधिक पत्रकारों ने मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा को पत्र लिखकर ‘बराक बुलेटिन’ न्यूज़ पोर्टल चलाने वाले पत्रकार अनिर्बान रॉय चौधरी के ख़िलाफ़ सभी आरोपों को रद्द करने की मांग की है. पत्रकारों ने इस घटना को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर हमला बताया.
असम के कछार ज़िले में ‘बराक बुलेटिन’ नामक न्यूज़ पोर्टल चलाने वाले पत्रकार अनिर्बान रॉय चौधरी को पुलिस से समन प्राप्त हुआ है. बीते एक दिसंबर को उनके ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर में आरोप लगाया गया है कि उनके एक लेख के कारण असम के बंगाली और असमिया भाषी लोगों के बीच का भाईचारा बिगड़ सकता है.
पत्रकारों ने मांग की कि संसद परिसर और प्रेस गैलरी में मीडियाकर्मियों के प्रवेश पर लगा ई गई सभी रोक को तत्काल हटाया जाना चाहिए और उन्हें पेशेवर कर्तव्यों को पूरा करने की अनुमति दी जानी चाहिए. विपक्ष ने भी इन मांगों का समर्थन किया है. पिछले वर्ष कोविड-19 फैलने के बाद से संसद सत्र के दौरान सीमित संख्या में मीडियाकर्मियों को संसद परिसर में प्रवेश की अनुमति दी जा रही है.
पश्चिम बंगाल का कोलकाता टीवी एक बांग्ला समाचार चैनल है. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा है कि चूंकि गृह मंत्रालय ने इसे ‘सुरक्षा मंज़ूरी’ देने से इनकार किया है, इसलिए उनका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है. इस चैनल को मोदी सरकार को लेकर आलोचनात्मक रिपोर्टिंग करने के लिए जाना जाता है.
इंटरनेशनल प्रेस इंस्टिट्यूट ने एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें चेतावनी दी गई है कि प्रेस की स्वतंत्रता के उल्लंघन के लिए ज़िम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ जब तक कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक यह दमनकारी अभियान चलता रहेगा, जो आगे चलकर तेज़ ही होगा और स्वतंत्र ख़बरों के भविष्य और दुनियाभर में लोकतंत्र को जोख़िम में डालेगा.