यह पहली बार नहीं है जब भाजपा नेताओं पर सवाल उठाती किसी ख़बर को न्यूज़ वेबसाइट्स ने बिना कारण बताए हटाया है.
झारखंड के गोड्डा ज़िले में मवेशी चोर और असम के कार्बी आंगलांग ज़िले में बच्चा चोर समझ चार लोगों की पीट-पीटकर हत्या के मामले में सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों की भूमिका की वजह से राज्य सरकार नया क़ानून बनाने पर विचार कर रही है.
मोदी के चुनाव जीतने के बाद या फिर उससे कुछ पहले ही मीडिया ने अपनी निष्पक्षता ताक पर रखनी शुरू कर दी थी. ऐसा तब है जब सरकार और प्रधानमंत्री ने मीडिया को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया है. मीडियाकर्मियों की जितनी ज़्यादा अवहेलना की गई है, वे उतना ही ज़्यादा अपनी वफ़ादारी दिखाने के लिए आतुर नज़र आ रहे हैं.
केंद्र के 13 मंत्री जिस वेबसाइट का लिंक ट्वीट करते हैं, आह्वान करते हैं कि फ़ेक न्यूज़ के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएं, उस वेबसाइट को कौन चलाता है, कहां से चलती है, इसका पता दो दिनों तक मीडिया में चर्चा होने के बाद भी नहीं चलता है.
साल दर साल भारत में मीडिया पर नियंत्रण और सेंसरशिप ख़त्म होने के बजाय बढ़ रही है. इस मामले में सभी राजनीतिक दल एक जैसे हैं. वे आज़ाद मीडिया की जगह नियंत्रित मीडिया को प्यार करते हैं.
ग़ैर सरकारी संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की 180 देशों की रिपोर्ट में भारत को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भ्रष्टाचार और प्रेस स्वतंत्रता के मामले में सबसे ख़राब स्थिति वाले देशों की श्रेणी में रखा गया है.
सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले की अदालती कार्यवाही की मीडिया रिपोर्टिंग पर लगी पाबंदी को नौ पत्रकारों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके बाद हाईकोर्ट ने यह पाबंदी हटा दी. उनकी जीत पत्रकारिता की जीत है.
आरोप है कि इम्फाल के अख़बार ‘पोकनाफाम’ में कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ी अपमानजनक सामग्री प्रकाशित की गई थी.
जन गण मन की बात की 152वीं कड़ी में विनोद दुआ मूडीज़ द्वारा भारत की रेटिंग में सुधार और प्रेस की आज़ादी पर चर्चा कर रहे हैं.
मीडिया बोल की 22वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश 2022 के आम चुनाव और मीडिया की भूमिका पर वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव और इतिहासकार मृदुला मुखर्जी से चर्चा कर रहे हैं.
मंत्री की अश्लील सीडी मामले में गिरफ़्तार पत्रकार की तीन दिन की पुलिस हिरासत ख़त्म होने पर पुलिस ने न्यायित हिरासत की मांग की थी.
मीडिया बोल की 21वीं कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश पत्रकारों पर बढ़ते हमले पर अधिवक्ता व मानवाधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और हिंदुस्तान टाइम्स के राजनीतिक संपादक विनोद शर्मा से चर्चा कर रहे हैं.
सीडी मामले को मंत्री ने बताया चरित्रहनन का प्रयास, एफआईआर में नहीं है विनोद वर्मा का नाम, अदालत में नहीं पेश हुई कोई सीडी, पत्रकारों ने पुलिस के दावों पर उठाए सवाल.
राजस्थान ने पत्रकारों पर क़ानून के दस्ताने पहनकर हाथ डाला. छत्तीसगढ़ और यूपी की पुलिस ने एक प्रतिष्ठित पत्रकार के घर में मुंह-अंधेरे घुसकर बेशर्मी का परिचय दिया.
छत्तीसगढ़ पुलिस ने बीबीसी और अमर उजाला में वरिष्ठ पदों पर रह चुके पत्रकार विनोद वर्मा को उगाही के आरोप में शुक्रवार को सुबह साढ़े तीन बजे उनके ग़ाज़ियाबाद स्थित आवास से गिरफ़्तार कर लिया.