जिस पैगम्बर के व्यवहार ने उनपर रोज़ कूड़ा फेंकने वाली औरत को बदलने पर मजबूर कर दिया, उन्हीं के कुछ अनुयायी एक फेसबुक पोस्ट मात्र पर हिंसक हो जाते हैं.
‘एक ऐसी सरकार जो ‘सबका विकास’ के वादे पर सत्ता में आई थी, अब समाज के सबसे कमज़ोर लोगों को सुरक्षा देने को लेकर अनिच्छुक नज़र आ रही है.’
ऊपर से शांत दिखने वाली भीड़ का हिंसक बन जाना अब हमारे वक्त़ की पहचान बन रहा है. विडंबना यही है कि ऐसी घटनाएं इस क़दर आम हो चली हैं कि किसी को कोई हैरानी नहीं होती.
मौजूदा अधिकारी केजरीवाल सरकार के साथ काम नहीं करना चाहते और नए अधिकारी यहां आने को तैयार नहीं है.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 'आधिकारिक भाषाओं पर बनी संसदीय समिति' की छह साल पहले की गई सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है.