गोवा: वर्कशॉप के लिए छात्रों को मस्जिद ले जाने पर निजी स्कूल के प्रिंसिपल निलंबित

दक्षिण गोवा के केशव स्मृति हायर सेकेंडरी स्कूल का मामला. विश्व हिंदू परिषद के सदस्यों ने दावा किया कि उक्त वर्कशॉप प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से संबद्ध एक संगठन के निमंत्रण पर आयोजित की गई थी. प्रिंसिपल के ख़िलाफ़ ‘राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों का समर्थन’ करने के लिए पुलिस शिकायत दर्ज कराई गई है.

केरल: स्कूल फीस नहीं भरने पर छात्र को फर्श पर बैठकर परीक्षा देने को मजबूर किया गया

केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम के एक निजी स्कूल का मामला. छात्र के परिवार ने कहा कि उनके बेटे को प्रिंसिपल द्वारा अपमान और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा. स्कूल प्रबंधन परिवार के आरोप से सहमत है. उसने स्वीकार किया कि फीस भुगतान में देरी के लिए छात्र को फर्श पर बैठाना प्रिंसिपल की ग़लती थी.

गुजरात: ईद पर नाटक को लेकर विवाद के बाद स्कूल प्रिंसिपल को निलंबित किया गया

घटना कच्छ ज़िले के मुंद्रा के एक निजी स्कूल की है, जहां ईद के मौक़े पर भाईचारे का संदेश देने के लिए विद्यार्थियों द्वारा एक नाटक किया गया था. इसमें कुछ छात्रों ने टोपी पहनी हुई थी, जिसका वीडियो वायरल होने के बाद अभिभावकों और दक्षिणपंथी संगठनों ने इसका विरोध करते हुए स्कूल में हंगामा किया था.

राजस्थान: फीस जमा न होने पर निजी स्कूल ने चालीस विद्यार्थियों को चार घंटे तक कमरे में बंद किया

घटना जयपुर के सुबोध पब्लिक स्कूल की है. अभिभावकों का आरोप है कि मंगलवार को 8वीं से 12वीं कक्षा के लगभग 40 विद्यार्थियों को फीस के बकाया भुगतान को लेकर तक़रीबन चार घंटे के लिए एक कमरे में बंद रखा गया. इस दौरान न उन्हें शौचालय का इस्तेमाल करने दिया गया, न ही उन्हें खाना खाने की अनुमति दी गई.

सिर्फ़ तीन प्रतिशत मुस्लिम छात्रों को ही दिल्ली के प्राइवेट स्कूल में मिलता है दाखिला: रिसर्च

वीडियो: एक रिसर्च से खुलासा हुआ है कि दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों में मुस्लिम छात्रों को प्री प्राइमरी स्तर पर दाखिले के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. महज़ तीन प्रतिशत मुस्लिम छात्रों को ही स्कूल में दाखिला मिल पा रहा है. इस विषय पर रिसर्च करने वाली जन्नत फातिमा फारूकी से मुकुल सिंह चौहान की बातचीत.

गुजरात सरकार के शुल्क नहीं लेने के आदेश के बाद निजी स्कूलों ने बंद की ऑनलाइन कक्षाएं

राज्य सरकार के इस क़दम से नाखुश गुजरात के लगभग 15,000 स्व-वित्तपोषित स्कूलों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन ने ऑनलाइन कक्षाएं रोकने का फैसला किया है.

शिक्षा का अधिकार कानून: दस सालों के सफर में हमने क्या हासिल किया?

साल 2010 में शिक्षा का अधिकार कानून के लागू होने के बाद पहली बार सरकारों की कानूनी जवाबदेही बनी कि वे 6 से 14 साल सभी बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था करें. लेकिन इसी के साथ ही इस कानून की सबसे बड़ी सीमा यह रही है कि इसने सावर्जनिक और निजी स्कूलों के अन्तर्विरोध से कोई छेड़-छाड़ नहीं की.

सरकारी स्कूल फेल नहीं हुए, इन्हें चलाने वाली सरकारें फेल हुई हैं

सरकारी स्कूलों को बहुत ही प्रायोजित तरीके से निशाना बनाया गया है. प्राइवेट स्कूलों की समर्थक लॉबी की तरफ से बहुत ही आक्रामक ढंग से इस बात का दुष्प्रचार किया गया है कि सरकारी स्कूलों से बेहतर निजी स्कूल होते हैं और सरकारी स्कूलों में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं बची है.