गुजरात: ईद पर नाटक को लेकर विवाद के बाद स्कूल प्रिंसिपल को निलंबित किया गया

घटना कच्छ ज़िले के मुंद्रा के एक निजी स्कूल की है, जहां ईद के मौक़े पर भाईचारे का संदेश देने के लिए विद्यार्थियों द्वारा एक नाटक किया गया था. इसमें कुछ छात्रों ने टोपी पहनी हुई थी, जिसका वीडियो वायरल होने के बाद अभिभावकों और दक्षिणपंथी संगठनों ने इसका विरोध करते हुए स्कूल में हंगामा किया था.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Pixabay)

घटना कच्छ ज़िले के मुंद्रा के एक निजी स्कूल की है, जहां ईद के मौक़े पर भाईचारे का संदेश देने के लिए विद्यार्थियों द्वारा एक नाटक किया गया था. इसमें कुछ छात्रों ने टोपी पहनी हुई थी, जिसका वीडियो वायरल होने के बाद अभिभावकों और दक्षिणपंथी संगठनों ने इसका विरोध करते हुए स्कूल में हंगामा किया था.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Pixabay)

नई दिल्ली: ईद-अल-जुहा के अवसर पर भाईचारे का संदेश देने के लिए छात्रों द्वारा किए गए नाटक पर विवाद पैदा होने के बाद कच्छ के मुंद्रा शहर में एक निजी स्कूल के प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया गया है. नाटक का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद अभिभावकों और दक्षिणपंथी संगठनों ने कड़ा विरोध दर्ज कराया, जिसमें कुछ छात्रों को टोपी पहने दिखाया गया था.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा गठित एक विशेष टीम की प्रारंभिक जांच के बाद जिला विकास अधिकारी एसके प्रजापति ने शुक्रवार को पर्ल स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की प्रिंसिपल प्रीति वासवानी को निलंबित कर दिया. प्रजापति ने बताया, ‘विस्तृत जांच रिपोर्ट मिलने के बाद हम आगे की कार्रवाई पर विचार करेंगे.’

जिला शिक्षा अधिकारी संजय परमार ने कहा, ‘हमें सोशल मीडिया पर वीडियो से पता चला कि मिश्रित आस्था के छात्रों, जिनमें से कई हिंदू थे, को इस स्कूल में ईद समारोह में भाग लेने के लिए कहा गया था. यह हिंदू धर्म का अपमान है और निंदनीय है.’

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, परमार ने यह भी कहा कि मुस्लिमों द्वारा पहनी जाने वाली टोपी हिंदू छात्रों को पहनने को कहना ‘हीन कृत्य’ था.

कच्छ के जिला विकास अधिकारी (डीडीओ) एसके प्रजापति ने भुज में संवाददाताओं से कहा कि स्कूल के मालिक से संपर्क किया गया और प्रिंसिपल को निलंबित करने का निर्देश दिया गया.

उन्होंने बताया, ‘वीडियो के बारे में हमें जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार मुंद्रा तालुका में पर्ल स्कूल में ईद मनाने के वीडियो के बारे में पता चला है. मैंने इसे जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी (डीपीईओ) के संज्ञान में लाया, जो प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी भी हैं. उन्होंने तुरंत तालुका शिक्षा अधिकारियों की टीम भेजी जिससे हमें विस्तृत रिपोर्ट मिलेगी. इसके अलावा, हमने तुरंत उस व्यक्ति से भी संपर्क किया जो स्कूल चलाता है और स्कूल प्रिंसिपल को तुरंत निलंबित करने के निर्देश दिए.’

जिला शिक्षा अधिकारी संजय परमार ने कहा, ‘शुक्रवार सुबह करीब 11 बजे जब हमें कथित वीडियो के बारे में पता चला, तो हमने स्कूल के मालिक अब्बासी साहब से प्रिंसिपल को निलंबित करने के लिए कहा.’ यह पूछे जाने पर कि क्या स्कूल ने इस संबंध में किसी विशिष्ट नियम का उल्लंघन किया है, उन्होंने कहा, ‘स्कूल में मुस्लिम और हिंदू दोनों तरह के विद्यार्थी हैं. लेकिन अगर स्कूल हिंदू छात्रों को मुसलमानों द्वारा पहनी जाने वाली टोपी पहनने के लिए कहता है, तो यह हीन कृत्य है.’

हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनके कार्यालय को इस संबंध में शुक्रवार शाम तक स्कूल के छात्रों या उनके अभिभावकों से कोई शिकायत नहीं मिली थी.

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, स्कूल ने यह वीडियो अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट किया था, लेकिन बाद में इसे हटा दिया गया.

अख़बार ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि नाटक में भाग लेने वाले अधिकांश छात्र बहुसंख्यक समुदाय से थे और उनके माता-पिता ने बच्चों को टोपी पहनने और ईद मनाने के लिए मजबूर करने पर आपत्ति जताई.

शुक्रवार को अभिभावकों और दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं समेत करीब 250 लोगों की भीड़ स्कूल में जमा हो गई और हंगामा किया. हालांकि, मौके पर पहुंची पुलिस ने उन्हें शांत कराया.

प्रबंधन और अभिभावकों के बीच बैठक के बाद स्कूल ने सार्वजनिक माफी मांगी. टिप्पणियों के लिए प्रिंसिपल वासवानी से संपर्क नहीं किया जा सका, लेकिन उन्होंने स्कूल के फेसबुक पेज पर एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने नाटक के आयोजन के लिए माफी मांगी है.

उन्होंने कहा, ’28 जून बुधवार को हमने ईद से संबंधित एक गतिविधि का आयोजन किया. इससे कुछ अभिभावकों और संगठनों की भावनाएं आहत हुई हैं. हमारा इरादा किसी को ठेस या नुकसान पहुंचाना बिल्कुल भी नहीं था. हमने बस त्योहार के लिए ऐसा किया था. फिर भी, यदि किसी को असुविधा हुई हो या उनकी भावनाएं आहत हुई हों तो मैं उसके लिए माफी मांगती हूं और आश्वस्त करती हूं कि अब से किसी भी संस्था या अभिभावकों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली कोई गतिविधि या प्रतियोगिता आयोजित नहीं की जाएगी.’