उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद स्थित एक निजी विश्वविद्यालय के कुलपति और एक प्रशासनिक अधिकारी पर धर्मांतरण विरोधी क़ानून के तहत मामला दर्ज किया गया है. विश्वविद्यालय द्वारा संचालित एक स्कूल की पूर्व महिला कर्मचारी ने आरोप लगाया है कि दूसरों को ईसाई धर्म में परिवर्तन कराने में मदद करने के लिए कुलपति उन पर दबाव बना रहे थे.
प्रताप भानु मेहता के इस्तीफ़े के बाद हुई बहस के दौरान एक अध्यापक ने कहा कि निजी के मुक़ाबले सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में अधिक आज़ादी है. शायद वे सोचते हैं कि यहां अध्यापकों को उनकी सार्वजनिक गतिविधि के लिए कुलपति तम्बीह नहीं करते. पर इसकी वजह बस यह है कि इन विश्वविद्यालयों के क़ानून इसकी इजाज़त नहीं देते.